अमरावती

ग्रीष्मकालीन सोयाबीन से किसानों को नुकसान

फसल के दाम गिरे, बुआई क्षेत्र भी घटा, उत्पादन भी कम हुआ

अमरावती/दि.2- खरीफ की बुआई में थोडा-बहुत आर्थिक सहारा होने की दृष्टि से जिले के कई किसानों ने गर्मी के मौसम दौरान सोयाबीन की बुआई की थी. लेकिन मार्च माह से शुरू हुई ग्रीष्म लहर की वजह से उत्पादन काफी कम हुआ. साथ ही अब फसल हाथ में आने पर विगत दो सप्ताह से बाजार में सोयाबीन के दाम घट गये है. जिसके चलते किसानों को ग्रीष्मकालीन सोयाबीन की वजह से कोई खास आर्थिक फायदा नहीं हुआ है.
बता दें कि, खरीफ के सीझन में तो किसानों द्वारा सोयाबीन को ही प्रमुख फसल के तौर पर पसंद किया जाता है. इस बार भी जिले के 2.65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के कृषि महकमे द्वारा सोयाबीन की बुआई हेतु प्रस्तावित किया गया है. इसमें भी 10 हजार हेक्टेयर की वृध्दि होने की संभावना है. वहीं इससे पहले करीब 578 हेक्टेयर में ग्रीष्मकालीन सोयाबीन की बुआई की गई थी. यद्यपि फसल अच्छी-खासी दिखाई दे रही है, लेकिन फल्लियों का प्रमाण काफी कम रहा. जिसके चलते औसत उत्पादन घट गया. कुछ किसानों ने बीजों को खरीफ के सीझन हेतु बचाकर रखा. वहीं कुछ ने अच्छे दाम मिलने की आस में बाजार का रास्ता पकडा, लेकिन उपज में नमी रहने की बात कहते हुए इस सोयाबीन की कम दामों में मांग की जा रही है.
उल्लेखनीय है जब भी किसानों की उपज बाजार में आने के लिए तैयार होती है, ठीक उसी समय बाजार में व्यापारियों द्वारा दाम घटा दिये जाते है. वहीं इस समय चने की सरकारी खरीदी बंद हो जाने के बाद बाजार समिती में चने की आवक बढ गई है. जिसके चलते चने के दामों में प्रति क्विंटल 200 से 300 रूपये की कमी देखी जा रही है.

* सोयाबीन के दाम
30 मई – 5,800 से 6,316
31 मई – 5,950 से 6,394
1 जून — 5,800 से 6,271

* 578 हेक्टेयर में बुआई
जिले के 578 हेक्टेयर क्षेत्र में इस वर्ष ग्रीष्मकालीन सोयाबीन की बुआई हुई. जिसमें चांदूर रेल्वे तहसील के सर्वाधिक 293 हेक्टेयर क्षेत्र का समावेश रहा. इसके अलावा अमरावती के 17, भातकुली के 11, नांदगांव खंडेश्वर के 100, तिवसा के 65, चांदूर बाजार के 12, दर्यापुर के 5, धारणी के 2 तथा चिखलदरा के 4 हेक्टेयर क्षेत्र ग्रीष्मकालीन सोयाबीन की बुआई हुई.

* 10 हजार से 6 हजार पर आये दाम
सालभर पहले इसी समय सोयाबीन के दाम 10 हजार रूपये प्रति क्विंटल के स्तर पर जा पहुंचे थे. बाद में धीरे-धीरे सोयाबीन के दाम में कमी आनी शुरू हुई. अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीओसी की बढती मांग और देशांतर्गत सोयाबीन के उत्पादन का असर दामों पर पड रहा है.

* नमी रहने से घटे दाम
व्यापारियों द्वारा ग्रीष्मकालीन सोयाबीन में काफी हद तक नमी रहने की बात कही जा रही है. जबकि किसानों के मुताबिक विगत दिनों तापमान 42 से 44 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहा. इस तापमान में तो एक दिन के भीतर सोयाबीन की नमी व आर्द्रता निकल जाती है, लेकिन व्यापारियों द्वारा केवल दाम गिराने के लिए कोई न कोई वजह आगे की जा रही है.

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