अमरावती/दि.2 – राज्य में नये श्रम कानून लागू नहीं करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय मूल निवासी बहुजन कर्मचारी संघ ने जिलाधीश कार्यालय पर धरना प्रदर्शन किया. भारत सरकार द्बारा मंजूर श्रम कानून के प्रावधानों को 1 जुलाई से राज्य में लागू किया जा रहा है. लेकिन यह कानून मजदूर, किसान, कामगार व कर्मचारियों पर अन्यायकारक साबित होगा. इसलिए राज्य में नये श्रम कानून को लागू नहीं करने की मांग राष्ट्रीय मूल निवासी बहुजन कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री व कामगार मंत्री के नाम जिलाधीश को सौंपे निवेदन से की है.
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्बारा बनाये गये कानून को निरस्त कर नये श्रमिक कानून को लागू किया जा रहा है. यह कानून लागू करते वक्त सरकार यह भूल गई है कि, श्रमिक एक इंसान है. श्रमिकों को मशीन मानकर अब नये श्रमिक कानून के तहत 12 घंटे काम, वेतन की कोई सुरक्षा नहीं, जिवित की कोई सुरक्षा नहीं, अन्याय के खिलाफ न्यायिक व्यवस्था नहीं, नियमित नौकरी का प्रावधान खत्म कर ठेकेदारी से श्रमिकों के श्रम का शोषण करने की पूरी छूट दी गई है. ऐसे शोषणकारी काले कानूनों के खिलाफ राज्यस्तर पर 36 जिलाधीश कार्यालयों के सामने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन आंदोलन किया जा रहा है. ऐसी जानकारी आंदोलकों ने दी. आंदोलन में पांडूरंग ठोसरे, नितीन नागपुरे, प्रमोद भगत, रविंद्र बोरकर, सुधीर खरड, नरेंद्र खंडार, निलेश खरड, विजय घुगरे, गजानन बावंडकर, रुपेश तुपाडे, विवेक कडू आदि शामिल थे.