अमरावती/दि.3 – गुजरात व त्रिपुरा राज्य की तरह महाराष्ट्र में कोतवालों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा बहाल करने के साथ ही सेवानिवृत्त व दिवंगत कोतवालों को निर्वाह भत्ता दिए जाने की मांग को लेकर आगामी 6 फरवरी से महाराष्ट्र राज्य कोतवाल संयुक्त संघर्ष समिति द्बारा राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा. जिसके तहत सभी जिलाधीश कार्यालयों के सामने सुबह 11 बजे से धरना प्रदर्शन आंदोलन की शुरुआत होगी. इस आशय की जानकारी कोतवाल संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष उत्तमराव गवई द्बारा यहां बुलाई गई पत्रकार परिषद में दी गई.
जिला मराठी पत्रकार संघ के वालकट कम्पाउंड परिसर स्थित मराठी पत्रकार भवन में बुलाई गई पत्रवार्ता में उत्तमराव गवई ने बताया कि, गुजरात व त्रिपुरा सरकार ने वर्ष 1979 में ही कोतवालों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा प्रदान किया है. जिसके लिए उन दोनों राज्यों की सरकारों को किसी भी तरह की कानूनी या आर्थिक दिक्कतों का सामना नहीं करना पडा. लेकिन महाराष्ट्र में अलग-अलग दलों की सरकारों में हमेशा किसी न किसी वजह को आगे करते हुए कोतवालों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा देने से इंकार किया. जिसकी वजह से महाराष्ट्र के कोतवाला निर्वाह भत्ता प्रमोशन अनुकंपातत्व व ग्रेज्युएटी जैसे लाभ से वंचित रहे और एक तरह से महाराष्ट्र की सरकारों ने कोतवालों को किसी भी तरह का सहारा दिए बिना लगभग मरने के लिए छोड दिया. जबकि इसी दौरान सार्वजनिक लोकनिर्माण व जिला परिषद के रास्तें पर गिट्टी, मुरुम डालने वाले मजदूरों, रोप वाटिका में काम करने वाले कामगारों तथा रेल्वे मेें हमाल व कुली के तौर पर काम करने वालों को चतुर्थ श्रेणी का दर्जा बहाल किया गया है. ऐसे में महाराष्ट्र राज्य के कोतवालों ने खुद पर अन्याय होने की भावना पैदा हुई है और इस अन्याय को दूर करने के लिए महाराष्ट्र राज्य कोतवाल संघर्ष समिति द्बारा आगामी 6 फरवरी को राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा.
इस पत्रकार परिषद में रवि तायडे, अनिल अलोणे, रणजीत गजभिये व सुबोधन खला आदि उपस्थित थे.