अमरावतीमुख्य समाचार

शक्कर की गांठी का उत्पादन आरंभ

होली से लेकर पाडवा तक मान्यता

* अनेक टन रहती है खपत
अमरावती/ दि.22 – होली पर्व की आहट होते ही बाजार में जहां रंग और पिचकारी की दुकाने सजती है. ऐसे ही पकवानों की भी भरमार होती है. उत्तरी भारत के लोग मावा गुझिया के साथ त्यौहार की मिठास बढाते है, तो महाराष्ट्र सहित दक्षिण भारत में चीनी से बनी गांठी के हार पूजा और पर्व के महत्व के माने जाते हैं. अमरावती में बडे प्रमाण में दर्जनों टन चीनी से गांठी बनाने का व्यवसाय शिवरात्रि उपरांत आरंभ हो गया. गांठी की डिमांड होली से लेकर चैत्र शुध्दि पाडवा तक कायम रहने की जानकारी बाजार के एक कारोबारी ने दी.
* मांग अनुसार उत्पादन
अमरावती के गांठी उत्पादक साहू ने बताया कि, शिवरात्री पश्चात वे गांठी के व्यवसाय में जुट जाते है. अनेक वर्षों की परंपरा है. शक्कर को गलाकर सांचे से गांठी बनती है. सांचे छोटै-बडे होते है. ऐसे ही लकडी के नक्क्षीदारे सांचे से भी बडी गांठी बनाकर उसे रंगों से और कांच से भी सजाए जाता है. जैसी डिमांड, वैसा उत्पादन रखा जाता है. फिर भी अनेक टन चीनी की गांठी की खपत अमरावती मार्केट में है.
* अनेक स्थानों पर कारखाने
साहू ने बताया कि, अमरावती जिले में अचलपुर, अंजनगांव सहित अनेक स्थानों पर गांठी कारखाने है. ट्रेंड कायम है. जिससे अपेक्षित व्यवसाय मिल जाता है. हर एक की अपनी विशेषता रहती है. कोई दाम का फर्क रखता है. फिर भी मोटे तौर पर गांठीके हार 150 से लेकर 200 रुपए प्रति किलों उपलब्ध है. देवता को अर्पण करने बडी रंगबिरंगी गांठी लोग चाव से ले जाते हैं.

Related Articles

Back to top button