अमरावतीमहाराष्ट्र

पालकों के पैसों से सरकारी खिचडी में डाली जा रही शक्कर

अमरावती /दि. 22– प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना अंतर्गत कक्षा 1 ली से कक्षा 8 वीं के विद्यार्थियों को पोषण आहार अंतर्गत मीठी खिचडी यानी मीठे चावल देने का आदेश विगत 28 जनवरी को जारी किया गया. परंतु मीठे चावले बनाने हेतु सरकार एवं प्रशासन द्वारा शक्कर उपलब्ध कराने का कोई प्रावधान नहीं किया गया. ऐसे में शिक्षकों द्वारा मीठे चावल बनाने हेतु विद्यार्थियों के अभिभावकों से शक्कर मांगी जा रही है और अभिभावकों के पैसों से मिलनेवाली शक्कर के जरिए मीठे चावल बनाते हुए विद्यार्थियों को परोसे जा रहे है, यानी विद्यार्थियों को मीठे चावल देने हेतु अभिभावकों पर आर्थिक बोझ पड रहा है.
केंद्र सरकार पुरस्कृत प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना अंतर्गत विद्यार्थियों को पोषण आहार का लाभ दिया जाता है. जिसके तहत विद्यार्थियों को उष्मांक व प्रोटीनयुक्त पोषाहार परोसा जाता है. पोषण आहार हेतु सूचित की गई पाककृति में सुधार करने के लिए की गई मांग के अनुरुप संशोधन किया गया. जिसके तहत दाल-चावल वाली खिचडी के साथ ही विद्यार्थियों को मीठी खिचडी देने का निर्णय लिया गया है. परंतु मीठी खिचडी के लिए शक्कर हेतु कोई प्रावधान नहीं किया गया. जिसके चलते अब मीठे चावल बनाने के लिए शक्कर मिलने हेतु शिक्षकों को अभिभावकों के सामने हाथ पसारने पडेंगे. इसे अभिभावकों की ओर से कितना प्रतिसाद मिलता है इसकी ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.

* पोषाहार में मीठे चावल देने का निर्देश
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना अंतर्गत वेजीटेबल पुलाव, मसाला भात, मटर पुलाव, मूंग दाल खिचडी, पालक खिचडी, चना पुलाव, सोयाबीन पुलाव, मसूरी पुलाव, दाल-भात, अंकुरित मोठ की उसल, अंडा पुलाव, नाचणी सत्व एवं मीठी खिचडी जैसे 12 प्रकार की पाककृति के स्वरुप में पोषाहार का लाभ देने का निर्देश है.

* जनसहभाग के तहत अभिभावकों को देनी होगी शक्कर
मीठी खिचडी हेतु आवश्यक रहनेवाली शक्कर जनसहभाग के जरिए हासिल करने का निर्देश है. जिसके चलते अपने पाल्यों को मीठी खिचडी का लाभ मिलने हेतु अभिभावकों ही शक्कर देनी होगी, ऐसे निर्देश प्रशासन द्वारा विगत 27 जनवरी को जारी किए गए है. जिसका कुछ अभिभावकों ने विरोध भी किया है.

* अन्यथा जेब से डालने पडेंगे पैसे
अंडा पुलाव, मीठी खिचडी व नाचनी सत्व जैसी पाककृतियों हेतु केंद्र सरकार ने स्नेहभोजन के जरिए इस योजना में जनसहभाग बढाने का निर्देश शाला व्यवस्थापन समिति को दिया है. जिसके चलते मीठी खिचडी हेतु आवश्यक रहनेवाली शक्कर अभिभावकों से मांगी जाएगी. क्योंकि इसके लिए सरकार द्वारा कोई अतिरिक्त निधि नहीं दी जाएगी. ऐसे में यदि अभिभावकों द्वारा शक्कर देने से इंकार किया गया तो शिक्षकों को अपनी जेब से पैसा खर्च करते हुए मीठी खिचडी के लिए शक्कर खरीदनी होगी.

* जिले में 2378 शालाएं
अमरावती जिले में जिप की प्राथमिक शालाओं व अन्य शालाओं की कुल संख्या 2 हजार 378 है. इन शालाओं में 2 लाख 27 हजार 608 छात्र-छात्राओं को शालेय पोषाहार योजना अंतर्गत दोपहर के वक्त मध्यान्ह भोजन के तहत पोषाहार दिया जाता है. साथ ही सप्ताह के प्रत्येक दिन हेतु भोजन का अलग-अलग मेन्यू तय किया गया है.

* विद्यार्थियों के भोजन हेतु शिक्षकों को लोकसहभाग के तहत निधि उपलब्ध करानी होगी. यह अपनेआप में अनाकलनीय व दुर्दैवी बात है. मध्यान्ह भोजन की सभी पाककृती के लिए सरकार ने पर्याप्त निधि देते हुए इस योजना को स्वतंत्र यंत्रणा के मार्फत चलाना चाहिए.
– किरण पाटिल
राज्य उपाध्यक्ष, अ.भा. प्राथमिक शिक्षक संघ.

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