परतवाड़ा/अचलपुर/दी ८-उच्चश्रेणी के और कुख्यात,गंभीर घटनाओं को निष्कर्ष तक पहुंचाने में मदत करने के लिए जाने जाते फोरेंसिक विशेषज्ञ अब राज्य में होमगार्ड की नौकरी करेंगे.
फोरेंसिक साइंस में पदवी और स्नाकोत्तर डिग्री प्राप्त कर चुके राज्य के हजारों छात्र-छात्राओं को राज्य सरकार नौकरी देने में असफल साबित हुई है.अब इन फोरेंसिक विशेषज्ञों को सीधा होमगार्ड बनाने का महाप्रताप सरकार ने शुरू किया है.फोरेंसिक ग्रेजुएट को जबरन होमगार्ड की ड्यूटी दी जा रही है.राज्य के उच्च व तंत्र शिक्षण विभाग की मदत से उच्चशिक्षित फोरेंसिक युवाओं को अब होमगार्ड बनाया जायेगा.राज्य में फोरेंसिक विशेषज्ञों का नितांत अभाव है.विभिन्न पुलिस थाना अंतर्गत लाखो मामले फोरेंसिक न्याय की प्रतीक्षा में लंबित पड़े है.इसके बावजूद फोरेंसिक विद्यार्थियों को योग्य नियुक्ति न देकर होमगार्ड बनाने का यह मसला अब विवाद बन चुका है.
संपूर्ण महाराष्ट्र में सिर्फ मुंबई,नागपुर और औरंगाबाद इन तीन स्थानों पर ही फोरेंसिक साइंस (न्यायवैद्यक शास्त्र )अभ्यासक्रम की सुविधा उपलब्ध है.2009 से राज्य में फोरेंसिक विशेषज्ञों की कमी को देखते हुए राज्य शासन ने यह अभ्यासक्रम शुरू किया था.उद्देश्य फोरेंसिक एक्सपर्ट की कमी को दूर करना है.हो रहा इसके बिल्कुल विपरीत. फोरेंसिक के पद खाली पड़े है और विद्यार्थियों को गृहरक्षक (होमगार्ड )नियुक्ति का आमंत्रण दिया जा रहा है.
जानकारी बताती है कि पिछले दस साल में तीनों महानगरों से हजारों विद्यार्थी फोरेंसिक साइंस विषय के साथ बीएससी,एमएससी की डिग्री प्राप्त कर बेरोजगार है.इनमें से कुछ युवकों ने तो फोरेंसिक में पीएचडी की डिग्री भी हासिल कर ली है. पुलिस प्रशासन को फोरेंसिक विशेषज्ञों की सख्त आवश्यकता है.इसके बावजूद गृह विभाग ने बेरोजगारों को नियुक्ति देने के लिए कभी प्रयास करता दिखाई नही देता है.
फोरेंसिक साइंस के विद्यार्थियों द्वारा विगत दो वर्षों से गृहमंत्री,उच्च व तन्त्रशिक्षण मंत्री के पास अनेक मर्तबा निवेदन देकर उन्हें नियुक्तियां देने की मांग की गई है.इस बारे में संबंधित मंत्रालयों में बैठक भी हो चुकी,फिर भी आज किसी एक विद्यार्थी को भी नियुक्ति प्रदान नहीं की गई.इसके उलट फोरेंसिक विशेषज्ञ युवकों को होमगार्ड की नियुक्ति देने का उटपटांग कारनामा किया जा रहा है.
यहां बता दे कि राज्य में होमगार्ड का पद मानद सेवा का होता है.विशुद्ध मानधन पर इस पद का मुआवजा देय होता है.पुलिस को कानून आउट व्यवस्था बनाये रखने में होमगार्ड सहायता करते है.
होमगार्ड के महासमादेशक ने 1नवंबर को मुंबई स्थित न्याय सहायक विज्ञान संस्था को होमगार्ड संघटना के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों की मांग की है.इस पत्र का प्रतिउत्तर देते हुए मुंबई न्यायविज्ञान संस्था ने 2009 से स्नातक और स्नाकोत्तर हो चुके छात्रों की सूची ही महासमादेशक को तत्काल उपलब्ध करा दी.अब महासमादेशक द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी को व्यक्तिगत ईमेल करके ‘ विशेष प्रावीण्यता प्राप्त ‘ होमगार्ड के रूप में नियुक्त होने का आदेश दिया जा रहा है.उच्चविभूषित फोरेंसिक साइंस विद्यार्थियों को दसवी उत्तीर्ण पात्रता के होमगार्ड पद की ऑफर इन सभी छात्रों के जख्मो पर सिर्फ नमक लगाने का काम कर रही है.राज्य सरकार फोरेंसिक ग्रेज्युएट्स बेरोजगारों का अट्टहास उड़ाने के लिए इस प्रकार का भद्दा मजाक कर रही है,इस आशय की संतप्त प्रतिक्रिया संबंधित छात्रों की ओर से दी जा रही है.
-चार हजार पद है रिक्त
फोरेंसिक विज्ञान,जिसे आपराधिकता के रूप में भी जाना जाता है.मुख्य रूप से आपराधिक पक्ष पर -आपराधिक जांच के दौरान ,जैसा कि स्वीकार्य साक्ष्य और आपराधिक प्रक्रिया के कानूनी मानकों द्वारा शासित होता है.फोरेंसिक वैज्ञानिक जांच के दौरान वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्र करते है,संरक्षित करते हैऔर उनका विश्लेषण करते है.अपनी प्रयोगशाला भूमिका के अलावा फोरेंसिक वैज्ञानिक आपराधिक और दीवानी दोनों मामलों में विशेषज्ञ गवाह के रूप में गवाही देते हैऔर अभियोजन या बचाव पक्ष के लिए काम कर सकते है.इन सभी कार्य के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों की सख्त आवश्यकता होती है.आज विभिन्न फोरेंसिक लैब में एक लाख से अधिक मामले फोरेंसिक विशेषज्ञ के अभाव में लंबित पड़े है.इन सभी लैब में कुल 8हजार 236 पदों को मंजूरी दी गई है,इसमें से 4हजार 97 पद आज भी रिक्त है.दूसरी ओर राज्य में 2009 से फोरेंसिक साइंस की पदवी प्राप्त कर चुके हजारों युवक बेरोजगार है.इन विद्यार्थियों को लैब में काम देने की बजाय होमगार्ड बनाने की उटपटांग हरकते गृह मंत्रालय कर रहा है.गृह विभाग के कुछ आला अधिकारी निवृत्ति के बाद भी अपना वेतन शुरू रखने के लिए इन हरकतों को अंजाम दे रहे,इस प्रकार का आरोप बेरोजगारों ने लगाया है.