मंडी सेस का कडा विरोध, चुनाव के बाद आंदोलन का निर्णय
पुणे में व्यापार कृति समिति का राज्यव्यापी सम्मेलन
* अमरावती से चेंबर अध्यक्ष विनोद कलंत्री एवं आत्माराम पुरसवानी की उपस्थिति
अमरावती/दि.21-महाराष्ट्र राज्य व्यापारी एक्शन कमेटी द्वारा रविवार 20 अक्टूबर की सुबह पुणे के द पूना मर्चेंट्स चैंबर में महाराष्ट्र के सभी व्यापार संघों के प्रतिनिधियों का एक राज्य व्यापी सम्मेलन आयोजित किया गया था. इस सम्मेलन के लिए मुंबई, नवी मुंबई, नासिक, नागपुर, अमरावती, बारामती, अहमदनगर, बार्शी, लातूर, सोलापुर, कोल्हापुर, सांगली, कराड, सतारा, पंढरपुर, जलगांव, धुले, उल्हासनगर आदि स्थान से व्यापार संघों के 75 पदाधिकारियों के साथ-साथ ऑनलाइन माध्यम से विभिन्न संगठनों के 100 से अधिक पदाधिकारियों ने भाग लिया. 10 अक्टूबर को महामहिम राज्यपाल द्वारा जारी किया गया अध्यादेश को पांच दिन में ही रद्द- बदल किया गया. इस विषय पर 2 घंटे तक विस्तृत चर्चा के बाद सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि महाराष्ट्र के व्यापारियों द्वारा पहले अपनाई गई स्थिति को बनाए रखा जाएगा, जो कि अब सेस दरों को कम नहीं करना है, लेकिन अब हम सेस ही नहीं चाहते हैं. ऐसी भूमिका लेने का प्रस्ताव एक राय से पारित किया गया. इसके पीछे की वजह यह है कि कृषि मंडिया कई जगह जहां मूलभूत सुविधाएं देने में सक्षम नही तो ऐसे में हम सेस किस बात का दें. अमरावती चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष एव कृषि मंडी के पूर्व संचालक विनोद कलंत्री ने कृषि मंडी की स्थापना से अभीतक की परिस्थितियों का लेखा जोखा प्रस्तुत करते हुए कई मुद्दों को चिन्हित किया और कैसे यह किसान और उपभोक्ता तथा कारखाना धारक को मारक है इन बातों से सभागृह को अवगत कराया.
विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के कारण अगले कुछ दिनों तक सरकार की ओर से कोई निर्णय लेना संभव नहीं है. बाजार समिति ने अधिनियम में विभिन्न समस्याओं और बाजार शुल्क के बारे में एक बयान तैयार किया और वर्तमान स्थिति में बाजार शुल्क लगाने से किसान एव उपभोक्ताओं पर अनावश्यक बोझ पड़ रहा है और पारंपरिक व्यवसाय करने वाले व्यवसायियों- उद्योजकों पर विपरीत असर पड़ रहा है. खाद्यान्न एवं खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लागू होने के बाद सरकार को एक देश एक कर की अवधारणा के तहत बाजार शुल्क समाप्त करना चाहिए था. लेकिन फिर भी मार्केट सेस लागू किया जा रहा है. इस संबंध में एक विस्तृत विवरण तैयार करके आगामी चुनाव के दौरान महाराष्ट्र विधानसभा के सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के नेताओं को देने का निर्णय लिया गया. इससे अगली विधानसभा में निर्वाचित होने वाले राज्य के 288 विधायकों को उक्त प्रश्नों की गंभीरता का एहसास हो सकेगा और उसके माध्यम से व्यापार बढ़ाने के लिए सेस रद्द करने का निर्णय लेना संभव हो सकेगा.
पुणे में संपन्न हुई इस मीटिंग में महाराष्ट्र चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री एग्रीकल्चर के अध्यक्ष ललीत गांधी, फेडरेशन ऑफ असोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र (मुंबई) के अध्यक्ष जितेंद्र शहा, चेंबर ऑफ असोसिएशन्स ऑफ महाराष्ट्र इंडस्ट्रिज एंड ट्रेडर्स के मोहनभाई गुरनानी, दि ग्रेन, राईस अॅन्ड ऑईल सीडस् मर्चेंटस् असोसिएशन (मुंबई) के अध्यक्ष भिमजीभाई भानुशाली, दि पूना मर्चर्ंटस् चेंबर के अध्यक्ष रायकुमार नहार, पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र बाठिया, अमरावती चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष विनोंद कलंत्री, रिटेल किराना के अध्यक्ष आत्माराम पुरसवानी, राजेश शहा व प्रविण चोरबेले, सांगली चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अमरसिंह देसाई, शरदभाई शहा, सोलापूर के सुरेश चिक्कली, राजू राठी, मंदरीनाथ स्वामी, सिध्दाराम उमदी, कोल्हापूर के श्रीनिवास मिठारी, विवेक शेटे, लातूर के पाडुरंग मुंदडा, पंढरपूर के गांधी आदी पदाधिकारियो ने अपने विचार व्यक्त किये. इस समय सचिव ईश्वर नहार, सहसचिव आशिष दुगड, दिनेश मेहता, उत्तम बातिया, आशिष नहार, नवीन गोयल, सुहास दोशी, संकेत खिवंसरा, सतिश आगरवाल, जवाहरलाल बोथरा उपस्थित थे.