शहर में अपराध नियंत्रित करने मोक्का व एमपीडीए का सहारा
अपराध जगत की कमर तोडने उठाये जा रहे कदम
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4, 042 पर हुई प्रतिबंधात्मक कार्रवाई
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सीपी डॉ. आरती सिंह दे रही इफेक्टिव पुलिसिंग पर जोर
अमरावती/प्रतिनिधि दि.२ – शहर में कानून व व्यवस्था की स्थिति को बनाये रखने तथा अपराधियों व अपराध जगत की कमर तोडने के लिए अब शहर पुलिस आयुक्त आरती सिंह द्वारा इफेक्टिव पुलिसिंग पर जोर दिया जा रहा है. जिसके तहत विगत जनवरी से अगस्त माह के दौरान जहां पांच लोगोें के खिलाफ एमपीडीए कानून के तहत कार्रवाई की गई है, वहीं बडनेरा पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत 29 मई को घटित रोहण वानखडे हत्याकांड में लिप्त 6 आरोपियों पर मोक्का कानून लगाया गया है.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत वर्ष 3 हजार 389 आरोपियों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई थी. वहीं इस वर्ष जनवरी से अगस्त माह के दौरान 4 हजार 42 आरोपियों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई है. इसी तरह बीते वर्ष सालभर के दौरान केवल 5 अपराधियों को तडीपार किया गया था. वहीं इस वर्ष यह आंकडा 42 पर जा पहुंचा है. जिसका सीधा मतलब है कि, शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह की अगुआई में पुलिस महकमे द्वारा अपराधियों की तमाम हरकतों पर पैनी नजर रखी जा रही है और मौका मिलते ही उन्हें दबोचकर उनके खिलाफ कानूनी कदम उठाये जा रहे है. जारी वर्ष के दौरान सीआरपीसी की धारा 107 के तहत 3,441, धारा 109 के तहत 49, धारा 110 के तहत 309, धारा 151 के तहत 15 तथा बीपी एक्ट के तहत 64 आरोपियों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई है.
ज्ञात रहे कि, अमरावती शहर पुलिस आयुक्तालय का जिम्मा संभालने के साथ ही शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह ने शहर के हालात की समीक्षा करने के साथ-साथ हर क्राईम मिटींग में अपराधियों पर अंकूश रखने हेतु प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करने को लेकर आवश्यक दिशानिर्देश जारी किये और समय-समय पर ऐसी हर कार्रवाई का फालोअप् भी लिया. यहीं वजह रही कि, विगत सात माह के दौरान 4 हजार से अधिक आरोपियों पर प्रतिबंधात्मक धाराओं के तहत कार्रवाई की गई. साथ ही शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह ने यह भी कहा है कि, जब तक अमरावती शहर में अपराधी व अपराध जगत सक्रिय है, तब तक ऐसी कार्रवाईयां लगातार जारी रहेगी.
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ऐसा है सजा का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की दखलपात्र धाराओं के साथ ही मोक्का भी लगाया जाता है. भादंवि की धाराओं के तहत जितनी सजा होती है, उतनी ही सजा मोक्का की धारा 3 (1) के अनुसार दी जा सकती है. जो कम से कम पांच वर्ष अथवा आजीवन कारावास भी हो सकता है. इसके साथ ही कम से कम पांच लाख रूपयों तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. संगठित गिरोह द्वारा अर्जीत की गई गैरकानूनी संपत्ति जिसके नाम पर दर्ज है, उसे 3 से 10 वर्ष की कैद तथा 1 लाख रूपये के जुर्माने की सजा सुनाये जाने का प्रावधान है.
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क्या होता है मोक्का
महाराष्ट्र संगठित अपराध प्रतिबंधात्मक अधिनियम को मोक्का कानून कहा जाता है. भादंवि की धाराओं के तहत किसी अपराधी या अपराधिक टोली पर नियंत्रण रखना यदि संबंधित जांच अधिकारी को मुश्किल लगता है, तो संबंधितों द्वारा किये गये अंतिम अपराध का हवाला देकर मोक्का के तहत कार्रवाई करने की मांग की जा सकती है. राज्य सरकार द्वारा 24 फरवरी 1999 को मोक्का अमल में लाया गया. इस कानून के अनुसार हत्या की सुपारी देने, हत्या करने, हफ्ता वसूली करने, नशिले व मादक पदार्थों की तस्करी करने, फिरौती के लिए अपहरण करने जैसी अपराधिक वारदातों को अंजाम देनेवाले अपराधियों व अपराधिक टोलियों के खिलाफ मोक्का लगाया जाता है.
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क्या है एमपीडीए
झोपडपट्टियों में दादागिरी, हाथभट्टी की शराब, नशिले पदार्थों की तस्करी व बिक्री तथा हथियारों की खरीदी-बिक्री करनेवाले लोगों के कृत्यों को नियंत्रित करने हेतु वर्ष 1981 में एमपीडीए कानून को अमल में लाया गया. इस कानून के तहत पेशेवर अपराधियों तथा सार्वजनिक तौर पर कानून व व्यवस्था को भंग करनेवाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. जिसके तहत पेशेवर अपराधियों को एक साल के लिए जेल में बंद रखा जा सकता है.