अमरावती

विद्यार्थियों ने दिखाई डीएड को पीठ

500 से अधिक सीटों के लिए केवल 370 आवेदन

  • अन्य पाठ्यक्रमों को किया जा रहा पसंद

अमरावती/दि.11 – न नौकरी की गारंटी, न टीईटी व सीईटी का निश्चित टाईम टेबल, ऐसे सहित विभिन्न कारणों के चलते कई विद्यार्थियों ने डीएड (डीटीएड) पाठ्यक्रम को पीठ दिखा दी है और अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेना पसंद किया है. उल्लेखनीय है कि, किसी समय अमरावती जिले में 40 डीएड कॉलेज हुआ करते थे, जिनकी संख्या घटकर अब महज 21 रह गई है. इन 21 डीएड महाविद्यालयों में 500 से अधिक सीटें उपलब्ध है. किंतु इस वर्ष अब तक केवल 370 विद्यार्थियों के ही आवेदन प्राप्त हुए है और शेष सीटें खाली पडी है.
बता दें कि, महाराष्ट्र राज्य शैक्षणिक संशोधन व प्रशिक्षण संस्था के माध्यम से समूचे राज्य में शिक्षणशास्त्र पदविका पाठ्यक्रम चलाया जाता है. जिसे पहले डी.एड. यानी डिप्लोमा इन एज्युकेशन व पश्चात डीटीएड यानी डिप्लोमा इन टीचर एज्युकेशन कहा जाता था. वहीं अब इस पाठ्यक्रम को डीएलएड यानी डिप्लोमा इन इलिमेंटरी एज्युकेशन के नाम से जाना जाता है. दो वर्ष का यह पाठ्यक्रम पूर्ण करने के बाद पहले नौकरी मिलने की पूरी गारंटी हुआ करती थी. साथ ही कक्षा 10 वीं व कक्षा 12 वीं के परिणाम पश्चात डीएड के पाठ्यक्रम में प्रवेश का प्रयास किया जाता था और प्रवेश हेतु चयनीत विद्यार्थियों को अध्यापक विद्यालय में प्रवेश दिया जाता था. एक समय डीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु अच्छीखासी प्रतिस्पर्धा देखी जाती थी. किंतु धीरे-धीरे विगत कुछ वर्षों के दौरान विद्यार्थियों में डीएड पाठ्यक्रम को लेकर रूचि घट गई है. यहीं वजह है कि, किसी समय अमरावती जिले में डीएड के 40 महाविद्यालय हुआ करते थे. जिनकी संख्या अब 21 रह गई है. इन 21 महाविद्यालयों में उपलब्ध सीटों की संख्या 500 से अधिक है. किंतु इस वर्ष डीएड पाठ्यक्रम के लिए केवल 370 आवेदन ही मिले है. ऐसे में जहां कभी डीएड पाठ्यक्रम की एक-एक सीट के लिए कडी प्रतिस्पर्धा चलती थी और कई दावेदार हुआ करते थे, वहीं अब आलम यह है कि, उपलब्ध सीटों की तुलना में मिलनेवाले आवेदनों की संख्या कम है. जिसकी वजह से अब किसी को भी डीएड में प्रवेश मिल सकता है, लेकिन इसके बावजूद भी विद्यार्थी इस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के इच्छुक दिखाई नहीं देते. क्योंकि पहले डीएड करने के बाद शिक्षक की नौकरी मिल जाया करती थी. किंतु कालांतर में पद भरती पर प्रतिबंध लगाये जाने के चलते नौकरी मिलना काफी मुश्किल हो गया. साथ ही इन दिनों टीईटी व सीईटी की शर्त भी अनिवार्य कर दी गई है. जिसका कोई नियमित टाईमटेबल नहीं होता. जिससे काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है. ऐसे में विद्यार्थी अब डीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने को लेकर कोई खास उत्सूक नहीं दिखते.

Related Articles

Back to top button