* 2022 में महिलाओं के बारे में 36 हजार अपराध
अमरावती/ दि. 11 – दहेज विरोधी कानून कडा होने के बाद भी उस पर अमल प्रभावी तौर पर न होने के कारण विवाहित महिलाएं दहेज की बलि चढती है. वर्ष 2022 में 144 विवाहिताएं दहेज बलि चढी. राज्य शासन ने मार्च माह में यह आंकडे जारी किए. करीब 74 महिलाओं को अनैतिक व्यापार में धकेला गया, ऐसा यह रिपोर्ट में उल्लेख है. 2022 में महिलाओं के बारे में 36 हजार अपराध दर्ज किए गए है.
वर्ष 2020 में 197 महिलाएं दहेज की बलि चढी. इसकी अपेक्षा वर्ष 2021 में बलि चढनेवाली महिलाओं की संख्या कम है. फिर भी उस वर्ष का 172 का आंकडा भी चौंकानेवाला है. इन सभी मामलों में ससुराल वालों के खिलाफ धारा 304 ब के तहत अपराध दर्ज किया गया. मगर ऐसे दहेज बलि के मामले में 86 प्रतिशत अपराधी सबूत के अभाव में बाईज्जत बरी हो जाते है, ऐसा पुलिस का निरीक्षण है. अपराध कितना भी गंभीर और क्रूर हो. कानून सबूत मांगता है और सबूत के अभाव में लगाए गए आरोप अदालत में सिध्द नहीं होते. उसका मतलब सबूत पूरी तरह से इकट्ठा करने व प्राप्त हुए सबूत नष्ट करने का अवसर आरोपी को न देने इस कर्तव्य में प्रशासन व पुलिस कमजोर पडती है. जिसके कारण क्या होता देख लेंगे, ऐसी मानसिकता बढती जा रही है. जिसके चलते राज्यभर में पिछले वर्ष करीब 144 विवाहित महिलाओं की आत्महत्या व मृत्यु के बारे में दहेज बलि की धाराओं के तहत अपराध दर्ज किए गए.
* क्या है दहेज बलि
भारतीय दंड विधान में 304 ब यह नई धारा जोडी गई है. इस धारा में दहेज (हुंडा) बलि की व्याख्या है. जब किसी विवाहित महिला की मौत आग में झुलसने या शारीरिक जख्म के कारण और असाधारण परिस्थिति में विवाह से 7 वर्ष के अंदर हुई हो तो, इसी तरह मृत्यु पूर्व उसके शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडित किए जाने का सिध्द हुआ तो वह मृत्यु दहेज बलि समझी जाती है.
* महिला को आदर सम्मान का संस्कार बचपन से देना चाहिए
वर्ष भर में करीब 144 विवाहित महिला का दहेज बलि चढना यह बहुत ही चौंकानेवाली गंभीर बात है. महिला को परिवार में समान रहन-सहन और आदर सम्मान देने का संस्कार बेटे को बचपने से देना बहुत जरूरी है. इसी संस्कार से उसका भी जीवन अच्छे से संवर सकता है.
-पूनम पाटिल,
सहायक पुलिस आयुक्त अमरावती