मेलघाट में सर्पदंश पर भारी पड रही अंधश्रध्दा
सर्पदंश के बाद अस्पताल आने की बजाय भूमका के पास जाते है आदिवासी
अमरावती/प्रतिनिधि दि.20 – आदिवासी बहुल मेलघाट के धारणी व चिखलदरा तहसीलों में जहां एक ओर स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं अपेक्षाकृत तौर पर काफी अत्यल्प है. वहीं दूसरी ओर क्षेत्र के आदिवासी आज भी परंपरागत रूढियों और अंधश्रध्दाओं के मकडजाल में अटके पडे है और आधुनिक स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवा के प्रति बिल्कुल भी जागरूक नहीं है. बल्कि बीमार पडने अथवा अन्य किसी भी तरह के स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ होने पर वे डॉकटरों के पास जाने की बजाय गांव में रहनेवाले तांत्रिक व भूमका के पास जाते है. जिसकी वजह से कई बार मामला उलटा पड जाता है और मरीजों की मौत भी होती है.
उल्लेखनीय है कि इस आदिवासी बहुल क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों के सांप पाये जाते है और बारिश के मौसम दौरान सर्पदंश के मामले भी काफी अधिक बढ जाते है. सर्पदंश का शिकार हुए व्यक्ति को तुरंत ही आसपास स्थित दवाखाने में भरती कराया जाना और शरीर में जहर न फैलने देने हेतु आवश्यक इलाज करवाना बेहद जरूरी होता है. किंतु मेलघाट क्षेत्र के आदिवासियों के दिमाग में अंधश्रध्दा की विषबेल फैल हुई है और वे जनजागृति के तमाम प्रयासों के बावजूद अंधश्रध्दा के मकडजाल से बाहर आने के लिए तैयार नहीं है औरा सर्पदंश सहित अन्य कई गंभीर बीमारियों का इलाज करवाने हेतु भूमका के पास पहुंचते है. जिससे कभी-कभी संबंधित व्यक्ति की जान के लिए खतरा भी पैदा हो जाता है.
बता दें कि, ग्रामीण क्षेत्र के उपजिला अस्पतालों, ग्रामीण अस्पतालों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रोें में केवल प्राथमिक उपचार की सुविधा उपलब्ध होती है और वहां से अन्य मरीजों के साथ-साथ सर्पदंश का शिकार मरीजों को अमरावती के जिला सामान्य अस्पताल में रेफर किया जाता है. हालांकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रोें में सर्पदंश के लिए इंजेक्शन उपलब्ध होता है, किंतु यह इंजेक्शन विषैले सांप द्वारा डसे जाने पर प्रभावी साबित नहीं होता. साथ ही ऐसे सर्पदंश का शिकार हुए मरीजों को वेंटिलेटर व ऑक्सिजन की जरूरत भी पडती है. जिसके लिए उन्हें अमरावती के जिला सामान्य अस्पताल में रेफर किया जाता है. किंतु कई बार ग्रामीण इलाकों से अमरावती शहर तक लाये जाने के दौरान ही कई मरीजों की मौत हो जाती है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, ग्रामीण एवं तहसीलस्तरीय दवाखानों में भी इलाज की तमाम सुविधाएं उपलब्ध हो, क्योंकि सर्पदंश से संबंधित अधिकांश घटनाएं ग्रामीण इलाकों में ही घटित होती है. इसके अलावा मेलघाट जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र में अंधश्रध्दा के जहर को खत्म करने के लिए भी स्वास्थ्य महकमे को सुदृढ किये जाने की जरूरत है.
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जिले में पाये जाते है इन प्रजातियों के सांप
बता दें कि जिले में मण्यार, नाग, घोणस व फुरसे इन चार प्रजातियों के जहरीले सांप पाये जाते है. इसके अलावा धामण, कवड्या, डिवड, नानेडी, धुलनागीण, तस्कर, गवत्या, डुरक्या घोणस तथा मांडूर इन प्रजातियों के सांप भी पाये जात है, जो जहरीले नहीं होते.
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सर्पदंश होने पर क्या करे
- सर्पदंश होने के बाद सर्पदंश होनेवाले शरीर के हिस्से में जबर्दस्त दर्द होना शुरू होता है. यदि डंसनेवाला सांप विषारी या जहरीला है, तो सर्पदंशवाले स्थान पर सांप के केवल दो दांतों के ही निशान होते है. वहीं बिना जहरीला सांप रहने पर दांतों की अर्ध लंब वर्तुलाकार पंक्ति का निशान बनता है.
- सांप चाहे जहरीला रहे अथवा नहीं, लेकिन सर्पदंशवाले स्थान पर वेदना और दर्द काफी अधिक होते है. ऐसे समय बिना घबराये सर्पदंशवाले स्थान से करीब 3 से 4 इंच उपर पूरी मजबुती के साथ पट्टी बांधी जाये.
- यह पट्टी बांधने के लिए घर में रहनेवाली रिबीन, कपडे के नाडे अथवा रस्सी जैसी वस्तुओं का प्रयोग किया जाना चाहिए.
- घाव के थोडा उपर पूरी मजबूती के साथ पट्टी बांधने से जहर को शरीर में फैलने से रोका जा सकता है और वैद्यकीय इलाज व सहायता के लिए कुछ अधिक समय मिल जाता है.
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वर्षनिहाय सर्पदंश की घटनाएं
वर्ष सर्पदंश मौतें
2019 3,604 31
2020 1,860 23
2021 562 03
(जून माह तक)
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इर्विन में 1,595 वायल उपलब्ध
सर्पदंश पर प्रभावी रहनेवाली एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन के जिला सामान्य अस्पताल में 1,595 वायल उपलब्ध है. पीएचसी स्तर आवश्यक स्टॉक उपलब्ध रहने की जानकारी जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिलीप रणमले द्वारा दी गई है.
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मनपा के दवाखाने में नहीं है वैक्सीन
अमरावती मनपा द्वारा चलाये जानेवाले दवाखानों में केवल ओपीडी की सुविधा ही उपलब्ध है और 10 लाख की आबादीवाले अमरावती शहर के लिए मनपा के दवाखानोें में एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध नहीं है. ऐसे में कम से कम आयसोलेशन दवाखाना व बडनेरा स्थित मोदी हॉस्पिटल में यह व्यवस्था की जा सकती है.