एमएमसी की मतदान प्रक्रिया को रोकने सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर
स्थगिती आदेश रहने के बावजूद राज्य में मतदान का लिया गया था फैसला

मुंबई /दि.3- महाराष्ट्र वैद्यक परिषद यानी महाराष्ट्र मेडीकल कौन्सिल (एमएमसी) के आज नियोजित मतदान प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट ने कल बुधवार को ही स्थगिती दी थी. परंतु आदेश का गलत अर्थ निकालकर आज गुरुवार को ही मतदान प्रक्रिया पूर्ण करने का निर्णय अब राज्य सरकार पर भारी पडता नजर आ रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार एवं प्रशासन के व्यवहार की गंभीर दखल लेने के साथ ही आज गुरुवार को शुरु की गई मतदान प्रक्रिया को तत्काल रोक देने का आदेश भी जारी किया.
बता दें कि, डॉ. सचिन पवार ने निर्वाचन निर्णय अधिकारी के तौर पर शिल्पा परब की नियुक्ति की वैधता तथा निर्वाचन प्रक्रिया में नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिसे हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई पश्चात खारिज कर दिए जाने पर डॉ. सचिन पवार ने अपने वकील के जरिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. इस अपील पर कल बुधवार को प्राथमिक सुनवाई करने के उपरांत सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति असनुद्दीन अमानुल्ला व न्यायमूर्ति प्रशांतकुमार मिश्रा की खंडपीठ ने फिलहाल जारी निर्वाचन प्रक्रिया की अगली सभी कार्रवाई को स्थगित रखने का अंतरिम आदेश जारी करते हुए सरकार से हलफनामे पर जवाब मांगा था तथा अगली सुनवाई 7 अप्रैल को करने की बात कही थी. परंतु उस आदेश के एक वाक्य का वैद्यकीय शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने गलत अर्थ निकाल लिया तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेश में मतदान प्रक्रिया पर स्थगिती नहीं रहने का पत्रक बुधवार की रात जारी कर दिया गया. जिसके चलते पहले से तय नियोजन के अनुसार गुरुवार की सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान होगा और इस मतदान प्रक्रिया में अधिक से अधिक मतदाता डॉक्टरों द्वारा हिस्सा लिया जाए, ऐसा आवाहन वैद्यकीय शिक्षा सचिव धिरजकुमार में बुधवार की रात जारी अपने वीडियो संदेश में किया. परंतु स्थगिती आदेश रहने के बावजूद भी आज मतदान कराए जाने की बात याचिकाकर्ता डॉ. सचिन पवार ने अपने वकील के मार्फत गुरुवार की सुबह ही सुप्रीम कोर्ट के ध्यान में लाई. जिसकी सुप्रीम कोर्ट ने बेहद गंभीर दखल लेते हुए सरकारी वकील से जानना चाहा कि, जब कल की सुनवाई में सभी मुद्दों पर चर्चा हो गई थी और आगे की पूरी कार्रवाई पर स्थगिती दे दी गई थी, तो इसके बावजूद आज मतदान प्रक्रिया कैसे शुरु की गई? इस पर सरकारी वकील ने बताया कि, उक्त आदेश में दर्ज ‘अवर सचिव श्रेणी के नए निर्वाचन निर्णय अधिकारी की नियुक्ति के बाद निर्वाचन प्रक्रिया चलाई जा सकती है.’ इस वाक्य का अर्थ यह निकाला गया कि, मतदान पर स्थगिती नहीं है. जिस पर खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि, उस वाक्य का गलत अर्थ निकाला गया है. अत: आज की मतदान प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए तथा इस बारे में सभी संबंधितों को सूचित करने के साथ ही जो कुछ मतदान हुआ है, उसे सीलबंद स्वरुप में रखा जाए.