अमरावती/ दि.23– सिंचाई की कमी, बंद पडनेवालेे शक्कर कारखाने, गन्ने रोपित क्षेत्र की कमी, जनप्रतिनिधि का अनदेखा ऐसे विविध कारणों के कारण विदर्भ में शक्कर की कमी होने लगी है. इस बार केवल 7 कारखानों में 11.85 लाख टन गन्ने की प्रक्रिया शुरू है. राज्य के कुल शक्कर उत्पादन की तुलना में यह केवल 1 प्रतिशत है.
विदर्भ की प्रक्रिया क्षमता वाले 12 कारखानों में से 5 कारखाने बंद है. 7 कारखाने में से इस बार सीजन में प्रक्रिया को हाथ में लिया है. अभी तक इस कारखानो ने 10.83 लाख मे. टन शक्कर का उत्पादन किया है. विदर्भ में 20 कारखानों की निर्मित्ति विगत दो दशक में की गई. किंतु बीच के समय मेें कारखाने खराब होकर बंद हो गये थे. कुछ कारखानों को एक ही गन्ने की प्रक्रिया में सीजन के बाद टालना पडा. 17 सहकारी शक्कर कारखानों में से 11 कारखाने निजी उद्योगो को बेचे गये.
पश्चिम विदर्भ की स्थिति बिकट है. सिंचाई सर्वाधिक अनुशेष वाले अमरावती विभाग में 11 शक्कर कारखाने उभारे गये थे. उनमें से 9 कारखाने आज विपन्न की स्थिति में है. पांच शक्कर कारखानों की महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक द्बारा निजी उद्योजको को बेचे गये.
शक्कर कारखाने के लिए पोषक वातावरण का निर्माण विदर्भ में नहीं हो सका. व्यवस्थापन की अनस्था, अनियमितता के कारण सहकारी शक्कर कारखाने का अस्तित्व दस्तावेज तक ही सीमित है. प्रक्रिया क्षमता वाले पुसद के वसंत सहकारी शक्कर कारखाना आर्थिक संकट के कारण पांच वर्ष पूर्व ही बंद पड गया और खत्म होने की स्थिति में आ गया. जिसके कारण विदर्भ में सहकारी शक्कर कारखाने का अस्तित्व ही बदल गया है.
* गन्ने का क्षेत्र कम
विदर्भ में गन्ने का रोपण कम होने के कारण तथा विविध कारणों से गन्ने के क्षेत्र बढे नहीं सके. अनेक कारखानों को बाहर से गन्ना लाना पडा. विगत वर्ष में गन्ने के रोपण के क्षेत्र 20 हजार 444 हेक्टर था. इस बार उसमें 7 हजार हेक्टर की कमी आयी. केवल 13 हजार 539 हेक्टर में गन्ने का रोपण है. विशेष बात यह कि राज्य के अनेक क्षेत्र में गन्ने रोपण के क्षेत्र बढे है. लेकिन विदर्भ में कम हो गये है. विदर्भ में सहकारी शककर कारखाने दशकभर में घर घर लगे ओर इन कारखानों का अस्तित्व खत्म होने को है. परंतु इन कारखानों में से कुछ कारखाने निजी उद्योजको ने अपने हाथ में लिए है. इसके बाद यही कारखाने अच्छे चलने लगे. सहकारी कारखानों के भागधारको में यह आश्चर्य की बात है. विदर्भ के कारखानों में पूरी क्षमता से गन्ने की प्रक्रिया नहीं होती. यह चिंता की बात रही है. विदर्भ में सहकारी कारखानों में हजारो किसानों शेअर्स निवेश किए . कारखानों के लिए जमीने दी है. अपनी स्थिति बदलेगी, बच्चों को कारखानों में रोजगार मिलेगा.इस आशा पर कारखानों के उभारने के लिए योगदान दिया. परंतु सहकार सम्राट ने कारखाने शुरू होने के बाद व्यवस्थापना की ओर ध्यान नहीं दिया. इस बार विदर्भ में बुलढाणा जिले के अनुराधा,यवतमाल जिले के डेक्कन शुगर, नॅचरल शुगर, नागपुर जिले में मानस अॅग्रो इंडस्ट्रीज व्यँकटेशवरा, भंडारा जिले के मानस अॅग्रो इंडस्ट्रीज वर्धा जिले के मानस अॅग्रो इंडस्ट्रीज इन सात निजी कारखानों ने गन्ने की प्रक्रिया की है.