अमरावती

म्युकरमायकॉसिस के चार मरीजों पर इर्विन में सफल शल्यक्रिया

कोविड मरीजों के म्युकरमायकॉसिस से संक्रमित होने का होता है खतरा

  • तत्काल इलाज से ठीक होते है मरीज

अमरावती/दि.13 – कोविड संक्रमण से ठीक होने के बाद कई कोविड मुक्त मरीजों में म्युकर मायकॉसिस नामक दुर्लभ बीमारी का संक्रमण होने की जानकारी सामने आयी है. यह एक तरह का दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है, जो मुख्य रूप से जबडे, नाक व आंखों में होता है. इस बीमारी से संक्रमित चार मरीजों पर स्थानीय जिला सामान्य अस्पताल में बेहद सफलतापूर्वक शल्यक्रिया करते हुए उनकी जान बचाने का शानदार काम किया गया है.
बता दें कि, म्युकर मायकॉसिस का इलाज बेहद खर्चिला है तथा कोविड संक्रमित मरीजों सहित मधुमेह से पीडित मरीजों के इस बीमारी से संक्रमित होने का खतरा काफी अधिक होता है और इस बीमारी में मृत्यु दर 40 फीसदी है. इस बीमारी पर इलाज व औषधोपचार की सुविधा अमरावती के जिला सामान्य अस्पताल में उपलब्ध है और जिला शल्य चिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम के मार्गदर्शन में ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. श्रीकांत महल्ले ने जिला सामान्य अस्पताल में म्युकर मायकॉसिस से पीडित चार मरीजों पर एंडोस्कोपी के माध्यम से सफलतापूर्वक शल्यक्रिया की. इस समय एनेस्थेसिस्ट डॉ. संजय खेरडे सहित डॉ. बागवाले, डॉ. स्वाती बाहेकर, डॉ. के. जी. देशमुख व डॉ. सुजीत गंगोरे ने भी इस ऑपरेशन में सहयोग दिया. जिला सामान्य अस्पताल में म्युकर मायकॉसिस की बीमारी पर इलाज की सुविधा उपलब्ध हो जाने के चलते जिले के सर्वसामान्य लोगों को काफी राहत मिली है.
उक्ताशय की जानकारी देते हुए जिला शल्य चिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम ने बताया कि, जिले में यदि किसी भी व्यक्ति को खुद में म्युकर मायकॉसिस नामक फंगल इंफेक्शन के लक्षण दिखाई देते है, तो उन्होंने तत्काल ईएनटी तथा दंतरोग विशेषज्ञ से अपनी स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए.

ये है बीमारी के लक्षण

सिरदर्द, दृष्टि बाध्यता, सायनस, उपरी जबडे में दर्द, दांतों से मवाद आकर दांत हिलना, नाक से रक्त मिश्रीत मवाद आना तथा नाक बंद होना आदि म्युकर मायकॉसिस नामक फंगल इंफेक्शन के लक्षण है. यह इंफेक्शन मुंह और नाक के जरिये पूरे शरीर में फैलता है और इस बीमारी में सायनस व आंखों में इंफेक्शन फैलकर उसकी तीव्रता मस्तिष्क तक पहुंचती है. साथ ही यह फंगल रक्तवाहिनीयों व मज्जा तंतू में प्रवेश करते हुए रक्तवाहिनीयों को ब्लॉक करता है और वहां की पेशियों को नष्ट करता हैं. जिसकी वजह से मरीज के आंखों की रोशनी जा सकती है और उसे पैरालीसीस भी हो सकता है. ऐसे में इस बीमारी के प्राथमिक लक्षणों को बेहद गंभीरता से लेते हुए तत्काल विशेषज्ञ डॉक्टर से स्वास्थ्य जांच व इलाज करवाना बेहद जरूरी है.

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