अमरावती

शक्ति की उपासना का देशव्यापी ऑनलाइन उत्सव मना रहा सहजयोग

शाश्वत आत्मा को आलोकित करती है मां महागौरी की ध्यान सिध्द उपासना

* ऑनलाईन नि:शुल्क सिखाया जायेगा नवरात्रि का विशेष सहजयोग
अमरावती/ दि.1– 9 दिन 9 ऊ र्जा केन्द्रों की जागृति हेतु ऑनलाईन हो रहा विशेष सहजयोग ध्यान. सहजयोग संस्था द्बारा नवरात्रि मेें 9 ऊर्जा केन्द्रों की जागृति हेतु हो रहे विशेष सहजयोग ध्यान का 10 दिवसीय नि:शुल्क ऑनलाइन उत्सव मनाया जा रहा है. जो रामनवमी जन्मोत्सव तक चलेगा यह सूचना देते हुए अंतर्राष्ट्रीय सहजयोग ट्रस्ट नई दिल्ली एवं सहजयोग प्रतिष्ठान पुणे द्बारा बताया गया है कि प्रतिवर्ष की भांति नवरात्रि ध्यान उत्सव यथावत है. परंतु वर्तमान स्वास्थ्य दशाओं में इसे ऑनलाईन कर दिए जाने से सभी के लिए देश विदेश से इसमें जुडना सरल हो गया है. सहजयोग की अंतर्राष्ट्रीय वेबस्थली www.sahajayoga.org.in//liive पर जाने से इसके सभी लाइव प्रसारण से जुडा जा सकेगा. साथ ही नि:शुल्क हेल्पलाइन नंबर 1800 2700 800 भी उपलब्ध कराया गया है. अंतराष्ट्रीय सहजयोग संस्था की फाउण्डर परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी जी ने अपने प्रवचनों में दुर्गास्वरूप शक्ति का शरीर के विविध उर्जा केेन्द्र में स्थापन का विवरण देते हुए ध्यान का महत्व बताया है. इसी को आधार मान कर होता है नवरात्रि का सहजयोग ध्यान वर्तमान के संक्रामक वातावरण में समस्त विषाणुओं एवं नकारात्मक प्रवृत्तियों के नाश व रोगों से रक्षा हेतु ध्यान आवश्यक है. ऊ र्जा केेन्द्रों की जागृति ही चेतना को जागृत कर हमारी रक्षा करती है.
उल्लेखनीय है कि सहजयोग में शक्ति का पूजन हमारे भीतर स्थित शक्ति की जागृति के लिए किया जाता है. 9 देवीयों का पूजन विधान हमारे सूक्ष्म शरीर स्थित नौ सिध्दि स्थानों को आशीर्वादित करता है. सात चक्रों को संतुलित करने के उपरांत यह अष्टम अवस्थ में आत्मा के प्रकाश को दिगुणित कर नवम अवस्था में परम शक्ति की प्रेम रूपी सिध्दी का दायक हो जाता है . अत: ध्यान की भारतीय परंपरा में नवरात्रि का विशेष महत्व है. सहजयोग इसी भारतीय आध्यात्म का विश्व प्रचारक है. प. पू. निर्मला देवी के अनुसार मानव के भीतर स्थित कुुंडलिनी शक्ति देवी के अनुग्रह से जागती है, मां कुंडलिनी नाशवान व बेकार चीजों को जलाकर भस्म करती है और शाश्वत आत्मा को आलोकित करती है.
कुंडलिनी के भीतर, अग्नि का यह गुण होने के कारण कुंडलिनी वह सब कुछ भस्म कर देती है जो कुछ भी बेकार है. जिस प्रकार हम अपने घर की सभी बेकार चीजों को बगीचें में ले जाकर जलाकर भस्म कर देते है, अत: जब कुंडलिनी ऊ पर उठती है तो आपकी सभी व्यर्थ की इच्छाओं को आपके बेकार के विचारों को सभी प्रकार की व्यर्थ की संचित भावनाओं व अहंकार को और इनके बीच की हर तरह की बेकार की चीजों को सभी कुछ तेजी से भस्म किया जाता है,क्योंकि ये सब स्वभाव से शाश्वत नहीं है. वह सब जो अस्थायी है, उसे वह भस्म करती है और इस प्रकार वह आत्मा को आलोकित करती है, क्योंकि आत्मा शाश्वत है.
लेकिन यह भस्म होना इतना सुंदर है कि वह सब कुछ जो बुरा है, जो रूकावट है वह सब जो दूषित है, वह सब जो एक रोग है, उसे यह भस्म करती है तंत्र को शीतल कर देती है.

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