संकीर्ण क्षण का लाभ उठाकर कल्पसूत्र को जीवन में आत्मसात करें
पयुर्षण पर्व के चौथे दिन विनित मेहता का कथन
* बर्तन बाजार स्थित श्वेतांबर जैन बडा मंदिर व दादावाडी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में 8 दिवसीय आयोजन
अमरावती/दि.5- पर्व के दिन छोटे और संकीर्ण होते है. इसलिए इस छोटे और संकीर्ण क्षण का लाभ उठाकर कल्पसूत्र को जीवन में आत्मसात करना चाहिए, ऐसा प्रतिपादन पयुर्षण पर्व के चौथे दिन गुरुजनों ने किया. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी पयुर्षण पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. बर्तन बाजार स्थिततथा दादावाडी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में 8 दिवसीय पयुर्षण पर्व आयोजित किया गया है. इस वर्ष श्री वर्धमान स्वाध्याय संघ के स्वाध्यायी इंदौर से विनित मेहता, भवानी मंडी से प्रणित राठौड, चंदीगढ से अरुण चतुरमुथा धर्म प्रवचन के लिए यहां आए है. मंगलवार को धर्म समारोह की शुरुआत प्रार्थना से हुई. इस अवसर पर गुरुजनों ने पयुर्षण पर्व पूरी आत्मियता के साथ मनाने कहा.
गुरुजनों ने जीवन जीने की कला कल्पसूत्र के गृह रहस्य को श्रावक-श्राविकाओं के समक्ष प्रस्तुत किया. कल्पसूत्र से हमें क्या मिलता है? कल्पसूत्र से हमें जीवन जीने की कला मिलती है. कल्पसूत्र का मतलब आचार होता है. कल्पसूत्र यह रफ्तार और आपाधापी के जीवन में स्पीडब्रेकर की तरह कार्य करती है. हर व्यक्ति के जीवन में स्पीडब्रेकर की जरुरत होती है. आप जीवन के किसी भी क्षेत्र में हो, किसी भी क्षेत्र में कार्य कर रहे हो, वहां कल्पसूत्र का लागू होना जरुरी है. आपके आचार, विचार, व्यवहार कैसे है, उस पर व्यक्ति की प्रगति और नियती अपना प्रभाव डालती है. कल्पसूत्र 10 तरह के होते है. इन्सान का जैसा अंतकरण होगा, जैसा मन होगा, जैसा आचार, व्यवहार होगा, उसके अनुरुप उसे प्रगति और ईश्वर करे करीब जाने का मार्ग मिलता है. जिस तरह नदी का पानी बहता होता है उसी तरह साधू का जीवन भी होता है. साधू यदि एक जगह टीक गया तो वह भी ठिक नहीं है. नदी का पानी, साधू की वाणी की तरह आमजनों को भी इसी के अनुरुप रहना होगा. मित्र चार तरह के होते है. एक ताली मित्र, एक प्याली मित्र, एक थाली मित्र तथा एक माली मित्र होता है. इसमें सबसे अच्छा मित्र माली मित्र होता है. हर व्यक्ति के जीवन में मित्र होता है. जिस तरह माली बगीया को संवारता है, उसी तरह सच्चा मित्र अपने सखा का जीवन संवारता है. मनुष्य के 32 लक्षण होते है. उसी लक्षण के अनुरूप उसकी प्रकृति निर्भर करती है. भय सात तरह के होते है. आप मंदिर में जाते समय घंटानाद करना भूल गए, कोई दिक्कत नहीं लेकिन जाते समय प्रत्येक मनुष्य को 7 बार घंटा बजाना चाहिए. यह सात घंटानाद मनुष्य के सात भयों का नाश करता है.
इस अवसर पर सुगनचंद बोथरा, नवीनचंद्र बुच्चा, मांगीलाल गोलछा, अनिल सुराणा, परेशभाई शाह, कीर्तिभाई मोता, कीर्तिभाई बाफना, विजय बुच्चा, अजय बुच्चा, मनीष संकलेचा, जितेंद्र गोलछा, प्रमोद बोथरा, विपुलभाई धरमसी, कांतिभाई गाला, प्रकाशचंद कोठारी, कोमल बोथरा, भरत खजांची, विजय बोथरा, नवीन चोरडिया, राजेश बैद, प्रवीण चोरडिया, राजेश चोरडिया, सिद्धार्थ बोथरा, श्रेणिक बोथरा, अंकेश चोरडिया, परेश बुच्चा, राजेंद्र बुच्चा, शीतल कोठारी, मणिकांतभाई दंड, विमलेश धामेड, राजेश बुच्चा, रोहित बैद, मोहित बैद, अजय भंसाली, प्रमोद बुच्चा, प्रफुल्ल बोथरा, विनय बोथरा, सुशील गोलछा, रोहित गाला, प्रवीण दुग्गड, विजय खजांची, मनीष जीवाणी, सरला गोलछा, लता बोथरा, अंजू बुच्चा, सुशीला खजांची, मिता बुच्चा, लता बाफना, सोभा कोचर, अनिता चोरडिया, संगीता चोरडिया, ममता चोरडिया, चंदा जैन, रुपा भंसाली, नीतू गोलछा, छाया शाह, कल्पना मोथा, शिवानी गाला, धनलक्ष्मी बागडा, दमयंतीबेन धरमसी, कल्पना जीवानी, रंजना बुच्चा, संगीता बुच्चा, शीला बुच्चा, निकिता बुच्चा, अनिता बोथरा, राजश्री कोचर, सरोज गोलछा, मृदुल चोरडिया, रमेशचंद गोलछा, हेमंत बोथरा, विमलेश छाजेड, प्रिंस गोलछा, हर्षिल बुच्चा, मंजू बोथरा, उज्ज्वला बोथरा, भावना डोसी, सोनल चोपडा, मेघा चोपडा, कल्पना बोथरा, कोमल गोलछा, चंदा सुराणा, प्रांजल बोथरा, चंदा लोढा, मनस्वी संकलेचा, किरण बैद, नेहा बैद आदि प्रमुखता से उपस्थित थे.
भादना बदी 13 शनिवार 31 अगस्त से समारोह की शुरूआत हुई. रोजाना सुबह 6.30 बजे भक्तामर पाठ, सुबह 7 बजे पक्षाल तथा स्नात्र पूजा, सुबह 9 बजे व्याख्यान, श्याम को प्रतिक्रमण के पश्चात विविध मंडल तथा भाविकों द्वारा रात 8 बजे से आरती आंगी दर्शन एवं भक्तिभावना का आयोजन जारी है. चौथे दिन पोथाजी बहराने की बोली एड. अशोक जैन ने ली तथा अष्टप्रकार की पूजा अक्षय निधि ग्रुप ने ली. कल्पसूत्र ज्ञान पूजा की बोली अनिल बोथरा, मांगीलाल गोलछा, पारसमल चोरडिया, अक्षय निधि ग्रुप, विजय विजय कसायतप ग्रुप ने ली.