अमरावती

छोटे बच्चों का रखे ख्याल : डिहायड्रेशन का खतरा!

तापमान 42.1 डिग्री पर

अमरावती/ दि.5 – जब शरीर में आवश्यकता से पानी कम पानी का स्तर होता हेै तब उस स्थिति को ‘डिहायड्रेशन’ कहते है. धुपकाल में छोटे बच्चों को डिहायड्रेशन का धोका सबसे अधिक रहता है. इसलिए उसके लक्षण पहचानना और शक्कर, नमक व पानी का खोल रहने वाले ‘ओआरएस’ देना लाभदायक रहता है. बच्चा जब मां का दूध पीता हो तो, उसे थोेडे-थोडे समय में दूध पिलाने की सलाह बालरोग तज्ञ डॉक्टरों ने दी है.

तापमान 42.1 डिग्री सेल्सियस पर
तापमान दिनबदिन बढ ही रहा हेै. तीव्र उष्णता की लहर से नागपुरकर त्रस्त हो गए है. बीते बुधवार को तापमान 42 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था. विशेष यह कि, मौसम विभागा ने विदर्भ में 2 सेे 3 अप्रैल तक उष्णता की लहर आने की सूचनाएं दी थी. विशेषकर बढते तापमान से छोटे बच्चों पर विशेष ध्यान देने का आह्वान डॉक्टरों ने किया था. कारण, जिस शिशु को न बोलते आता न दिखाते आता ऐसे बालक सिर्फ रोत रहते है या निस्तेज पडे रहते है. यही डिहायड्रेशन की स्थिति है. इसका वक्त पर ही इलाज नहीं हुआ तो उसका बडा परिणाम बच्चों को भुगतना पड सकता है.

ऐसी है लक्षण?
बालक को उलटी, डिसेंट्री हो रही होगी तो उसे कुछ भी खाने-पीने की इच्छा नहीं होती. ऐसी स्थिति में बालक के शरीर के पानी में कमतरता निर्माण हो शकती है. ऐसे समय बालक को ‘डिहायड्रेशन’का धोका हो सकता है. बालक को पेशाव कम होना, तीन घंटे से ज्यादा पेशाब न होनेा, बच्चा रोने पर आँखों से आंसू न आना, होठ फटना, मुंह सुखना, थकवा आना, निस्तेज पडे रहना, आलस और नींद आना, बहुत चिडचिड करना तथा सांस बढना जैैसे लक्षण ‘डिहायड्रेशन’की है. ऐसी लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टरांचा सलाह लेना अति आवश्यक है.

छोटे बच्चों की देखभाल कैसे करे
छोटे बच्चों को धुप में न ले जाए, खुली हवा में रखे, बच्चों को ढिले कपडे पहनाए, बच्चे के शरीर का पानी कम न हो इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाए, पानी ज्यादा पीने से कोई की खतरा नहीं है, शरीर में जितना पानी जाएगा, उतना ही बालक निरोगी रहेगा, इसलिए बालक को दिन में 2-3 घंटे में पानी पिलाना चाहिए, दुध पिता बच्चा होने से उसे थोडी-थोडे अंतराल से दुध पिलाना चाहिए.

-तरलपदार्थ देते रहे
शरीर में पानी का प्रमाण बढाना यह डिहायड्रेशन दूर करने का सबसे सस्ता इलाज है. डिहायड्रेशन यह घर में ही ठिक किया जा सकता है. डिहायड्रेशन की लक्षणे दिखने पर बालक को ‘ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन’ अर्थात ‘ओआरएस’ देें. कभी कभी साधा पानी से नहीं चलता, ऐसे वक्त शक्कर , नमक और पीने के का मिश्रण देना लाभदायक साबित होता है. जब तक बालक के पेशाब का कलर सफेद या स्वच्छ नहीं आता तब तक धीरे-धीरे पानी पिलाते रहना चाहिए. जब उसे उलटीया हो रही होगी तो थोडे थोडे समय के बाद पानी पिलाना चाहिए.

तेल से मसाज न करे
छोटे बच्चों को गर्मी के मौसम में तेल से मसाज न करना ही ठिक रहेगा. गर्म पानी से स्नान कराना टाले, उष्णता के कारण बच्चों के शरीर छाले आ सकते है. इसके अलावा परेशानी हो तो तत्काल डॉक्टर की सलाह ले. गर्मी के मौसम में बच्चों के आहार पर ध्यान रखना महत्वपूर्ण है. बच्चों को तरलपदार्थ से संबंधित आहार दिया जाए, भरपुर पानी, नारियल पानी, शरबत, मही, फलो का रस पीने के लिए दे, गर्मी में बाहर जानेे न दे, उन्हें सुती व हल्के रंग के कपडे पहनाएं.
– डॉ.विशाल काले,
एमओएच, मनपा
. मनपा के पहले चुनाव स

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