* पृथ्वी से 357436 किमी की दूरी पर रहेगा चांद
अमरावती/दि.3- जारी कैलेंडर वर्ष में कुल तीन बार ‘सुपरमून’ दिखाई देनेवाले है. जिसमें से पहला ‘सुपरमून’ आगामी 14 जून को पूर्णिमावाली रात दिखाई देगा. इस रात दिखाई देनेवाला चांद कुछ हद तक गुलाबी छटा लिये रहेगा. ऐसे में इसे रोझमून कहा जायेगा.
बता दें कि, पृथ्वी और चांद के बीच औसत दूरी 3 लाख 85 हजार किमी रहती है. लेकिन मंगलवार 14 जून को यह दूरी घटकर 3 लाख 57 हजार 436 किमी रहेगी. ऐसे में चांद कुछ अधिक बडा व प्रकाशमान दिखाई देगा. साथ ही चांद के पृथ्वी के थोडा निकट आने की वजह से समुद्र में ज्वार-भाटे का प्रमाण भी कुछ अधिक रह सकता है और आंधी-तूफान या चक्रावाती हवाओं का भी थोडा असर दिखाई दे सकता है.
खगोल विशेषज्ञों के मुताबिक पृथ्वी और चांद के बीच सबसे कम दूरी वर्ष 2035 में 25 नवंबर को रहेगी और 6 दिसंबर 2052 को जारी शतक का सबसे बडा ‘सुपरमून’ दिखाई देगा. उल्लेखनीय है कि, धरती से चांद का केवल 59.5 फीसद हिस्सा ही दिखाई देता है, जबकि चांद पर खडे रहकर पृथ्वी के 98.4 फीसद हिस्से को देखा जा सकता है. चांद से पृथ्वी तक प्रकाश को पहुंचने में 1.3 सेकंड का समय लगता है. जिस समय पृथ्वी और चांद के बीच दूरी 3.70 लाख किमी से कम रहती है, तब चांद हमेशा की तुलना में कुछ अधिक बडा और ज्यादा तेजस्वी दिखाई देता है. जिसे ‘सुपरमून’ कहा जाता है. 4.65 अरब वर्ष की आयु रहनेवाला चांद प्रतिवर्ष पृथ्वी से 3.8 सेंटिमीटर दूर जा रहा है. जिसके चलते धीरे-धीरे पृथ्वी की घुमने की रफ्तार कम होगी और 100 वर्ष बाद दिन 2 मिली सेकंड से बडा हो जायेगा. चांद पर 30 हजार विवर (खाईयां) और 12 हजार पर्वत है. जिन्हें दूरबीन से देखा जा सकता है. उक्ताशय की जानकारी देते हुए मराठी विज्ञान परिषद के विभागीय अध्यक्ष प्रवीण गुल्हाणे तथा खगोल अभ्यासक विजय गिरूलकर ने सभी खगोलप्रेमियों से आगामी 14 जून की रात खुली आंखों से अधिक प्रखर व स्पष्ट दिखाई देनेवाले सुपरमून को अवश्य देखने का आवाहन किया है.