अमरावती

बिना सफाई ठेकेदारों के बिल अदा करना बंद करें

पूर्व पार्षद प्रवीण हरमकर की प्रशासन को चेतावनी

* मनपा आयुक्त को फिर एक बार सौंपा ज्ञापन                                            अमरावती/ दि. 29– शहर के प्रभाग निहाय नियुक्त सफाई ठेकेदारों द्बारा सफाई किए बिना ही उनके बिल निकाले जा रहे है. हर माह नागरिको ंसे विशेषकर संपत्ति धारकों से 60 रूपए तक दुकानदारों से 70 रूपए तथा अनुसार पैसे लिए जा रहे है. लेकिन वार्ड प्रभाग में सफाई का बंटाधार है, जगह- जगह कचरे के ढेर लगे है. नालिया मलबे से लबालब है. गाडियां कचरा उठाने के लिए आने का नाम नहीं ले रही है. घंटी कटले के दर्शन तक नहीं हो पा रहे है. मनपा का ब्रिद गाडीवाला आया देखो कचरा निकाल उस पंक्ति को वर्तमान में सफाई ठेकेदार अमल में नहीं ला रहे है. इस कारण बिना सफाई ठेकेदारों को बिल अदा न किए जाए, ऐसी मांग फिर एक बार पूर्व पार्षद प्रवीण हरमकर ने मनपा आयुक्त से की है.
प्रवीण हरमकर ने फिर एक बार मनपा आयुक्त डॉ. प्रवीण आष्टीकर को ज्ञापन सौंपा. उन्होंने कहा कि हर माह मनपा 9 से 10 करोड रूपए खर्च कर रही है. सफाई के नाम पर ठेंगा दिखाया जा रहा है. सफाई संबंधित विविध समस्या जस की तस है. स्वच्छता विभाग के अधिकारी व कर्मचारी तक नॉट रिचेबल हैं. ऐसे में शिकायत करें, तो किससे करें, यह समस्या निर्माण होने लगी है. अब बारिश का मौसम शुरू हो चुका है. ऐसे में बीमारियों का खतरा बना हुआ है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए बिना सफाई ठेकेदारों के बिल अदा करना तत्काल बंद करें. साथ ही मनपा प्रशासन ने कुछ छात्रों के हाथों सर्वेक्षण कर मकानों का नापजोख करते हुए उन्हेंं नंबर दिए है. उन्हें नये से टैक्स भरने मजबूर किया जा रहा है. पहले ही 600 से 700 रूपए सफाई के नाम पर अतिरिक्त खर्च टैक्स धारकों पर डाला गया. अब नये से टैक्स का बोझ डालकर 10 लाख वाले आबादी के शहर में केवल 2 लाख टैक्स धारकों पर पूरे शहर का बोझ डालना अनुचित है. टैक्स तो भरना है, पर निवासी दाखिला देने में आनाकानी करनी है. इस प्रकार की परेशानियों से बच्चों का शैक्षणिक नुकसान हो रह है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मनपा प्रशासन ने अपने रवैये में सुधार कर तत्काल उचित कदम उठाना चाहिए, अन्यथा शिवसेना उध्दव बालासाहेब ठाकरे पार्टी द्बारा तीव्र आंदोलन छेडने की चेतावनी दी गई ह््ै. इस आंदोलन की संपूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन की होगी, यह बात भी उन्होंने फिर एक बार अपने संबोधन में कहीं.

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