कदम अस्पताल में दस दिन के दौरान हुई थी 70 सोनोग्राफी!
कई फॉर्म पर पेशंट व डॉक्टर के हस्ताक्षर नहीं, कई फॉर्म हुए गायब
* आर्वी के अवैध गर्भपात मामले में सामने आ रहे कई सनसनीखेज तथ्य
वर्धा/दि.22- आर्वी में उजागर हुए अवैध गर्भपात मामले में रोजाना ही नये-नये खुलासे हो रहे है. जिसमें पता चला है कि, डॉ. रेखा कदम व डॉ. नीरज कदम द्वारा चलाये जानेवाले सोनोग्राफी सेंटर में 1 जनवरी से 10 जनवरी के दौरान करीब 70 सोनोग्राफी की गई. किंतु इसमें से 44 सोनोग्राफी के फॉर्म पर मरीज के हस्ताक्षर ही दर्ज नहीं है. यह सीधे-सीधे सोनोग्राफी से संबंधित नियमों का खुला उल्लंघन है.
उल्लेखनीय है कि, आर्वी में उजागर हुए अवैध गर्भपात मामले को लेकर समूचे राज्य में हंगामा मच गया था और इस समय पूरे देश का ध्यान इस ओर लगा हुआ है. किंतु अब भी स्वास्थ्य महकमा इस मामले की गंभीरता को नहीं समझ पा रहा, या फिर संभवत: जानबूझकर इस मामले में लापरवाही या ढिलाई बरती जा रही है. ऐसे मामलों में पीसीपीएनडीटी कमेटी द्वारा 48 घंटे के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट न्यायालय में पेश करना आवश्यक रहने के बावजूद 11 दिन के बाद यह रिपोर्ट पेश की गई. वहीं अब यह जानकारी सामने आयी कि डॉ. कदम अस्पताल के सोनोग्राफी सेंटर में 1 से 10 जनवरी के दौरान करीब 70 सोनोग्राफी हुई. किंतु इसमें से कई सोनोग्राफी फॉर्म पर मरीज व डॉक्टर के हस्ताक्षर ही नहीं है. साथ ही सोनोग्राफी करने की वजह भी दर्ज नहीं की गई है. इसके अलावा एफ फॉर्म में भी कई त्रृटियां पाई गई है. किंतु स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिसके चलते अब स्वास्थ्य महकमे की कार्यप्रणाली पर ही सवालियां निशान लगते नजर आ रहे है.
* सीएस व वैद्यकीय अधिक्षक के बयानों में फर्क
आर्वी में अवैध गर्भपात का मामला उजागर होने के दो दिन बाद वैद्यकीय अधीक्षक डॉ. मोहन सुटे ने सरकारी दवाईयों का अपहार होने की बात कहते हुए इसे लेकर शिकायत भी दर्ज करायी थी. किंतु हाल ही में जिला शल्य चिकित्सक डॉ. तडस ने आर्वी जाने के बाद कहा कि, डॉ. कदम के अस्पताल से मिली दवाईयों का लेबल सरकारी दवाईयोें के लेबल के साथ नहीं मिलता है. अत: इन दवाईयों को पुख्ता तौर पर सरकारी दवाईया नहीं कहा जा सकता. ऐसे में एक ही जिले के दो स्वास्थ्य अधिकारियों के बयानों में जबर्दस्त विरोधाभास दिखाई दे रहा है. जिससे यह सवाल पैदा हो रहा है कि, कहीं इसकी आड लेकर किसी को बचाने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा.
* गर्भपात केंद्रों सहित सोनोग्राफी सेंटरों की जांच ही नहीं
वर्धा जिले में 34 निजी व 11 सरकारी गर्भपात केंद्र है. साथ ही 40 से अधिक सोनोग्राफी सेंटर भी कार्यरत है. कदम अस्पताल में अवैध गर्भपात का मामला सामने आते ही जिले के सभी गर्भपात केंद्रों व सोनोग्राफी सेंटरों की स्वास्थ्य महकमे के पथकोें द्वारा जांच किये जाने की सख्त जरूरत थी, क्योंकि जिस तरह का काम कदम अस्पताल में चल रहा था, उसी तरह का कामकाज अन्य अस्पतालों में भी चलते रहने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता. किंतु स्वास्थ्य महकमे ने अब तक गर्भपात केंद्रोें व सोनोग्राफी सेंटरों की जांच करने का कोई प्रयास तक नहीं किया.
* रेडिओलॉजीस्ट उपलब्ध कराने में क्योें हुआ विलंब
आर्वी की घटना उजागर होते ही पुलिस ने कदम अस्पताल से सोनोग्राफी मशीन को सिल करते हुए जप्त कर लिया था और पांच दिन पहले इस मशीन की जांच करने हेतु आर्वी पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग को रेडिओलॉजीस्ट देने के संदर्भ में पत्र भेजा था. किंतु अब तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस मशीन की जांच हेतु पुलिस को रेडिओलॉजीस्ट उपलब्ध नहीं कराया गया है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग रेडिओलॉजीस्ट उपलब्ध कराने में आखिर आनाकानी व देरी क्यों की जा रही है, इसे लेकर भी सवालियां निशान भी उठाया जा रहा है.
* सरकारी दवाईया मेरे पास से नहीं गई
आर्वी उपजिला अस्पताल के औषध निर्माण अधिकारी देवेंद्र शिर्सीकर ने बताया कि, उन्हें जिला शल्य चिकित्सक कार्यालय की ओर से सरकारी दवाईयों का स्टॉक प्राप्त होता है. जिसकी जानकारी रजिस्टर में दर्ज करने के साथ ही आंतर रूग्ण विभाग व शल्यक्रिया विभाग की मांग के अनुरूप दवाईयों का वितरण किया जाता है. कदम अस्पताल में मिली सरकारी दवाईयों का स्टॉक उपजिला अस्पताल की दवाईयों के स्टॉक में से नहीं गया. अब उस निजी अस्पताल में सरकारी दवाईया कहां से आयी, यह वे नहीं बता सकते.
* दोनों नर्सों की जमानत याचिका खारिज
डॉ. रेखा कदम को अवैध गर्भपात मामले में सहयोग करने को लेकर पुलिस ने अस्पताल की नर्स संगीता गले व पूजा दहाट को भी गिरफ्तार किया था. जिन्हें न्यायिक हिरासत में रखा गया है. इन दोनों परिचारिकाओं ने विशेष जिला व सत्र पोक्सो अदालत में जमानत हेतु आवेदन प्रस्तुत किया था. किंतु अदालत ने दोनोें परिचारिकाओें की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.