दो वर्ष से प्रलंबित मामले की सुप्रीम कोर्ट ने ली दखल
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१४ – नगरपालिका के बोर्ड को मराठी भाषा में लिखे जाने की मांग को लेकर अकोला जिले के पातुर नगरपालिका क्षेत्र की पार्षद के माध्यम से दो वर्षों से जारी संघर्ष का सुप्रीम कोर्ट ने दखल ली है. इस कार्य में अमरावती के सुप्रीम कोर्ट के प्रैक्टीक्शनर एड.सत्यजीत सिंह रघुवंशी का उन्हें मार्गदर्शन रहा, उन्हीं के मार्गदर्शन में मामला सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए संबंधितों को नोटीस जारी की है.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक पातुर नगरपालिका का मुख्य फलक (बोर्ड) उर्दू में लिखा हुआ है. पार्षद वर्षा बागडे ने इस मामले को पहले सदन में रखा. वहां योग्य न्याय न मिलने पर अकोला के जिलाधिकारी के समक्ष मामला पेश किया. जिलाधिकारी ने बोर्ड को मराठी में लिखे जाने के आदेश दिये, लेकिन नगरपालिका के अधिकारियों ने उसे गंभीरता से नहीं लिया. तत्पश्चात अमरावती विभागीय आयुक्त के पास यह मामला आया. उन्होंने निर्देश दिये कि मराठी के साथ उर्दू में भी बोर्ड लिखा जाये. इसे चुनौती देते हुए वर्षा बागडे ने मामला हाईकोर्ट में दखिल किया, लेकिन हाईकोर्ट ने विभागीय आयुक्त के निर्णय को यथावत रखा. इस बात से वर्षा बागडे काफी हताश हुई.
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कोर्ट में दाखिल किया मामला
उन्होंने विश्व हिंदू महासंघ (भारत) के राज्य महामंत्री हेमेंद्र जोशी से संपर्क किया. जिसके माध्यम से हाईकोर्ट अधिवक्ता एड. सत्यजितसिंह रघुवंशी ने पूरे प्रकरण को सुना. इस मामले को सीधे सुप्रीम कोर्ट में में स्वयं जाकर प्रस्तुत किया. 13 सितंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को दखल लेते नगरपालिका के संबंधितों को नोटीस जारी किया. उन्हें चार हफ्ते का समय जवाब देने के लिए दिया गया है. उसके बाद पूरे मामले की सुनवाई की जाएगी.