अमरावतीमहाराष्ट्र

जिप शालाओं की छात्रा को पहले ट्यूनिक और दूसरे चरण में घटिया कपडा दिया गया

जिप शाला का गणवेश घोटाला

* अगस्त माह में हुआ वितरण
धारणी/दि.13– पूरे राज्य में एक ही गणवेश के लुभावने नाम पर मेलघाट की जिला परिषद की शाला की लडकियों को अगस्त माह में दिया गया टयुनिक की कॉलर को ही शर्ट जोडा जाने का अफलातून मामला किया गया था. अब दूसरे चरण में टयुनिक का कपडा घटिया रहने से इस काम में करोडों रुपयों का घोटाला हुआ है, ऐसा आरोप है. इसकी तुलना में शाला समिती तथा प्रधानाध्यापक के अधिकार का कपडा और गणवेश अच्छे थे, ऐसा लग रहा है.
शैक्षणिक सत्र 2024-25 में दो बार जिला परिषद शाला के लडकेलडकियों को गणवेश देने का नियम है. इस वर्ष शिक्षा विभाग ने सीधे राज्यस्तर पर निविदा जारी कर गणवेश की पूर्ति की परंतु धारणी तथा चिखलदरा तहसील की आदिवासी लडकियों को दिये गये टयुनिक के साथ शर्ट लगाकर ‘दो का एक’ कर लडकियों से मजाक किया गया था. इस व्यवहार में ‘वन टू का फोर’ किया गया. घटिया और निम्न क्वालिटी के कपडे द्वारा दो कपडों को इकठ्ठा कर कपडा और सिलाई के पैसे बचाये गये है, ऐसा आरोप है. इस घोटाले की चर्चा जिला परिषद के प्रधानाध्यापकों में शुरू होते ही वरिष्ठ अधिकारियों ने धाक दिखाकर, डटाकर मामला रोका था. मार्च माह में गणवेश का दूसरा चरण प्राप्त हुआ. परंतु इस समय टयुनिक का कपडा यह गादीपाट के कपडे के जैसा रफ और ज्यादा जाडा होने से विद्यार्थिनियों को ग्र्रीष्मकाल में यह गणवेश पहनना मुश्किल हो रहा है. अगस्त में आये हुये गणवेश के व्यवहार में बहुत बडा घोटाला होने के बाद भी शाला के सत्र का समापन होते समय नया गणवेश उपलब्ध करने के पीछे वितरकों का कौनसा उद्देश्य है, यह समझना कठिन नहीं है. ग्रीष्मकाल के दौरान चिलचिलाती धूप में गादीपाट जैसे कपडे से निर्मित गणवेश विद्यार्थिनियों को कितनी तकलीफ देंगे, इसके बारे में सोचना ही ठीक है. अगस्त माह में प्राप्त गणवेश का पहला चरण आदिवासी विद्यार्थियों के लिये मजाक का विषय साबित हुआ. जानकारी के अनुसार 300 का गणवेश 100 रुपयों का भी नहीं है, ऐसी चर्चा जारी है. विद्यार्थियों से की जा रही इस मजाक को रोकने के लिये स्थानिय स्तर पर गणवेश को सिलाना जरूरी है.

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