अमरावती/दि.13– ‘दिल’ हमारे शरीर का अविभाज्य अंग होता है, जिसका ख्याल रखना हमारी जिम्मेदारी है. भागदौड भरी जिंदगी में हम अपने स्वास्थ्य की ओर अनदेखी करते है. जिसके कारण हमें दिल से संबंधित बीमारियों से जूझना पडता है. अब ‘हार्ट अटैक’ जैसी बीमारी से बचना है तो नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार के साथ तनाव मुक्त जीवन को अपनाते हुए अपने दिल का खास ख्याल रखने की सलाह विशेष डॉक्टरों ने दी.
स्थानीय संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन में रविवार को दोपहर 4 बजे से रिम्स अस्पताल की ओर से हृदयरोग संबंधित मार्गदर्शन कार्यक्रम का ‘दिल से सुने दिल की बात’ का आयोजन किया गया. इस अवसर पर फिजीशियन डॉ. प्रफुल्ल कडू, हृदरोग विशेषज्ञ डॉ. विजय बख्तार, इंटरवेंटिशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नीलेश चांडक, क्रिटिकल केयर कंसल्टेंट डॉ. सोहम घोरमोडे, डाइटीशियन डॉ. रसिका राजनेकर के साथ रिम्स अस्पताल के प्रमुख डॉ. श्याम राठी प्रमुखता से उपस्थित थे.
डॉ. नीलेश चांडक ने हृदयविकार होने पर किस प्रकार की सावधानियां बरतनी चाहिए, इस ओर सभी का ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने भी नियमित व्यायाम करने के साथ अपनी दिनचर्या में बदलाव लाने की सलाह दी. साथ ही पौष्टिक आहार व स्वास्थ्य पर ध्यान देने का आवाहन किया.
डॉ. विजय बख्तार ने बताया कि, हमारा लाइफ स्टॉइल पहले के मुकाबले अधिक सुविधाओं से लैस हो चुका है. जिसके कारण घर में रहकर महिलाएं जो श्रम करती थी आज वह नहीं किए जा रहे है. उससे हमें 40 से 50 साल की आयु पश्चात हार्ट की बीमारी परेशान करने लगी है. लेकिन आने वाले समय में यह 30 से 40 आयु वर्ग तक पहुंच जायेगी. इसके लिए महत्वपूर्ण है मोटापा. भारत में एपल ओबेसिटी के लोग अधिक है, जिसमें पेट पर अत्याधिक चरबी दिखाई देती है, जो हार्ट अटैक के लिए सबसे बडी वजह बनी है. इसके अलावा शारीरिक व्यायाम न करना, बैलेंस डाइट का अभाव, जंक फुउ का सेवन, कोरोना के बाद हार्ट की बीमारियां बढी है. लेकिन जब कोरोना काल था, उस समय हमने जाना कि घर का खाना, मानसिक तनाव से मुक्ति व लाइफ स्टाइल में आये बदलाव से हमारा जीवन खुशहाल हुआ था. इसलिए कोरोना काल की तरह लाइफस्टाइल को जीने का प्रयास करें. योगा मेडिटेशन को जीवन का हिस्सा बनाए. मैं कुछ नहीं हूं यह भाव मन में जागृत करने का अवाहन किया. डॉ. रसिका राजनेकर ने बताया कि, उम्र, परिवार की परंपरा और मौसम अनुसार हमारा आहार होना चाहिए. जिसमें दूध, फल हरी सब्जियां आदि का सेवन नियमित रुप से आवश्यक है. हर दो से तीन माह में खाने में इस्तेमाल होने वाले तेल को बदलें. जिन्हें दिल की बीमारी है वे मांस, मछली कके तेल का सेवन न करने की सहाल देते हुए आयुर्वेद में अपने स्वास्थ्य को स्वस्थ्य रखने के लिए खान-पान के जो तरीके बताये है उनका पालन करने की सलाह दी. साथ ही उम्र अनुसार खान-पान के समय को बदलने का अवाहन किया.
डॉ. सोहम घोरमोडे ने सीपीआर आर्थात घर में किसी को हार्ट अटैक आता है तो उस व्यक्ति को किस प्रकार प्राथमिक उपचार देना चाहिए, इसका लाइवच डेमो दिया. 108 नंबर पर एम्बलेंस को कॉल लगाने के बाद कम्पे्रशन, एयर-वे तथा ब्रीदिंग की प्रक्रिया किस प्रकार करनी है इसकी जानकारी देते हुए रिस्पॉन्स, लुक, लीसन, फिल के साथ प्रथमोपचार करने संबंधी जानकारी साझा की.
डॉ. प्रफुल्ल कडू ने अपने मार्गदर्शन में कहा कि, हमें हो सके तो नियमित ईसीजी करवाना चाहिए. इसके लिए किसी भी अस्पताल मे मात्र 200 रुपए खर्च आता है. इससे दिल में छिपी बीमारियों का समय से पूर्व पता लगाने में आसानी होती है. अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुक रहते हुए साल में एक बार खुद के स्वास्थ्य पर 1500 रुपये खर्च करने का आवाहन किया. जिन्हें किसी प्रकार की बीमारी नहीं है वे 5 साल में एक बार रुटीन चेकअप करवाये. चेकअप के साथ हेल्थ इंश्योरेंस का होना जरुरी है. समय रहते मरीज एवं उनके परिजनों को इसका लाभ मिलेगा. दिल से मन की बात कहता हूं, यह कहते हुए उन्होंने अपनी बातों को विराम दिया. कार्यक्रम के अंतिम चरण में उपस्थित नागरिकों व्दारा पूछे गये सवालों का मान्यवर विशेषज्ञों के साथ डॉ. अजय डफले, डॉ. मुस्तफा साबिर, डॉ. अजिंक्य जामठे ने खूबसूरती के साथ जवाब दिये. कार्यक्रम के पश्चात सभी को सीपीआर का लाइव डेमो दिखाया गया. साथ ही यह तकनीक सिखने इच्छुको का पंजीयन भी किया गया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. विभूति बूब व डॉ. कीर्ति सेानी तथा आभार डॉ. हितेश गुल्हाने ने माना. कार्यक्रम में बडी संख्या में डॉक्टरों की टीम के साथ मरीज व नागरिक उपस्थित थे.