अमरावती

संविधान के साथ छेडछाड को नहीं किया जाएगा बर्दाश्त

वरिष्ठ पत्रकार संजय आवटे का कथन

* निर्भय बनो विचार मंच का हुआ व्याख्यान
अमरावती/दि.2– यदि संविधान के साथ किसी भी तरह की छेडछाड होती है और यदि संविधान को निरस्त करने का प्रयास किया जाता है, तो हम बिल्कुल भी चूप नहीं बैठेंगे और ऐसे किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस आशय का प्रतिपादन वरिष्ठ पत्रकार संजय आवटे द्बारा किया गया. वे गत रोज निर्भय बनो विचार मंच की ओर से स्थानीय अभियंता भवन में भारतीय लोकतंत्र विषय पर आयोजित व्याख्यान में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे.
पूर्व मंत्री व विधायक यशोमति ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित एक व्याख्यानमाला में प्रमुख अतिथि के तौर पर विधायक सुलभा खोडके व बलवंत वानखडे, पूर्व महापौर विलास इंगोले, पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटिल तथा सामाजिक कार्यकर्ता रामेश्वर अभ्यंकर उपस्थित थे. इस समय अपने संबोधन में वरिष्ठ पत्रकार संजय आवटे ने कहा कि, सत्ता में रहने वाले नेताओं को आम जनता की याद कभी नहीं आती. यह स्थिति कांग्रेस नेताओं की भी थी. परंतु इसके बावजूद कांगे्रस की सत्ता चली जाने का हमें दुख होता है. क्योंकि हमें यह लगता है, मानों हमारी सत्ता चली गई है. जिसकी असल वजह यह है कि, भले ही सत्ता में रहने वाली कांग्रेस के नेता आम जनता से थोडे दूर हो जाया करते थे. परंतु कांग्रेस समाज के अंतिम घटक तक जुडी हुई है. जिसकी वजह से समाज का आम व्यक्ति कांग्रेस के साथ अपना जुडाव महसूस करता है. ऐसे में संविधान को बचाने हेतु शुरु किए गए संषर्घ में देश के सर्वसामान्य नागरिकों ने इसे अपनी लडाई मानकर हिस्सा लेना चाहिए.
अपने संबोधन में संजय आवटे ने यह भी कहा कि, यह देश किसी नरेंद्र मोदी या राहुल गांधी का नहीं है, बल्कि यह देश हम सभी का है तथा गांधी, नेहरु व आंबेडकर को एकजूट किए बिना भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. भले ही कुछ लोग नथुराम गोडसे की शान में कसीदे पढे, परंतु उनके नेताओं को भी वैश्विक स्तर पर महात्मा गांधी की समाधी के समक्ष झुकना ही पडता है. गांधी के विचार सर्वकालिक है और उनकी प्रतिमा को मलिन करने का हर प्रयास असफल साबित होगा. ऐसे लोगों ने डॉ. आंबेडकर के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं है, तो ऐसे लोगों ने सन 2014 के बाद संविधान के खिलाफ बात करनी शुरु की है. ताकि देश में संविधान के खिलाफ माहौल बनाया जा सके. जिसके लिए नौजवानों को गांधीवाद के खिलाफ भडकाया जा रहा है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, गांधी, नेहरु व आंबेडकर द्बारा स्थापित विचार परंपरा को जन-जन तक पहुंचाया जाए. इसके साथ ही संजय आवटे ने यह भी कहा कि, विविधता में एकता के सौंदर्य से सजे इस देश की विविधता को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही ऐसे लोगों के खिलाफ आवाज उठाने वाले नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे, गौरी लंकेश व कलीबुर्गी जैसे विचारकों की आवाज को हमेशा-हमेशा के लिए बंद कर दिया गया.
इस कार्यक्रम में प्रस्ताविक व संचालन प्रा. अंबादास मोहित तथा आभार प्रदर्शन नितिन पवित्रकार ने किया. इस कार्यक्रम में बडी संख्या में विभिन्न क्षेत्र के गणमान्य व्याख्यान सुनने हेतु उपस्थित थे.

* लोकतंत्र को टिकाए रखने सबका साथ आना जरुरी
अपने अध्यक्षीय संबोधन में एड. यशोमति ठाकुर ने कहा कि, आज देश में जिस तरह की स्थिति निर्माण हुई है, उसके लिए हम सभी जबाबदार है. लोकतंत्र को टिकाए रखने हेतु हम सभी का एकजूट होना बेहद जरुरी है. जिसके लिए निर्भर बनो आंदोलन को जनसामान्यों ने अपने हाथ में लेना चाहिए और मौजूदा सत्ता के खिलाफ संघर्ष करते हुए देश में लोकतंत्र स्थापित करने हेतु प्रयास करने चाहिए.

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