अमरावतीमहाराष्ट्र

हसदेव जंगल में हो रही वृक्ष कटाई रोकें

ट्रायबल फोरम ने राष्ट्रपति को प्रेषित किया ज्ञापन

अमरावती/दि.17-विगत दो साल से देश के छत्तीसगड प्रांत का सबसे बडे रहने वाले हसदेव जंगल को बचाने के लिए वहां के आदिवासी समाजबंधु प्रयास कर रहे है. इस आंदोलन का असर महाराष्ट्र में भी दिख रहा है. आदिवासी समाज के लिए कार्यरत ट्रायबल फोरम संगठन ने महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित कर छत्तीसगड प्रांत के हसदेव जंगल में की जा रही वृक्ष कटाई तुरंत रोकने की मांग की है. हसदेव जंगल लगभग 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर में फैला है. इस जंगल में दुर्लभ तीन से चार हजार प्रकार की आयुर्वेदिक औषधि वनस्पति पाई गई है. इस जंगल पर यहां के गांव तथा परिसर के लाखों आदिवासी व अन्य वन निवासी बंधुओं की आजीविका चलती है. देश के अन्य जंगल में से सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले एकमात्र जंगल के रूप में इस जंगल की पहचान है. भारत सरकार व छत्तीसगड राज्य सरकार ने मायनिंग कंपनी से किया करार रद्द करें, तेजी से की जा रही पेडों की कटाई तुरंत रोके तथा हसदेव जंगल बचाव आंदोलन में सहभागी आंदोलनकर्ताओं पर दर्ज अपराध वापस लेकर गिरफ्तार आंदोलनकारियों को मुक्त करने की मांग ट्रायबल फोरम संगठन ने की है.

हसदेव जंगल को देश के ऑक्सीजन के रूप में पहचाना जाता है. यह जंगल वन्यजीवों का आशीयाना है. यदि यह जंगल ही नष्ट हुआ तो संपूर्ण जैविक विविध समाप्त होगी. हजारों वन्यजीव मारे जाएंगे. विशाल पेड, औषधि वनस्पतियों की कटाई हुई तो पर्यावरण का संतुलन बिगडेगा.
-नितिन तडवी, जिला अध्यक्ष
ट्रायबल फोरम, नंदुरबार

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