परतवाडा/दि.3– सातपुडा के पर्वत पर बसे व गाविलगड किल्ले के रास्ते में रहनेवाले बागलिंगा परिसर के वन से मेलघाटी सीताफल परतवाडा के साप्ताहिक बाजार में बडी संख्या में बिक्री के लिए आते है. 20 से 25 सीताफल से भरी टोकली डेढ सौ रूपये में बेचकर आदिवासी बंधु रोजगार प्राप्त करते है.
मेलघाट के जंगल में बडे प्रमाण में रानमेवा है. उसी से रोजगार निर्माण के साधन आदिवासियों को उपलब्ध होते है. इस ओर व्याघ्र प्रकल्प की सीमारेखा होने से आदिवासियों का जंगल में प्रवेश बंद हैं मग्रारोहयोच्य के काम के अतिरिक्त स्वयं के खेत के काम स्थलांतर यही एक पर्याय है. जिससे आदिवासी अपना जीवनयापन करते है. बागलिंगा परिसर में गाविलगड किल्ले के परिसर में बडे प्रमाण में सीताफल वन है. सीताफल जल्द मिले इसके लिए सीताफल बडा होने से पहले तोड लिया जाता है.
आदिवासी की ओर से खरीदी और उस पर रोजगार !
बागलिगा परिसर में बडे प्रमाण सीताफल लाकर टोपली में 25 से 30 नग डेढ सौ रूपए से बिक्री के लिए साप्ताहिक बाजार में आदिवासी बांधव महिला बैठती है. शहरी क्षेत्र के सीताफल महंगे होने से उसका परिणाम बिक्री पर होता देखकर कुछ व्यावसायिक कम भाव में खरीदकर रोजगार से रोजगार प्राप्त करते हैं.
* पके लाया खराब हो गया… अब कच्चे लाता
आदिवासियों को बाजार की जानकारी न होने से पहले ही उन्होंने पके सीताफल लाए थे. परंतु बाजार तक ले जाने तक उसमें से कुछ सीताफल फुट गये. किंतु कुछ बेचे न जाने पर उसे दूसरे दिन फेंक दिया गया. बाजार के अन्य व्यावसायिको को देखकर अब कच्चे और थोडे पके लिए फल बाजार में लाते है, ऐसा फुलवंती कासदेकर ने बताया.