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नागपुर मेडिकल की ऐसी भी असंवेदनहीनता

17 वर्षीय युवती की वेंटिलेटर के अभाव में मौत

* 24 घंटे तक युवती को रखा ‘अंबु बैग’ पर
* पूरा दिन गरीब मां-बाप बेटी को देते रहे कृत्रिम सांसे
* युवती ने ‘अंबु बैग’ पर ही अंतिम सांस लेकर तोडा दम
नागपुर/दि.17- यवतमाल में रहनेवाले एक गरीब परिवार की 17 वर्षीय युवती की नागपुर के मेडिकल अस्पताल में वेंटिलेटर का अभाव रहने के चलते तडप-तडपकर दर्दनाक मौत होने की जानकारी सामने आयी है. साथ ही यह भी पता चला है कि, नागपुर मेडिकल के डॉक्टरों ने वेंटिलेटर नहीं रहने के चलते इस युवती को ‘अंबु बैग’ नामक धौंकनी की तरह रहनेवाले यंत्र पर रखा था. जिसके जरिये युवती के गरीब मां-बाप करीब 24 घंटे तक अपनी बेटी को कृत्रिम सांस देने का प्रयास करते रहे. साथ डॉक्टरों से अपनी बेटी का समूचित इलाज करने की गुहार लगाते रहे. लेकिन 24 घंटे का समय बीत जाने के बावजूद भी इस युवती के लिए एक वेंटिलेटर का इंतजाम नहीं हो पाया. जिसके चलते शुक्रवार की दोपहर इस युवती की मौत हो गई.
उल्लेखनीय है कि, नागपुर के मेडिकल अस्पताल को एशिया महाद्वीप का दूसरा सबसे बडा अस्पताल कहा जाता है और यहां पर मरीजों के इलाज हेतु लगभग हर तरह की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं. परंतू मरीजों को बचाने हेतु डॉक्टरोें द्वारा किये जानेवाले प्रयास कभी-कभी कम पड जाते है. ऐसा इस घटना से एक बार फिर साबित हुआ है.
मिली जानकारी के मुताबिक यवतमाल जिले की आर्णी में रहनेवाली वैष्णवी राजू बागेश्वर नामक 17 वर्षीय युवती की दोनों किडनियां लगभग खराब हो चुकी थी. ऐसे में उसे इलाज के लिए नागपुर के मेडिकल अस्पताल के वॉर्ड क्रमांक 48 में 15 सितंबर की सुबह भरती कराया गया था. जहां पर उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी और उसकी स्थिति लगातार बिगडने लगी. ऐसे में उसे वेंटिलेटर लगाये जाने की सख्त जरूरत थी, लेकिन वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं रहने की वजह आगे करते हुए इस युवती को ‘अंबु बैग’ पर रखा गया. इसकी जानकारी युवती के माता-पिता द्वारा मेडिकल के वैद्यकीय अधिक्षक डॉ. शरद कुचेवार को दी गई. लेकिन उनके लिए भी वेंटिलेटर उपलब्ध कराना संभव नहीं हो पाया. ऐसे में शुक्रवार की दोपहर 3 बजे वैष्णवी बागेश्वर ने ‘अंबु बैग’ पर रहते हुए ही अपनी अंतिम सांस लेकर दम तोड दिया.

* कोविड काल में मिले वेंटिलेटर कहां गये
उल्लेखनीय है कि, अभी दो वर्ष पूर्व ही कोविड संक्रमण काल के दौरान पीएम सहायता कोष के जरिये देश के सभी सरकारी अस्पतालों को बडी संख्या में वेंटिलेटर उपलब्ध कराये गये थे. जो अब भी उन्हीं अस्पतालों के पास है. वहीं अब कोविड संक्रमण का असर और मरीजों की संख्या काफी घट गये है. ऐसे में वेंटिलेटरों की कोई कमी नहीं होनी चाहिए, लेकिन इसके बावजूद भी एशिया क्षेत्र के दूसरे सबसे बडे नागपुर के मेडिकल हॉस्पिटल में एक युवती की वेंटिलेटर का अभाव रहने के चलते मौत हो जाने की घटना ने इस अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है.

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