परतवाड़ा की 19 वर्षीय युवती का सफल एलोजेनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट
कमजोरी की शिकायत के कारण नागपुर के हॉस्पिटल से आई थी
परतवाडा/दि. 25– महाराष्ट्र के अमरावती जिले के शहर परतवाड़ा की एक 19 वर्षीय लड़की कमजोरी की शिकायत के साथ नागपुर के एक हॉस्पिटल में आई थी और उसमें रक्त की मात्रा कम पाई गई, अंततः उसे गंभीर अप्लास्टिक एनीमिया का निदान किया गया. अप्लास्टिक एनीमिया एक दुर्लभ लेकिन गंभीर रक्त स्थिति है जो तब होती है जब आपकी बोन मैरो आपके शरीर को सामान्य रूप से काम करने के लिए पर्याप्त नई रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाती है.
डॉ. गुंजन लोणे, हेमेटोलॉजिस्ट और हेमाटो-ऑन्कोलॉजिस्ट,वोक्हार्ट हॉस्पिटल्स,नागपुर ने कहा, उनकी बोन मैरो प्रभावित हुई थी, उनके लिए एकमात्र उपचारात्मक उपचार विकल्प बोन मैरो ट्रांसप्लांट था.एलोजेनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट उस बोन मैरो को बदलने के लिए डोनर से प्राप्त स्वस्थ बोन मैरो का उपयोग करता है जो पर्याप्त स्वस्थ रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नहीं कर रहा है.बीएमटी में, कंडीशनिंग दोषपूर्ण मज्जा को नष्ट कर देती है, जिसके बाद एचएलए से मेल खाने वाले भाई-बहन या असंबंधित डोनर से बोन मैरो (ग्राफ्ट) को इन्फुज किया जाता है. एचएलए से मेल खाने वाले सहोदर डोनर मिलने की संभावना केवल 25% है. सौभाग्य से, उसके 21 वर्षीय भाई की बोन मैरो मेल खाती हुई पाई गई. एलोजेनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट एसएए के लिए सबसे संभावित उपचारात्मक उपचार विकल्प है और युवा रोगियों के लिए यह पसंदीदा चिकित्सीय विकल्प होना चाहिए. सहायक देखभाल सहित प्रत्यारोपण के सभी पहलुओं में सुधार के कारण पिछले दशक के दौरान एलोजेनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट के परिणाम में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. इससे ब्लड कैंसर और अन्य हेमेटोलॉजिकल विकारों वाले रोगियों के लिए इलाज आसान होगा .वर्तमान में, मरीज की तबीयत ठीक है और उसे स्थिर स्थिति में 28वें दिन छुट्टी दे दी गई है. वोक्हार्ट कैंसर इंस्टीट्यूट नागपुर में यह पहला एलोजेनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया .डॉ.गुंजन लोणे ने कर्मचारियों,जूनियर डॉक्टरों, परिचारकों और प्रशासन सहित पूरी बीएमटी टीम की सराहना की. डॉ.गुंजन लोणे ने कहा, ”यह प्रक्रिया अत्यधिक उन्नत उपचार है. इंस्टीट्यूट में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सफलता ब्लड कैंसर और अन्य हेमेटोलॉजिकल विकारों के रोगियों को नई आशा प्रदान करेगी.