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कांग्रेस विरोधी लहर पर सन 1989 में चुने गए सुदाम देशमुख

जननेता के रुप में पहचान थी सुदाम की

* घर-घर से लोग निकले थे प्रचार को
* स्कूटर पर सवार होकर किया था पूर्ण लोकसभा का प्रचार
अमरावती/दि. 16 – इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में कांग्रेस लहर में दूसरी बार अमरावती संसदीय क्षेत्र से उषाताई चौधरी कांग्रेस की उमीदवारी पर निर्वाचित हुई थी और राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे. लेकिन पांच साल में देश में भाजपा और जनता दल इन राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा विभिन्न राज्यो में प्रादेशिक दल की स्थापना हुई और कांग्रेस विरोधी लहर चलने लगी. इस कांग्रेस विरोधी लहर में अमरावती संसदीय क्षेत्र से कम्युनिस्ट पार्टी के जननेता के रुप में पहचाने जाते सुदाम देशमुख भारी मतो से निर्वाचित हुए थे. इस चुनाव में अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से कुल 17 उमीदवार मैदान में थे. चुनाव का संपूर्ण प्रचार सुदाम देशमुख ने स्कूटर पर घुमकर किया था.
1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने लगातार तीसरी बार उषाताई चौधरी को उमीदवारी दी थी. उनका मुकाबला भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सुदाम देशमुख के साथ हुआ था. यह चुनाव संपूर्ण महाराष्ट्र में चर्चित रहा था. अमरावती लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस विरोधी लहर इतनी जबरदस्त थी कि चुनाव के पूर्व ही सुदाम देशमुख की जीत निश्चित दिखाई दे रही थी. लोगो ने घर-घर से बाहर निकलकर स्वेच्छा से सुदाम देशमुख के लिए प्रचार शुरु किया था. सुदाम देशमुख ने भी स्कूटर से प्रचार करते हुए उस समय उषाताई के विरोध में जबरदस्त प्रचार किया था. उस समय चुनाव प्रचार के दौरान दीवारों पर गेरु अथवा नीले रंग से चित्र निकाले जाते थे. तब एक महिला का चित्र निकालकर नीचे लिखा गया था ‘आपण यांना पाहिलत कां’, इस प्रचार के माध्यम से मतदाताओं तक यह संदेश देने का प्रयास किया गया था कि, उषाताई चुनाव के अलावा कभी दिखाई नहीं देती. चुनाव प्रचार में सुदाम देशमुख की तरफ से अनेक नेता कूदे थे. इनमें प्रमुख रुप से उमरलाल केडिया, अण्णासाहेब वैद्य का नाम अभी भी लिया जाता है. साथ ही अनेक लोग खुद होकर घर से बाहर निकले थे.
इस चुनाव के पूर्व अचलपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से कम्युनिस्ट पार्टी के सुदाम देशमुख विधायक भी थे और उन्होंने उस समय विपक्ष में रहते अपने निर्वाचन क्षेत्र के सर्वाधिक प्रश्न विधानसभा में उठाए थे. उनका अचलपुर विधानसभा क्षेत्र से कृष्ण-सुदामा की तरह नाता था. काफी सादगीपूर्वक रहना, कोई भी नागरिक उनके पास आया तो उन्हें सम्मानपूर्वक बैठाना और उनकी समस्या सुनकर उसका निवारण करने का प्रयास करना. इस कारण ही सुदाम देशमुख को जननेता के रुप में पहचाना जाता था. उनकी यही छवी 1989 के लोकसभा चुनाव में काफी काम आई. जगह-जगह सभाओं में सुदाम देशमुख को बुलाने पर वें स्कूटर से वहां पहुंचकर सभा को संबोधित करते थे. उनके मंच पर आते ही सभा में उपस्थित नागरिको का उत्साह देखने जैसा रहता था. अमरावती संसदीय क्षेत्र की जनता इस चुनाव में पूरी तरह सुदाम के साथ थी. चुनाव में कुल 17 उमीदवार मैदान में थे. इनमें कम्युनिस्ट पार्टी से सुदाम देशमुख, कांग्रेस की तरफ से उषाताई चौधरी, बीएसपी से महादेव कलसकर, जनता पार्टी से प्रभादेवी त्रिफती, दूरदर्शी पार्टी के नारायणराव कुंभलकर, पीडब्ल्यूपी से बालासाहेब अंगल, नेशनल रिपब्लिकन पार्टी से राज हातागडे, निर्दलीय के रुप में चरणदास इंगोले, लक्ष्णमराव व्यवहारे, नामदेव चोरपगार, जानराव भाडे, प्रकाशचंद्र केला, भरत यांगड, शंभुदयाल जयस्वाल, सुरेश साबू, रुपराव नामदेवराव ढोके, मो. नुरुल हसन हाजी मो. अबुल हसन का समावेश था.

* ‘खाओ बादाम, लाओ सुदाम’ लगा नारा
सन 1989 के अमरावती लोकसभा चुनाव में कांग्रेस विरोधी लहर के साथ लोगो ने सुदाम देशमुख के प्रचार के समय ‘खाओ बादाम, लाओ सुदाम’ का नारा लगाया था. प्रचार के दौरान पेट्रोल पंपो से ही नि:शुल्क वाहनों में पेट्रोल डाल दिया जाता था. सुदाम देशमुख के प्रचार में कहीं कोई कमी न रहे, यही सभी का मकसद था.

* 1.40 लाख वोटो से हुए थे सुदाम देशमुख निर्वाचित
सुदाम देशमुख 3 लाख 9 हजार 669 वोट लेकर निर्वाचित हुए थे. जबकि पिछले दो चुनाव में रिकॉर्ड मतो से निर्वाचित हुई उषाताई चौधरी को 1 लाख 69 हजार 460 वोट पर ही समाधान मानना पडा था. इसके अलावा चरणदास इंगोले को 16 हजार 9, बीएसपी के महादेव कलसकर को 9271, जनता पार्टी की प्रभादेवी त्रिफती, दूरदर्शी पार्टी (डीडीपी) के नारायणराव कुंभलकर को 2798, निर्दलीय लक्ष्मणराव व्यवहारे को 2554, नामदेवराव चोरपगार को 1912, जानराव भडे को 1546, पीडब्ल्यूपी के बालासाहब अंगल 1427, निर्दलीय प्रकाशचंद्र केला को 1144, निर्दलीय भरत यांगड को 1112, शंभुदयाल बाबुलाल श्रीवास को 998, सुरेश साबू को 906, नेशनल रिपब्लिकन पार्टी के राज हातागडे को 839, निर्दलीय रुपराव नामदेवराव ढोके को 613, मो. नुरुल हसन हाजी मो. अबुल हसन को 460 वोट मिले थे. चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 9 लाख 29 हजार 879 थी. इनमें से 5 लाख 40 हजार 642 मतदाताओं ने मतदान किया था और सुदाम देशमुख 1 लाख 40 हजार 239 मतो से निर्वाचित हुए थे.

* केंद्र में बनी थी त्रिशंकु सरकार
वर्ष 1989 में कांग्रेस विरोधी लहर थी. भाजपा, जनता दल और राज्य के प्रादेशिक दलों को मिलाकर कांग्रेस को दूर रखने के लिए पहली बार देश में त्रिशंकु सरकार बनी और राष्ट्रीय आघाडी स्थापित कर वी. पी. सिंग प्रधानमंत्री बने थे. चुनाव जीतने के बाद दिल्ली से पहली बार अमरावती आगमन पर सुदाम देशमुख का सभी ने बडे ही गर्मजोशी के साथ स्वागत किया था और रैली निकाली थी. सुदाम देशमुख उस समय भी अपनी सादगी में थे.

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