सुरेश डबीर ने 81 वर्ष की उम्र में लिया देहदान का संकल्प
परिवार की सहमति से तैयार किया मृत्युपत्र
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हर ओर से किया जा रहा इस फैसले का स्वागत, अभिनंदन
अमरावती/दि.31 – महाराष्ट्र स्टेट फायनान्स कार्पोरेशन के सेवानिवृत्त 81 वर्षीय सुरेश डबीर ने हाल ही में अपना मृत्युपत्र तैयार किया है. उन्होंने परिवार की सहमति से मृत्यु पश्चात देहदान करने का संकल्प लिया है. रविवार को सुखी पारिवारीक जीवन से संतुष्ट सुरेश डबीर ने पारिवारिक कार्यक्रम में अपना मृत्युपत्र डॉ. पंजाबराव देशमुख स्मृति मेडिकल कॉलेज तथा अस्पताल के डीन डॉ. ए.टी. देशमुख को सौंपा. सुरेश डबीर की मृत्यु पश्चात उनका पार्थिव डॉ. पंजाबराव देशमुख स्मृति मेडिकल तथा अस्पताल को सौंपा जाएगा. समाज में आज भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो स्वयं से अधिक दूसरों को खुशी देने में संतोष महसूस करते हैं. ऐसे ही पेशे से वकील सुरेश डबीर ने यह कार्य किया है. सुरेश डबीर की पत्नी विजया डबीर विमवि में प्राचार्य पद पर कार्यरत रह चुकी हैं. उनके बेटे डॉ. अभिराम डबीर एमसीईडी में सेवा दे रहे हैं एवं पोता शार्दूल डबीर फूड इको सिस्टीम एक्सपर्ट के रुप में कार्यरत हैं.
उच्च शिक्षित परिवार के मुखिया सुरेश डबीर ने जीवन में कईयों को विविध प्रकार से जीवनयापन करने हेतु सहायता कर उनके जीवन का सहारा बने. सेवानिवृत्ति के बाद अपनी वकीली की पढ़ाई और सेवा को आगे बढ़ाया. वे इस उम्र में भी स्वयं का खयाल अवश्य रखते हैं. वे 81 वर्ष की उम्र में छड़ी के सहारे सिर्फ चल फिर पाते हैं. उनके व्दारा लिया गया देहदान का फैसला आश्चर्य चकित करने वाला है. इस फैसले पर पीडीएमसी के डॉ. ए.टी. देशमुख,डॉ.अरुण देशमुख, डॉ.सोमेश्वर निर्मल,अमर वासवानी, सुरेश भगत, प्रकाश देशमुख, बालू जाधव,एड.सचिन देकरणकर,एड. हितेश्री देवरणकर आदि ने जिला व सत्र न्यायालय के बाजू कैम्प स्थित उनके निवास स्थान पर पहुंच सुरेश डबीर व उनके परिवार का अभिनंदन किया.इस समय सुरेश डबीर ने सभी की उपस्थिति में अपनी वील यानि मृत्युपत्र कीएक कॉपी डॉ.ए.टी. देशमुख को सौंपी. जिसमें उल्लेखित है कि उनकी मृत्यु के पश्चात उनका शरीर जरुरतमंदों के काम आ सके. उनकी इच्छानुसार मृत्यु के पश्चात वे अपनी देह डॉ. पंजाबराव देशमुख स्मृति मेडिकल कॉलेज को दान कर रहे हैं. साथ ही उनकी मृत्यु पश्चात किसी भी प्रकार की धार्मिक विधिविधान न करेें, ऐसी इच्छा भी उन्होंने इस मृत्युपत्र व्दारा व्यक्त की है.
इस समय उपस्थित डॉ. ए.टी. देशमुख ने कहा कि देहदान यह सबसे बड़ा दान है. लेकिन लोग देहदान या अवयव दान करने से डरते हैं. सुरेश डबीर जैसे लोगों से प्रे़रणा लेकर आने वाले समय में और भी लोग देहदान व अवयव दान के लिए आगे आयेंगे. इस समय डॉ. अरुण देशमुख, डॉ. सोमेश्वर निर्मल, सुरेश भगत, प्रकाश देशमुख, बालू जाधव, एड. सचिन देवरणकर, एड. हितेश्री देवरणकर ने भी सुरेश डबीर के साथ बिताये पल को याद करते हुए उनके देहदान के निर्णय का स्वागत कर सराहना की. इसके साथ ही विजया डबीर ने कहा कि पति सुरेश डबीर ने जो निर्णय लिया है मैं उसका समर्थन करती हूं. उनके देहदान के निर्णय से न केवल समाज को प्रेरणा मिलेगी, बल्कि कई लोग देहदान के लिए प्रेरित भी होंगे. पति के निर्णय का सम्मान करते हुए उनकी सराहना की.
इस अवसर पर देहदान दाता सुरेश डबीर ने कहा कि मैंने अपने जीवन में गरीबी देखी है. जीवन के उतार-चढ़ाव में मेरी पत्नी विजया ने भी कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया. उम्र के इस पड़ाव में मुझे हमेशा ही लोगों की सेवा करने की चाह थी. कुछ समय पहले मैंने देहदान को लेकर कई किताबें पढ़ी जिससे प्रेरणा लेकर मैंने अपना शरीर मृत्यु पश्चात दान करने का निर्णय लिया. इस बात को मैंने अपने परिवार के समक्ष रखते हुए उन्हें इसका महत्व समझाया. उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए मुझे साईबाबा व तिरुपति बालाजी ने ही शक्ति प्रदान की है.