सुनील देशमुख की घर वापसी ने बढाई विद्यमान विधायको की अस्वस्थता
निर्वाचन क्षेत्र का राजनीतिक गणित बिगडने का लग रहा डर
अमरावती/दि.18 – पूर्व राज्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी संगठन का जबर्दस्त अनुभव रखनेवाले लेकिन पार्टी अंतर्गत नाराजगी के चलते भाजपवासी हुए डॉ. सुनील देशमुख फिर कांग्रेस में लौट रहे है. किंतु इससे कांग्रेस के विद्यमान विद्यायको में अस्वस्थता देखी जा रही है. जिस जगह फिलहाल कांग्रेस के विधायक है उसी जगह अन्य दलों के नेताओं को कांग्रेस में प्रवेश देने से उन निर्वाचन क्षेत्रों का राजनीतिक गणित तो नहीं बिगडेगा?. इस तरह के प्रश्न उपस्थित होने लगे है.
भाजपा में जाने के बाद सुनील देशमुख ने अमरावती में 7 नगरसेवको की 45 नगरसेवको तक भाजपा का विस्तार किया. लेकिन कौन सा पद किसे देना है. इसके लिए नागपुर को पूछना पड रहा था. पार्टी की कोअर बैठक में कोई खास स्थान नहीं था. कोअर टीम की बैठक शुरू रहते समय बैठक में गये थे. अपने सामने विषय बदले जाते है. इस तरह का खेद देशमुख ने कुछ नेताओं के सामने बोलकर दिखाने की खबर थी. इस पृष्ठभूमि पर देशमुख से पूछने पर उन्होंने कहा कि मैं अपनी मूल पार्टी में वापस आ रहा हूॅ. इसका ज्यादा आनंद है. भाजपा में देवेन्द्र फडणवीस, नितिन गडकरी ने कभी भी मेरे साथ गलत बर्ताव नहीं किया. लेकिन छोटी छोटी बातों में निर्णय लेेते समय बाधाए आने लगी थी. हर बात वरिष्ठों से पूछकर करनी पडी. जिससे कार्यकर्ताओं की नाराजगी होने लगी. किंतु मुश्किल घडी में भाजपा ने मुझे समझ लिया और पार्टी में समावेश किया. जिससे पार्टी छोडते समय मन में कटुता नहीं है. ऐसा उन्होंने कहा.
पार्टी संगठन में जिम्मेदारी देंगे-पटोले
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि वर्तमान में निर्वाचित हुए विधायको को कोई तकलीफ नही होगी. देशमुख को पार्टी में लेते समय उनके लिए अलग विचार किया. उन्हें कांग्रेस पार्टी में काम करने का अनुभव है. मुकुल वासनिक जैसे नेता उनके नेतृत्व में काम कर रहे थे. संगठन में उन्हें जिम्मेदारी दी जायेगी.