अमरावती/दि.17– विश्व अॅनेस्थेशिया दिवस हर वर्ष 16 अक्तूबर को मनाया जाता है. वर्ष 1846 को इस दिन पहली सफल सार्वजनिक अॅनेस्थेशिया प्रक्रिया की गई थी. इस कारण वैद्यकीय इतिहास में बडा बदलाव हुआ. बोस्टन के मॅसॅच्युसेट्स जनरल हॉस्पिटल में डॉ. विल्यम टी.जी. मॉर्टन ने ईथर इस्तेमाल कर पहली बार शस्त्रक्रिया की वेदना कम करने के लिए अॅनेस्थेशिया दिया था.
* अॅनेस्थेशिया के तीन प्रमुख प्रकार
– सामान्य अॅनेस्थेशिया : संपूर्ण शरीर बधिर कर मरीज को बेहोश किया जाता है.
– क्षेत्रीय अॅनेस्थेशिया : शरीर के विशेष भाग को बधिर किया जाता है. जैसे की स्पायनल अथवा एपीडुरल.
– स्थानीय अॅनेस्थेशिया : शरीर के छोटे भाग में वेदनाशमन किया जाता है. उदाहरण के तौर पर दांत निकालने की प्रक्रिया में.
ऐसी हुई प्रगति
वर्ष 1846 के पूर्व शस्त्रक्रिया वेदनादायी रहती थी. लेकिन विल्यम मॉर्टन ने पहली बार ईथर इस्तेमाल कर सफल रुप से अॅनेस्थेशिया दिया और इससे शस्त्रक्रिया की वेदना कम करने में बडी सफलता मिली. पश्चात अॅनेस्थेशिया के क्षेत्र में लगातार प्रगति हुई है.
* विश्व अॅनेस्थेशिया दिवस का उद्देश्य
इस दिन का मुख्य उद्देश्य यानी अॅनेस्थेशिया के क्षेत्र की प्रगति का सम्मान करना तथा अॅनेस्थेटिस्ट्स और अन्य वैद्यकीय व्यवसायियों का योगदान पहचानना, मरीजों का ध्यान रखनेवालों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है. विश्व स्तर पर इस दिन विविध शैक्षणिक और जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते है.
* वैद्यकीय क्षेत्र का महत्वपूर्ण दिवस
विश्व अॅनेस्थेशिया दिवस यह वैद्यकीय क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण दिन है. इस कारण शस्त्रक्रिया की वेदना पर नियंत्रण रखना संभव हुआ.
– डॉ. नीरज मुरके, वैद्यकीय अधीक्षक, डॉ. राजेंद्र गोडे मेडीकल कॉलेज व हॉस्पिटल.