अमरावती

प्रोमार्क के लचर कामकाज का खामियाजा भुगत रहे छात्र

परिक्षार्थियों व छात्र संगठनों में रोष व संताप की लहर

अमरावती प्रतिनिधि/दि.१३ – पहले कोरोना, फिर लॉकडाउन और उसके बाद विद्यापीठ कर्मचारियों के आंदोलन की वजह से बार-बार टलनेवाली विद्यापीठ की ऑनलाईन परीक्षा सोमवार १२ अक्तूबर से शुरू होनेवाली थी, लेकिन इस बार भी यह परीक्षाएं एक बार फिर आगे टालनी पडी और नागपुर की प्रोमार्क कंपनी के लचर कामकाज व नियोजनशून्यता का खामियाजा अमरावती संभाग के हजारों विद्यार्थियों को भुगतना पडा. अमरावती विद्यापीठ की ओर से तमाम तैयारियां पूर्ण कर लिये जाने के बाद भी केवल प्रोमार्क कंपनी की वजह से ऑनलाईन परीक्षा को स्थगित करने की शर्मिंदगी विद्यापीठ को उठानी पडी और कंपनी के लचर कामकाज की वजह से विद्यार्थियों के साथ ही विद्यापीठ भी संभ्रम का शिकार रहा. बता दें कि, संगाबा अमरावती विवि की ऑनलाईन परीक्षा की जिम्मेदारी नागपुर की प्रोमार्क कंपनी पर सौंपी गयी थी. जिसके चलते विगत अनेक दिनों से यह कंपनी अपना काम जारी रखे हुए थी. इससे पहले विद्यापीठ की ऑनलाईन परीक्षा १ अक्तूबर से शुरू होनेवाली थी, लेकिन सितंबर माह के अंत में समूचे राज्य के अकृषक विद्यापीठ कर्मचारी संगठनों ने आंदोलन करना शुरू किया. जिसकी वजह से परीक्षा को स्थगित किया गया. पश्चात कर्मचारियों द्वारा अपना आंदोलन पीछे लिये जाने पर विद्यापीठ ने १२ अक्तूबर से ऑनलाईन व ऑफलाईन ऐसे दोनों पध्दतियों से परीक्षा लेने की घोषणा की और अपनी ओर से तैयारियां शुरू की. लेकिन ऐन समय पर परीक्षा से महज कुछ घंटे पहले इस परीक्षा को एकबार फिर स्थगित करना पडा. जिसके लिए पूरी तरह से प्रोमार्क कंपनी की नियोजनशून्यता जिम्मेदार है. परीक्षा के दुबारा आगे टलने की वजह से परिक्षार्थियों सहित छात्र संगठनों में जबर्दस्त रोष व संताप की लहर व्याप्त है और सवाल पूछा जा रहा है कि, गडचिरोली के गोंडवाना विद्यापीठ द्वारा ब्लैक लिस्टेड की गई और नागपुर विद्यापीठ की ऑनलाईन परीक्षा के काम में असफल रही प्रोमार्क कंपनी को अमरावती विद्यापीठ की ऑनलाईन व ऑफलाईन परीक्षा का जिम्मा क्यों सौंपा गया.

 

  • कंपनी की क्षमता पहले ही क्यों नहीं जांची

नूटा के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने विद्यापीठ प्रशासन पर सवाल उठाते हुए जानना चाहा कि, अमरावती विद्यापीठ के लाखों विद्यार्थियों की परीक्षा का काम सौंपने से पहले अमरावती विद्यापीठ ने प्रोमार्क कंपनी की क्षमता की जांच क्यों नहीं की. उन्होंने कहा कि, कंपनी को परीक्षा का काम देने से पहले यद्यपि निविदा जारी नहीं की गई थी, लेकिन यह कंपनी परीक्षा का काम सक्षम तरीके से कर पायेंगे अथवा नहीं, कम से कम इसकी जांच तो करवानी ही चाहिए थी. लेकिन गडचिरोली व नागपुर में असफल रहनेवाली कंपनी को अमरावती विद्यापीठ द्वारा बडे सहज ढंग से काम सौंप दिया गया और आज इसी वजह से विद्यार्थियों को नाहक मनस्ताप सहन करना पड रहा है. डॉ. रघुवंशी ने यह भी कहा कि, परीक्षा लेने की जिम्मेदारी कानूनी तौर पर विद्यापीठ की है. अत: किसी निजी कंपनी की असफलता को आगे कर विद्यापीठ अपना पल्ला नहीं झाड सकता है.

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