डीपीएस में ‘ग्रैंड पेरेंट्स डे’ का सफल आयोजन
नौनिहालों ने प्रभावशाली प्रस्तुतियां दी
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* दादा-दादी का पूजन कर लिया आशीर्वाद
अमरावती/दि.12-सच तो यह है की बड़े बुजुर्ग की उँगलियों में कोई ताकत तो न थी; मगर जब मेरा सर झुका तो सिर पर रखें काँपते हाथों ने जमाने भर की दौलत दे दी. यह दौलत है खुशियों की, आशीर्वाद की, मार्गदर्शन की और सीख की, जिसे क्षेत्र की शिक्षण जगत की अग्रणी संस्था दिल्ली पब्लिक स्कूल ने विगत दिवस अनुभव एवं चरितार्थ किया. दादा-दादी का होना भगवान द्वारा पोते-पोतियों, नाती-नातिन के लिए दिए गए सबसे अच्छे उपहारों में से एक है. दादा-दादी अपने विशेष प्यार और देखभाल के माध्यम से परिवार की सबसे मजबूत नींव होते हैं, दादा-दादी परिवार को दिल के करीब रखते हैं. इस अवसर पर स्कूल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डोलेंद्र पाटिल एवं प्राचार्य हिमाद्रि सेखर देसाई उपस्थित रहे. दादा-दादियों के आगमन पर स्कूल की बड़ी कक्षाओं के छात्र-छात्राओं ने तिलक एवं बेजेस लगाकर उनका आतिथ्य किया. सर्वप्रथम परम्परागत रूप से पूजन करके माँ देवी सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. तत्पश्चात छोटे-छोटे नन्हें-मुन्नों द्वारा अत्यंत प्रभावशाली प्रस्तुतियां देकर अपने-अपने प्यार और सम्मान भरे उद्गार समस्त उपस्थित अभिभावकों के लिए व्यक्त किए.
इस अवसर पर कक्षा नर्सरी, एलकेजी, यूकेजी, पहलीं एवं दूसरीं के बच्चों ने अपने- सहपाठियों के साथ बेहतरीन नृत्य एवं गायन प्रस्तुत किए. कुछ बच्चों ने अपने भाषण एवं संवाद द्वारा बुजुर्गों की महत्ता, प्यार एवं सीख पर जब विचार व्यक्त किए, तो वहां उपस्थित सभी की आँखें नम हो आयी. इन नौनिहालों के प्रयास देखकर सभी को बहुत आश्चर्य हुआ. स्कूल के सीईओ एवं प्राचार्य ने पधारें मेहमानों को बहुत बहुत धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त किया और कहा कि, क्यों बच्चों को जिंदगीभर उनके मार्गदर्शन की आवश्यकता है और स्कूल उनके सानिध्य में बच्चों को अच्छा नागरिक बनाने हेतु कार्यरत है. दादा-दादी के लिए अपने पोते-पोतियों, नाती-नातिन की प्रतिभा को एक साथ देखना एक अविश्वसनीय क्षण था, दादा-दादी ने इन कार्यक्रमों के माध्यम से पीढ़ियों के बीच संबंध बनाने के प्रयासों की सराहना की और अपने विचार साझा किए. दादा-दादी ने स्कूल द्वारा आयोजित विभिन्न खेलों में पूरे दिल से भाग लिया, उन्होंने अपने-अपने छुटकों के लिए गिफ्ट जितने के लिए खूब मेहनत की और अपने स्कूल के दिनों की यादों का आनंद लिया. दादा-दादी ने स्कूल के शिक्षकों द्वारा की गई इस अनूठी पहल की बहुत सराहना की और इस पर उन्हें साधुवाद दिया. उन्होंने स्कूल की बच्चों के प्रति प्यार, देखभाल, पालन, नैतिक शिक्षा और सहायक वातावरण को प्राथमिकता देने के लिए भूरी-भूरी सराहना की और कहा कि, स्कूल बच्चों की चंचल गतिविधियों, सकारात्मक सुदृढीकरण, समानता और सामाजिक और भावनात्मक विकास पर ध्यान केंद्रित करके सीखने के लिए एक मजबूत आधार बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है. समस्त कार्यक्रम का संचालन इन नन्हें-मुन्नों द्वारा किया गया. अंत में सभी ने बुजुर्गों का ध्यान रखने एवं सम्मान करने की प्रतिज्ञा ली.