देशभक्ति की अलख जगाने का ऐसा भी जुनून और जज्बा | संतोष अरोरा 29 वर्षों से कर रहे तिरंगे बैज व बिल्ले का वितरण
संत कंवरराम विद्यालय में शारीरिक शिक्षक रहे हैं अरोरा | हाल ही में 32 वर्ष की सेवा पश्चात हुए है निवृत्त | अब तक अपने खर्च पर 4 लाख से अधिक बैज व बिल्ले कर चुके वितरित
अमरावती दि.25 – देश के प्रति सम्मान जताने का हर एक व्यक्ति का अपना नजरिया व जज्बा होता है. कोई इसी जज्बे के चलते सैनिक के तौर पर देश की सरहद पर खडा होकर विपरित हालात के साथ-साथ दुश्मन की गोलियों का सामना करता है, तो कोई अपना आम जीवन व्यतीत करते हुए भी देशप्रेम की अलख को जगाने का काम करता है. साथ ही अपनी निजी कमाई का अंश देश सेवा संबंधी कामोें पर खर्च करता है. ऐसा ही कुछ शहर के सेवानिवृत्त शिक्षक संतोष अरोरा द्वारा भी किया जा रहा है, जो कुछ अरसा पहले 32 वर्ष की सेवा पश्चात बतौर शिक्षक सेवानिवृत्त हुए और विगत 29 वर्षों से प्रतिवर्ष 15 अगस्त यानी स्वाधीनता दिवस एवं 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस पर अपने खर्चे से तिरंगे बैज व बिल्ले वितरित कर रहे है.
वर्ष 1987 के दौरान शहर के दस्तुरनगर परिसर स्थित संत कंवरराम विद्यालय में संतोष अरोरा ने बतौर शारीरिक शिक्षक काम करना शुरू किया. शुरू से ही उनके मन में राष्ट्रीय त्यौहारों के मौके पर कुछ अलग करने की भावना थी. जिसके चलते उन्होंने वर्ष 1993 से एक अनूठा उपक्रम चलाना शुरू किया. जिसके तहत वे प्रतिवर्ष स्वाधीनता दिवस व गणतंत्र दिवस पर विद्यार्थियों को अपनी जेब से पैसा खर्च करते हुए तिरंगे बैज व बिल्ले उपलब्ध कराया करते थे. यह सिलसिला साल-दर साल चलता रहा. साथ ही प्रतिवर्ष संतोष अरोरा सर के बैज बिल्ले वितरण कार्य का दायरा भी बढता रहा. जिसके तहत विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षा व क्रीडा क्षेत्र से संबंधित लोगों को तिरंगे बैज व बिल्ले वितरित किये जाने लगे. फिर परिचितों व मित्र परिवार के लोग भी इस दायरे में आये. वहीं आगे चलकर संतोष अरोरा सर ने तहसील क्षेत्रोें में जाकर भी तिरंगे बैज व बिल्ले वितरित करने शुरू किये. इसके तहत प्रतिवर्ष 15 अगस्त व 26 जनवरी को संतोष अरोरा द्वारा औसतन 12 से 15 हजार तिरंगे बैज व बिल्ले अपने खर्च पर वितरित किये जाते रहे. ऐसे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि, विगत 29 वर्षों के दौरान वे करीब 4 लाख के आसपास तिरंगे बैज व बिल्ले वितरित कर चुके है. जिस पर उनके द्वारा अब तक करीब 1 करोड रूपये से अधिक की धनराशि खर्च की जा चुकी है.
इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए संतोष अरोरा सर ने बताया कि, वे जिस संत कंवरराम विद्यालय में बतौर शिक्षक कार्यरत थे, वहां समाज के सभी वर्गों के बच्चे पढने हेतु आते है और शुरूआती सेवाकाल के दौरान उन्होंने पाया कि, निम्न आयवर्ग से वास्ता रखनेवाले बच्चे 15 अगस्त व 26 जनवरी जैसे मौकों पर तिरंगे बैज व बिल्ले खरीदने के लिए पैसे खर्च नहीं कर पाते हैं, ऐसे में उन्होंने अपनी स्कूल के हर एक बच्चे को राष्ट्रीय पर्व के समय मेटल व कपडे से बने बिल्ले व स्टीकर उपलब्ध कराने शुरू किये. फिर यह सिलसिला शहर की अन्य स्कूलों के लिए भी शुरू किया गया. धीरे-धीरे यह काम करना उनका जुनून बन गया और उन्होंने हर साल समाज के अलग-अलग तबकों तक पहुंचते हुए राष्ट्रीय पर्व के मौके पर तिरंगे बैज व बिल्ले वितरित करना शुरू किया.
* मुंबई व दिल्ली से मंगाते हैं बैज व बिल्ले का स्टॉक
संतोष अरोरा सर के मुताबिक पहले वे स्थानीय बाजार से ही तिरंगे बैज व बिल्ले खरीदा करते थे. किंतु कालांतर में जब सालाना 12 से 15 हजार बैज-बिल्लों की जरूरत पडने लगी, तो उन्होंने मुंबई व दिल्ली से बैज व बिल्ले मंगाने शुरू किये. इसमें पैसा बचानेवाली बात नहीं थी, बल्कि कम पैसों में बेहतरीन क्वॉलीटीवाले ज्यादा से ज्यादा बैज व बिल्ले मंगाने की मंशा थी. उल्लेखनीय है कि, संतोष अरोरा सर द्वारा विभिन्न आकार-प्रकारवाले छोटे से लेकर बडे तिरंगे बैज व बिल्ले वितरित किये जाते है तथा अब उनके हाथ से तिरंगे बैज को अपने सिने पर लगवाना शहर में लोगों द्वारा सम्मान की बात भी माना जाता है.
* अपने हाथों से ही लगाते है तिरंगे बैज
यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, संतोष अरोरा सर द्वारा कभी भी किसी संस्था या समूह को तिरंगे बैज व बिल्लोें का एकमुश्त वितरण नहीं किया जाता. बल्कि वे संबंधित संस्था या समूह के हर एक व्यक्ति को खुद अपने हाथों से तिरंगे बैज व बिल्ले वितरित करते है. साथ ही अपने हाथों से बैज लगाते भी है. इसके तहत विगत दिनों संतोष अरोरा सर ने जिला व सत्र न्यायालय में जाकर जिला वकील संघ के सभी सदस्योें को तिरंगे बैज उपलब्ध कराये. साथ ही उन्होंने विद्यापीठ जाकर वहां के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को भी अपने हाथों से तिरंगे बैज वितरित किये. इसके अलावा वे विगत दो वर्षों से छत्री तालाब परिसर में सुबह के वक्त मॉर्निंग वॉक करने हेतु आनेवाले सभी लोगों को 15 अगस्त व 26 जनवरी के मौके पर तिरंगे बैज व बिल्ले वितरित करते है.
* सफाई कर्मियों का किया तिरंगे बैज लगाकर विशेष सम्मान
संतोष अरोरा सर के मुताबिक कोविड संक्रमण काल के दौरान सफाई कर्मचारियों ने सबसे बेहतरीन काम किया है. उन्होंने कोविड संक्रमित मरीजों से लेकर कोविड मृतकोें तक को हाथ लगाते हुए अपनी सेवाएं दी. साथ ही शहर में किटनाशक दवाईयों का छिडकाव करते हुए शहर को साफ-सूथरा रखने की जिम्मेदारी भी निभाई. यह भी एक तरह की देशभक्ति और देशकार्य ही है. इस बात के मद्देनजर उन्होंने शहर के कई प्रभागों में घुम-घुमकर 700 से 800 सफाई कामगारों को तिरंगे बैज व बिल्ले प्रदान करते हुए उनका विशेष तौर पर सत्कार किया. साथ ही वे अपने इस उपक्रम को आगे भी ऐसे ही जारी रखेंगे.
* अब तक 1 करोड से अधिक रूपये कर चुके खर्च
बता दें कि, विगत 29 वर्षों के दौरान संतोष अरोरा सर करीब 4 लाख के आसपास तिरंगे बैज व बिल्ले वितरित कर चुके है. उनके द्वारा वितरित किये जानेवाले प्रत्येक तिरंगे बैज व बिल्ले का बाजार मूल्य 10 रूपये से लेकर 50 रूपये के आसपास तक होता है. ऐसे में एक सरासरी गणित और अनुमान के मुताबिक संतोष अरोरा सर द्वारा अब तक अपने इस जुनुनवाले काम पर करीब 1 करोड रूपये से अधिक की धनराशि खर्च की जा चुकी है. एक शिक्षक द्वारा अपने सेवाकाल के दौरान अपनी निजी कमाई में से आय का बडा हिस्सा प्रतिवर्ष केवल तिरंगे बैज व बिल्ले के वितरण पर खर्च कर दिया जाना अपने आप में बडी बात है. यहां पर यह भी ध्यान देनेवाली बात है कि, संतोष अरोरा सर शारीरिक शिक्षक के तौर पर कार्यरत रहे और एक शारीरिक शिक्षक के पास निजी ट्युशन या कोचिंग के तौर पर आय का कोई अलग जरिये भी नहीं होता. यानी उन्होंने मेहनत से अर्जीत किये गये अपने वेतन का एक बडा हिस्सा देश भक्ति की अलख जगाने में खर्च कर दिया. इसे अपने आप में देशभक्ति का एक जीवंत उदाहरण कहा जा सकता है.