अमरावती/दि.21 – अमूमन 40 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते लगभग सभी लोगों की नजर थोडी बहुत कमजोर होनी शुरु हो जाती है. ऐसे में 40 वर्ष की आयु पार करने के बाद प्रत्येक व्यक्ति ने साल में कम से कम एक बार अपनी आंखों की नेत्र विशेषज्ञ से जांच करवानी चाहिए. ताकि नेत्र विकारों का सही समय पर पता लगाने के साथ ही उनका समय रहते निदान किया जाए और जरुरी औषधोपचार व शल्यक्रिया करते हुए भविष्य के खतरों को टाला जा सके.
* कांचबिंदू होने का रहता है खतरा
40 वर्ष की आयु के बाद कई लोगों की नजर धीरे-धीरे कमजोर होनी शुरु हो जाती है. जिसका बहुत जल्दी एहसास नहीं होता और इस वजह से आगे चलकर धुंधला दिखाई देने के साथ व कांचबिंदू का विकार होने का खतरा भी रहता है.
* कांचबिंदू के लक्षण
आंखों मेें व सिर में दर्द रहना, धुंधला दिखाई देना, रोशनी या बल के आसपास रंगीन वलय दिखाई देना, नजदीकी चष्मे का नंबर बार-बार बदलना, किसी भी वस्तू की दो-दो प्रतिमाएं दिखाई देना.
* शल्यक्रिया ही है उपाय
लगातार प्रखर प्रकाश या धूप में काम करने, कम्प्यूटर या स्मार्ट फोन का अत्याधिक प्रयोग करने के साथ ही डायबिटिज व हाईब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों और धुम्रपान की आदत की वजह से कांचबिंदू व मोतियाबिंदू जैसी बीमारियां होती है. जिनका इलाज व ऑपरेशन करने के बाद नजर पहले की तरह साफ व स्पष्ट हो जाती है. इसमें भी अगर समय रहते कांचबिंदू रहने की बात पता चल जाती है, तो उस पर औषधोपचार के जरिए नियंत्रण रखा जा सकता है. इसके लिए बार-बार आंखों की जांच की जानी चाहिए. साथ ही आंखों को नुकसान पहुंचाने वाले कामों से बचा जाना चाहिए.
* समय-समय पर नेत्रजांच जरुरी
40 वर्ष की आयु के बाद आंखों से संबंधित समस्याएं बढ जाती है. ऐसे में इस दौरान प्रत्येक व्यक्ति ने अपनी आंखों की देखभाल को लेकर सतर्क रहना चाहिए. समय-समय पर डॉक्टरों से आंखों की जांच करवानी चाहिए. साथ ही कांचबिंदू होने पर अब कभी दिखाई नहीं देगा, ऐसी गलतफहमी भी नहीं रखनी चाहिए.
– डॉ. पूजा चव्हाण,
नेत्र विशेषज्ञ