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अमरावती/दि.29– राज्य सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) में बदलाव के आदेश दिये है, जिस कारण अगले शैक्षणिक वर्ष से आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में प्रवेश पाना असंभव हो जाएगा. इससे अभिभावकों में तीव्र असंतोष का माहौल है. इसके लिए निजी स्कूलो का बकाया अदा कर इस नियम को हटाए जाने की मांग हम भारत के लोग संगठन के असरार आलम ने राज्य सरकार से की है.
असरार आलम ने एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिए बताया कि राज्य सरकार के नये नियम के अनुसार यदि एक किलोमीटर के दायरे में कोई सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल है तो एक वंचित बच्चा 25% आरटीई कोटा के तहत अपने संबंधित क्षेत्र में गैर-अनुदानित इंग्लिश स्कूल के लिए पात्र नहीं होगा. संशोधन से इस तबके के बच्चे अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों में पढ़ने के अवसर से वंचित हो जायेंगे. अगर हम देखे तो एक किलोमीटर के दायरे में कोई ना कोई सरकारी स्कूल मौजुद है, चाहे वो महानगर पालिका की हो, जिला परिषद की हो या अनुदानित हो, लेकीन ये सब मराठी, हिंदी या उर्दू माध्यम की स्कूल है अंग्रेजी माध्यम की एक भी नहीं, अगर किसी गरीब बच्चे को अंग्रेजी माध्यम से पढना हो तो अब वो कहा जायगा, राज्य सरकार ने आरटीई की जड़ पर प्रहार किया है और अब गरीब छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो जायेंगे. नया आदेश लाखों छात्रों के साथ अन्याय है. इससे छात्रों को भारी नुकसान होगा.
बाक्स फोटो- इसरार आलम समीर फोल्डर
पढेगा इंडिया तभी तो बढेगा इंडिया
राज्य सरकार द्वारा लिया गया निर्णय शिक्षा निती के खिलाफ है, अभी तक गरीब वर्ग के बच्चे शहर के बडे इंग्लिश माध्यम स्कूल मे आरटीई कोटा में प्रवेश कर उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे थे. लेकिन इस नियम ने उनके सपनो के साथ-साथ ‘पढेगा इंडिया तभी तो बढेगा इंडिया’ के सपनो पे भी पानी फेर दिया हैं, हम राज्य सरकार से अनुरोध करते है. की निजी स्कुलो का बकाया अदा कर इस नियम को हटाया जाए.
शेख इसरार आलम
हम भारत के लोग संघटन.