सफल सर्जरी से मरीजों के जीवन में आई रोशनी : डॉ. पवार
80 मरीजों को मिली नई दृष्टि, नया दृष्टिकोन
* श्री हव्याप्र मंडल में 31 वां नेत्ररोग जांच शिविर
अमरावती/दि.17-मनुष्य के जीवन में और जीवन जीने का एकमात्र साधन आँखे होती है, उसका निर्दोष होना जरूरी है. लेकिन कई लोगों को आँखों में दिक्कत होती है. ऐसे में विदर्भ आयुर्वेद कॉलेज और पुणे नेत्रदान फाउंडेशन ने समाज के गरीब और जरूरतमंद मरीजों को सेवा प्रदान करने का जो सेवा संकल्प लिया है, वह मरीजों के जीवन में एक उजियारा है. इन शिविरों से हर साल मरीजों को एक नई दृष्टि मिलती है और इस नि:शुल्क सेवा कार्य की जानकारी मरीजों तक पहुंचाकर समाज को एक नई दृष्टि देने की अपील पुणे नेत्रदान फाउंडेशन के डॉ. राजेश पवार ने की.
श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के संस्थापक स्व. अंबादासपंत वैद्य जी के स्मृति दिवस निमित्त 14 व 15 सितम्बर को पुणे के नेत्र सेवा प्रतिष्ठान के सहयोग से विदर्भ आयुर्वेद महाविद्यालय में नियमित दो दिवसीय 31वाँ निःशुल्क नेत्र शल्य चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया. श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के प्रधान सचिव पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य, उपाध्यक्ष डॉ. श्रीकांतराव चेंडके, प्रो. डॉ. माधुरीताई चेंडके की पहल और कॉलेज के निदेशक डॉ. रवीन्द्र वाघमारे, प्राचार्य डॉ. संजय चोपकर के मार्गदर्शन में, मंडल की निस्वार्थ सेवा को अविरत रख 80 रोगियों को जीवन के प्रति एक नई दृष्टि और एक नया सकारात्मक दृष्टिकोण मिला.
विदर्भ आयुर्वेद कॉलेज में 31वें निःशुल्क नेत्र सर्जरी शिविर के समापन समारोह की अध्यक्षता कॉलेज के निदेशक डॉ. रवीन्द्र वाघमारे. जबकि मुख्य अतिथि पुणे के पुणे नेत्र सेवा संस्थान के डॉ. राजेश पवार, डॉ. रमेश भांगे, डॉ. शामकांत कुलकर्णी, डॉ. जाधव, डॉ. सुभाषचंद्र वार्ष्णेय, सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. गोविंद कासट, प्राचार्य डॉ. संजय चोपकर एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे. समापन समारोह की शुरुआत गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन और श्री हव्याप्र मंडल के मूल संस्थापक स्व. अंबादासपंत वैद्य की प्रतिमा पूजन द्वारा किया गया. इस अवसर पर विदर्भ आयुर्वेद महाविद्यालय के निदेशक डॉ. रवीन्द्र वाघमारे एवं प्राचार्य डॉ. संजय चोपकर ने गणमान्य अतिथियों का सत्कार किया. शिविर की सफलता के लिए प्रो. डॉ. सुखद चौधरी, डॉ. वैशाली वानखड़े, डॉ. ज्योति डाखोरे, डॉ. प्रगति बनसोड, प्रो. डॉ. सचिन बगड़े सहित सभी विभागाध्यक्षों, संकाय सदस्यों का बहुमूल्य सहयोग प्राप्त हुआ.