ताडोबा-अंधारी की ‘यमुना’ पहुंची असम के जंगल में
बाघ परियोजना की प्रशिक्षित टीम कर रही देखरेख
नागपुर/दि.12-असम के सिमिलीपाल बाघ परियोजना के अधिकारियों ने महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी बाघ परियोजना से लाई बाघिन को खुले पिंजरे से जंगल में छोडा गया. यह बाघिन सिमिलीपाल के मुख्य क्षेत्र में संचार कर रही है. इस बाघ परियोजना की प्रशिक्षित देखरेख टीम उस पर नजर रख रही है. ‘यमुना’ नामक बाघिन को महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी बाघ परियोजना से 27 अक्टूबर को ओडिशा में लाया गया. इसके बाद सिमिलीपाल में तैयार गए खुले पिंजरे में रखा गया था. यहां पर उसने शिकार भी की थी. देखा जाए तो अन्य राज्य से अथवा अन्य व्याघ्र प्रकल्प से स्थलांतरित कर लाया बाघ अथवा बाघिन नए स्थान को आसानी से नहीं स्वीकारते. हालांकि यमुना का बर्ताव सिमिलीपाल के खुले पिंजरे में भी सामान्य था. इसीलिए उसे केवल सप्ताह भर में ही जंगल में छोडा गया. बाघ स्थलांतरण प्रकल्प अंतर्गत महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प से दो बाघिन सिमिलीपाल प्रकल्प में लाई जाएगी. इनमें से यमुना को व्याघ्र प्रकल्प में छोडा गया. इस व्याघ्र प्रकल्प बाघों की जनुकीय पुल सुधारने के लिए स्थलांतरण का यह प्रकल्प किया गया. इस प्रकल्प के 50 प्रतिशत बाघ मेलेनिस्टिक है. दौरान और एक बाघिन को लोने किेलए आसाम वनविभाग की टीम ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प में पहुंची है. ओडिशा में फिलहाल 30 बाघ होकर इनमें से 27 बाघ सिमिलीपाल प्रकल्प में है. इस व्याघ्र प्रकल्प में मेलेनिस्टिक बाघों की संख्या अच्छी मानी जाने पर भी संरक्षित क्षेत्र के बाघों के लिए वह खतरनाक साबित हो सकती है. इसलिए राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण की अनुमति से महाराष्ट्र दो बाघिन को लाने का निर्णय लिया गया.