
अमरावती/दि.7 – पडोसी देश चीन से भारत में कोरोना महामारी का आगमन हुआ इस महामारी के विषय में कुछ भी जानकारी न होते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से आ रही खबरों और मृत्यु के आंकडों को देखते हुए सर्वसामान्य जनता के मन में कोरोना को लेकर दहशत निर्माण हुई है. अब कोरोना की दूसरी लहर भी धीरे-धीरे कम हो रही है. कोरोना महामारी से निश्चित ही स्वस्थ्य हो सकते है. किंतु इस बीमारी को निगेटिव करने के लिए सकारात्मक विचारधारा रखना आवश्यक है. सकारात्मक विचारो से ही इस बीमारी को निगेटिव किया जा सकता है. ऐसा प्रतिपादन डॉ. आशीष लोहे ने व्यक्त किया.
डॉ. अशीष लोहे अमरावती स्थित जाणीव प्रतिष्ठान द्बारा रविवार को आयोजित ‘कोविड ताण तणावाचा सर्जिकल स्ट्राइक’ इस विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में बतौर प्रमुख वक्ता के रुप में मार्गदर्शन कर रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता जेष्ठ पत्रकार व किसान नेता चंद्रकांत वानखडे ने की तथा प्रास्ताविक जाणीव प्रतिष्ठान के अध्यक्ष नितिन चौधरी ने किया. आनलाइन व्याख्यान में डॉ. आशीष लोहे ने आगे कहा कि, स्वयं की तुलना अगर दूसरों के साथ की तो आत्म ग्लानी होगी. व आत्म ग्लानी से मानसिक रोगों की उत्पत्ती होती है. कोरोना मरीजों की संख्या में वृद्धी जरुर हुई है किंतु मृत्यु का प्रमाण कम है. उस तुलना में कोरोना से ठीक हुए मरीजों की संख्या भी अधिक है.
80 प्रतिशत मरीज लक्षण विरहित है. अपने पूर्वजों ने अनेक वॉयरस देखे है जिसकी वजह से चिंता करने की अपेक्षा सर्तक रहने की ज्यादा आवश्यकता है. इस परिस्थिति में सकारात्मक रहकर दूसरों को भी मदद करे. दूसरों से अपनी तुलना ना करे. भविष्य की चिंता छोडकर वर्तमान में जिने का आंनद ले ऐसा प्रतिपादन डॉ. लोहे ने व्यक्त किया. इस अवसर पर कार्यक्रम अध्यक्ष चंद्रकांत वानखडे ने भी उपस्थितों को मार्गदर्शन करते हुए सकारात्मक रहने की सलाह दी. कार्यक्रम का संचालन राहुल तायडे ने किया तथा आभार प्रदीप पाटिल ने माना. इस आयोजन में जाणीव प्रतिष्ठान के सभी सदस्यों ने अपना सहयोग दिया.