उस’ मामले में शिकायत पीछे लेने फिर्यादी महिला पर जबर्दस्त दबाव
फिर्यादी तथा इंश्यूरंस एजेंट महिला एक ही समाज से रहने से हो रहा ‘मनोमिलन’ का प्रयास
* ‘लक्ष्मीकांत’ सहित समाज के बडे लोग कर रहे ‘मांडवली’ का प्रयत्न
अमरावती/दि.3 – गत रोज बोहरा गली परिसर में रहने वाले एक सभ्रान्त परिवार की सजग व इमानदार महिला ने शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह से मुलाकात करते हुए उन्हें जानकारी दी थी कि, उसने अपने परिचय में रहने वाली बीमा एजेंट महिला के कहने पर फैमिली हेल्थ इंश्यूरेंस पॉलिसी दी थी. जिसके लिए श्री कृष्ण पेठ परिसर स्थित एक अस्पताल में उसका व उसके परिजनों का मेडिकल चेकअप कराया गया था. पश्चात 4 माह बाद उसे अलग-अलग बीमा कंपनियों से कोविड इंश्यूरेंस क्लेम के लिए वैरिफिकेशन कॉल आने शुरु हो गये और एक कंपनी ने तो बाकायदा उसके बैंक खाते में ढाई लाख रुपए जमा भी करा दिये. जबकि हकीकत यह है कि, वह और उसके परिवार का कोई भी सदस्य कोविड संक्रमित नहीं हुआ था और वे किसी कोविड अस्पताल में भी भर्ती नहीं हुए थे. इसके बावजूद उन्हें कोविड हेल्थ इंश्यूरेंस पॉलिसी का क्लेम बिना मांगे दिया जा रहा है.
इस महिला द्बारा खूद होकर सामने आते हुए कोविड इंश्यूरेंस पॉलिसी के नाम पर चल रहे फर्जीवाडे की जानकारी दिये जाते ही शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह ने इस मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी. जिसके तहत कल उक्त महिला एजेंट को भी पूछताछ हेतु बुलाया गया था किंतु उस महिला की बजाय उसका पति पुलिस के पास पहुुचा था. जिसने अपनी पत्नी की तबियत फिलहाल खराब रहने की बात कही थी. वहीं अब यह जानकारी सामने आ रही है कि, चूंकि शिकायतकर्ता महिला और बीमा एजेंट के तौर पर काम करने वाली महिला एक ही समूदाय से वार्ता रखते है. अत: समाज के कुछ बडे लोगों द्बारा इसे आपसी मामला बताते हुए आपस में ही निपटा लेने को लेकर ‘मांडवली’ की जा रही है. साथ ही फिर्यादी महिला पर इस बात को लेकर भी सामाजिक दबाव बनाया जा रहा है कि, वह पुलिस आयुक्त को दी गई अपनी शिकायत वापिस ले ले. जिसमें ‘लक्ष्मीकांत’ नामक व्यक्ति द्बारा प्रमुख भूमिका निभाई जा रही है. पता चला है कि, लक्ष्मीकांत नामक यह व्यक्ति ही कोविड इंश्यूरेंस क्लेम को लेकर चल रहे फर्जीवाडे का मुख्य ‘मास्टर माईंड’ है.
बता दें कि, गत रोज शिकायतकर्ता महिला द्बारा पुलिस आयुक्त को जानकारी दी गई थी कि, हेल्थ इंश्यूरेंस पॉलिसी लेने के बाद उन्हें श्रीकृष्ण पेठ स्थित अस्पताल में मेडिकल चेकअप के नाम पर करीब 3-4 बार ले जाना गया था. पश्चात करीब 4 माह बाद उसे सबसे पहले रिलायंस इंश्यूरेंस कंपनी से कोविड क्लेम के लिए वैरिफिकेशन कॉल आयी थी और ढाई लाख रुपए देने की बात कही गई थी. इसके बाद उसे इफ्को टोकियो इंश्यूरेंस, लिबर्टी इंश्यूरेंस व स्टार इंश्यूरेंस से भी क्लेम के वैरिफिकेशन हेतु कॉल आयी और लिबर्टी इंश्यूरेंस ने तो बाकायदा उसके खाते मेें ढाई लाख रुपए की रकम भी जमा करा दी. लेकिन हैरत और मजे की बात यह है कि, इस महिला सहित उसके परिवार का कोई भी सदस्य कोविड संक्रमित नहीं हुआ था और श्रीकृष्ण पेठ स्थित कोविड अस्पताल सहित शहर के किसी भी सरकारी या निजी कोविड अस्पताल में भरती भी नहीं हुआ था. किंतु इसके बावजूद इन्शुरन्स क्लेम में दिखाया गया कि, यह महिला कोविड संक्रमित होकर श्रीकृष्ण पेठ स्थित निजी कोविड अस्पताल में भरती हुई थी. जहां पर उसका इलाज चला था और इसकी ऐवज में उसे इंशुरन्स क्लेम दिया जा रहा है.
* वह महिला एजेंट तो महज मोहरा, असली गेम लक्ष्मीकांत का
इस मामले की पडताल करने पर पता चला है कि, बीमा एजेंट के तौर पर काम करनेवाली महिला तो महज एक मोहरा है, जो लक्ष्मीकांत नामक एक व्यक्ति के यहां काम करती है. लक्ष्मीकांत नामक इस व्यक्ति के यहां बीमा सहित वित्तीय मामलों से संबंधित कई तरह के काम चलते है और उसके कार्यालय में करीब 15 से 20 लोग बीमा एजेंट के तौर पर ही काम करते है. जानकारी के मूताबिक इनमें से हर एजेंट को ऐसे ही कोविड इंशुरन्स के लिए फर्जी मरीज तैयार करने और फिर उनके नाम पर इन्शुरन्स क्लेम पास कराने के काम के लिए लगाकर रखा गया था. ऐसे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि, जिस समय कोविड संक्रमण की जबर्दस्त लहर चल रही थी, उस समय ‘टीम लक्ष्मीकांत’ द्वारा कितने असली-नकली कोविड मरीजों के नाम पर कोविड इन्शुरन्स क्लेम का फर्जीवाडा किया गया होगा.
* शिकायत वापिस लेना फिर्यादी पर पड सकता है भारी
आर्थिक अपराध से संबंधित इस धोखाधडी व जालसाजी के मामले में जहां एक ओर फिर्यादी महिला पर अपनी शिकायत वापिस लेने हेतु खुद उसके ही समाज के लोगों का जबर्दस्त दबाव बन रहा है. वहीं दूसरी ओर इस संदर्भ में शहर पुलिस के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि, अब चूंकि यह मामला उजागर होकर सामने आ चुका है. ऐसे में शिकायत वापिस लेना खुद शिकायतकर्ता के लिए नुकसानदेह और भारी साबित हो सकता है. क्योंकि उस स्थिति में भी पुलिस द्वारा सुओमोटो यानी स्वसंज्ञान लेकर इस मामले की जांच की जायेगी. इस अधिकारी के मुताबिक इससे पहले भी दबी जुबान में कोविड की बीमारी के नाम पर फर्जी तरीके से बीमा क्लेम किये जाने की चर्चा सुनाई देती थी और अब पहली बार किसी शिकायतकर्ता ने सामने आकर पूरे तथ्यों के साथ पुलिस के सामने अपनी शिकायत दर्ज करायी है. ऐसे में यदि शिकायतकर्ता द्वारा अपने कदम वापिस भी खींच लिये जाते है, तो भी अब पुलिस के पास पूरे तथ्य है. जिनके आधार पर मामले की पूरी जांच की जायेगी.