अमरावती

ताडोबा, टिपेश्वर अभ्यारण्य पर्यटकों की पसंद बना

मेलघाट व सह्याद्री पिछड गया

गहरे गड्ढे, खाईयों के कारण मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट से मुंह मोडा
अमरावती/ दि.29 – राज्य में 6 टायगर प्रोजेक्ट होने के बाद भी ताडोबा-अंधारी में बाघ देखने के लिए पर्यटक वेटिंग पर रहते है. दूसरी तरफ महाराष्ट्र के मेलघाट, सह्याद्री प्रोजेक्ट की ओर पर्यटकों ने मुंह घुमाया. यहां बाघों की संख्या कम होने का अनुभव पर्यटकों को मिलता है. गहरे गड्ढे और खाईयों के कारण ही मेलघाट की ओर पर्यटक रुचि नहीं ले रहे है.
गर्मी का सीजन शुुरु होने के कारण पर्यटकों के कदम जंगल की दिशा में बढने लगे है. महाराष्ट्र में मेलघाट, ताडोबा, नवेगांव, नागझिरा, बोर, सह्याद्री, पेंच ऐसे छह टायगर प्रोजेक्ट है. इसमें मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट 2 हजार 500 चौरस मीटर और सबसे बडे मेलघाट में केवल 55 बाघों का अस्तित्व दिखाई देता हैं. विदर्भ के पेंच, मेलघाट, बोर, नवेगांव बांध इन राष्ट्रीय उद्यान को पीछे छोडते हुए ताडोबा-अंधारी आगे निकल गया है. ताडोबा में आने वाले पर्यटकों की संख्या लाखों के उपर पहुंची है. इसके ठीक पीछे टिपेश्वर अभ्यारण्य में केवल 10 बाघ होने के बाद भी दूसरे क्रमांक पर उसे पंसद किया जा रहा है. यहां 1 जनवरी से 25 मार्च 2023 तक 40 हजार और ताडोबा में 1 लाख पर्यटकों को बाघ दिखने से दोनों जंगलों की चर्चा काफी ज्यादा की जा रही है.
ताडोबा के बाद सबसे ज्यादा पर्यटक खिचनेवाला टिपेश्वर अभ्यारण्य काफी छोटा है, मगर यहां ताडोबा से आना-जाना करने वाले बाघ पर्यटकों अपनी ओर आकर्षित कर रहे है. केवल 10 बाघों के भरोसे पर इस अभ्यारण्य ने मेलघाट को पीछे छोड दिया है. इस जगह लाखों पर्यटक दस्तक दे रहे है. केवल 2 प्रवेश व्दार से पर्यटकों को अंदर घुसने की सुविधा है. बाघ इस जगह निश्चित ही दिखते है. इस वजह से यवतमाल जिले का टिपेश्वर महाराष्ट्र के नक्शे पर झलक रहा है.
मेलघाट क्यो पिछड गया
मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट का विस्तार काफी बडा है. इस प्रोजेक्ट को मुख्य वनसंरक्षक दर्जे का अधिकारी व 35 वनपरिक्षेत्र होने के बाद भी चाहिए वैसे पर्यटक यहां आते हुए दिखाई नहीं दे रहे है. पिछले 17 वर्षों से मेलघाट में केवल 55-60 बाघों का अस्तित्व बना हुआ हैं. क्योंकि उंची पहाडियां, गहरे गड्ढे, गहरी-गहरी पहाडिया यह जंगल बाघों के प्रजनन के लिए अनुकूल न होने की बात वन्यजीव अभ्यासक बता रहे है. बाघ दिखाई न देने से मेलघाट में वर्षभर में केवल 20 से 25 हजार पर्यटकों ने ही भेंट दी है.

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