* रापनि कर्मियों को दिया जा रहा एक और मौका
* फिलहाल मेस्मा कानून के तहत कार्रवाई नहीं
मुंबई/दि.10- राज्य परिवहन निगम को सरकारी सेवा में शामिल किये जाने की मांग को लेकर विगत एक माह से एसटी कर्मचारियों द्वारा हडताल की जा रही है, जो सरकार की ओर से वेतनवृध्दि दिये जाने के बावजूद भी जारी है. जिसके चलते राज्य सरकार द्वारा अब तक रापनि के करीब 10 हजार कर्मचारियों को निलंबीत किया जा चुका है. वहीं अब राज्य के परिवहन मंत्री अनिल परब ने एक बडी घोषणा करते हुए कहा है कि, निलंबित किये गये कर्मचारी यदि सोमवार तक काम पर वापिस लौट आते है, तो उनके निलंबन को वापिस ले लिया जायेगा. साथ ही हडताली कर्मचारियों को काम पर लौट आने का एक और अवसर देते हुए सोमवार तक मेस्मा कानून के तहत कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी. किंतु यदि इसके बाद भी हडताल जारी रहती है, तो हडताली कर्मचारियों के खिलाफ सरकार द्वारा कडी कार्रवाई जरूर की जायेगी.
परिवहन मंत्री अनिल परब ने आज एसटी कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों व रापनि प्रशासन के अधिकारियों के साथ एक बार फिर चर्चा की. जिसके बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि, कई कर्मचारी काम पर लौटना चाहते है, किंतु उन्हें कुछ लोग काम पर लौटने नहीं दे रहे. ताकि हडताल को जारी रखा जा सके. ऐसे में एसटी कर्मचारियों के प्रति पूरी सहानुभूति रखते हुए राज्य सरकार ने उन्हें एक और मौका देने का निर्णय लिया है और जो कर्मचारी काम पर लौट आते है, उनके खिलाफ की गई निलंबन की कार्रवाई को पीछे ले लिया जायेगा. साथ ही जिस डिपो को 50 फीसद क्षमता के साथ शुरू किया जा सकता है, उन डिपो में कर्मचारियों को काम पर लगाया जायेगा. साथ ही जहां पर यह संख्या भी पूरी नहीं हो सकती, ऐसे डिपो के कर्मचारियों को नजदिकी डिपो में समायोजित किया जायेगा. जिसे लेकर लिखीत आदेश जारी किया जायेगा. परिवहन मंत्री परब के मुताबिक जो कर्मचारी काम पर लौटना चाहते है और जिन्हें काम पर लौटने से रोका जा रहा है, उन्हें चाहिए कि, वे पुलिस थाने में शिकायत करे अथवा अपने डिपो मैनेजर को इसकी जानकारी दे, ताकि उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान की जा सके. वहीं उन्होंने यह भी कहा कि, आगामी सोमवार तक काम पर नहीं लौटनेवाले कर्मचारियों के खिलाफ और भी अधिक कडी कार्रवाई की जायेगी. अत: बेहतर रहेगा कि, अब सभी कर्मचारी काम पर लौट आये. उन्होंने यह भी कहा कि, एसटी कर्मचारियों द्वारा की जा रही हडताल के चलते राज्य परिवहन निगम का करीब साढे 500 करोड रूपयों का नुकसान हो चुका है. लेकिन इसके बावजूद सरकारने अब तक मेस्मा कानून के तहत कार्रवाई नहीं की है. परंतू यदि अब भी रापनि कर्मी काम पर नहीं लौटते है, तो सरकार को कडे कदम उठाने ही होंगे. परिवहन मंत्री परब के मुताबिक विलीनीकरण का मसला अदालत द्वारा गठित समिती के सामने विचाराधीन है और इस समिती को 12 सप्ताह की मुदत दी गई है. ऐसे में सरकार स्वतंत्र तौर पर कोई निर्णय नहीं ले सकती है. लेकिन इसके बावजूद कर्मचारियों का कोई नुकसान न हो, इस बात के मद्देनजर सरकार ने शानदार वेतनवृध्दि दी है. जिसके चलते शुरूआत में इस हडताल का नेतृत्व करनेवाले सदाभाउ खोत व गोपीचंद पडवलकर ने भी सरकार की भूमिका का समर्थन करते हुए एसटी कर्मचारियों को हडताल खत्म करने हेतु कहा, लेकिन अब गुणवंत सदावर्ते इस हडताल का नेतृत्व कर रहे है और विलीनीकरण की मांग पर अडे रहकर हडताल को लंबा खींच रहे है. जिसमें अंतत: रापनि कर्मियों का ही नुकसान होनेवाला है. ऐसे में रापनि कर्मियों को चाहिए कि, वे हडताल खत्म कर काम पर वापिस लौट आये.