अमरावती

सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल साबित हो रहा है वरदान

डॉ. सुनील देखमुख के कार्यकाल की उपलब्धी

अमरावती/दि.26 – 2020 यह वर्ष समूची मानव जाति को कोरोना महामारी के अनपेक्षित संकट में धकेलने वाला वर्ष साबित हुआ. जब यह संकट सामने खडा हुआ तब सभी के ध्यान में आया कि स्वास्थ्य सुविधा के लिए बडी मात्रा में मुलभूत सुविधा निर्माण करनी पडेगी. अमरावती में कोविड अस्पताल शुरु करने के लिए प्रभावी साबित हुआ वह अमरावती स्थित विभागीय संदर्भ सेवा अस्पताल (सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल) चरण टू की तैयार भव्य इमारत.
विशेष यह कि सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल का निर्मााण डॉ.सुनील देशमुख के कार्यकाल में यानी वर्ष 2008 में किया गया था. अमरावती यह विभागीय मुख्यालय की जगह रहते हुए भी उस समय मरीजों की स्थिति गंभीर होने के बाद अध्यावत व उच्च इलाज के लिए नागपुर मेडिकल कॉलेज के बगैर पर्याय नहीं रहता था. स्वयं डॉक्टर रहने से डॉ.सुनील देशमुख ने अमरावती में अध्यावत सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल के निर्माण का निश्चय किया. शासन स्तर पर लगातार प्रयास कर 2001 में सभी शासकीय खानापूर्ति पूर्ण कर प्रशासकीय मान्यता के आदेश निर्गमित करने में सफलता हासिल की. उसके बाद निधि की व्यवस्था, इमारत निर्माण, अध्यावत यंत्र सामग्री व मानव संसाधन का नियोजन विविध चरणों में किया गया. अंत में 8 वर्ष अखंड परिश्रम पूर्वक ली हुई मेहनत का फल मिला और सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल में किडनी शल्यक्रिया, प्लास्टिक सर्जरी व पेडियाट्रीक सर्जरी (छोटे बच्चों की शल्यक्रिया) आदि सुविधाओं के साथ इस अस्पताल का लोकापर्ण 10 मई 2008 को तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के हस्ते किया गया. तभी से अब तक हजारों गरीब मरीजों पर नि:शुल्क शल्यक्रिया तथा नि:शुल्क डायलीसीस होकर लोगों की परेशानियां रुकी.
डॉ.सुनील देशमुख ने एक के बाद एक शासन स्तर पर सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल फेस टू के लिए मांग करते हुए प्रयास शुरु किये. वर्ष 2009 में मेंदु विकार, हृदय विकार व कैंसर इलाज के लिए चरण टू के लिए मंजूरात लाकर उसका शासन निर्णय निर्गमित कर लिया. किंतु दुर्दैव से 2009 से 2014 इस पंचवार्षिक में खंड पडने से इसमें कोई खास प्रगति नहीं हो पायी. नए सिरे से 2014 में विधायक होेने के बाद इस विषय की ओर डॉ.सुनील देशमुख ने लगातार प्रयास करते हुए 2018 तक फेज-2 की प्रशस्त इमारत का निर्माण करने में सफलता हासिल की. यंत्र सामग्री, मानव संसाधन की उपलब्धता के लिए प्रयास किये.
2020 में कोेविड का संकट निर्माण हुआ और डॉ.सुनील देशमुख व्दारा तैयार कर रखी गई इमारत कोविड अस्पताल के इस्तेमाल में लायी गई. प्रशासन को मुलभूत सुविधा से पूर्ण इमारत तैयार मिली और कम समय में यहां कोविड मरीजों के लिए अध्यावत अस्पताल शुरु हुआ. 80 वेंटीलेटर बेड, 250 ऑक्सिजन बेड और 100 साधे बेड समेत हर रोज 300 क्रिटीकल कोविड मरीजों पर यहां इलाज किये जा रहे है. संपूर्ण महामारी के समय में 25 हजार से ज्यादा मरीजों को इस अस्पताल ने आधार दिया है. सभी सुविधा युक्त सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल की भव्य इमारत उपलब्ध नहीं होती तो इस कोरोना के गंभीर काल में अमरावती वासियों का क्या हुआ होता, इसकी कल्पना भी करना मुश्किल है.
महामारी की शुरुआत के समय में इतने बडे अस्पताल की ऑक्सिजन इस्तेमाल की मदार यह पूरी तरह से ऑक्सिजन सिलेंडर पर ही थी. डॉ.सुनील देशमुख ने भविष्य में इस अस्पताल की ऑक्सिजन की जरुरत निभाना मुश्किल होगा, इस कारण तत्काल कम से कम 10 टन क्षमता का लेक्विड ऑक्सिजन प्लाँट स्थापित करना चाहिए, इस तरह की मांग जिलाधिकारी व जिला शल्यचिकित्सक से की. लगातार प्रयास पर 21 टन क्षमता का लिक्विड ऑक्सिजन प्लाँट मंजूर करवा लिया और सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल परिसर में स्थापित किया. इसकी परिणिती ऐसी हुई कि समूचे राज्य में ऑक्सिजन की कमी के चलते मरीजों के प्राण संकट में आ गए, लेकिन अमरावती में यह समस्या निर्माण नहीं हुई. यही वजह है कि नागपुर, अकोला, चंद्रपुर से लेकर तो पडोसी राज्य से मरीज अमरावती में दाखल होने लगे है. इस विश्व कोविड महामारी के समय में अमरावती का सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल निर्माण करने के लिए डॉ.सुनील देशमुख की दुरदृष्टि तथा हॉस्पिटल व्दारा क्रिटीकल मरीज व कोविड व्यवस्थापन में निभाई हुई कामगिरी की समय को भी दखल लेनी पडेगी.

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