अमरावती

तंटामुक्त योजना अपने उद्देश्य से भटकी

तंटामुक्त गांवों में जमकर हो रहे ‘तंटे’

  • कई मामले पहुंच रहे थानों में

अमरावती/दि.12 – ग्रामीण क्षेत्रों में कानून व व्यवस्था के साथ ही शांति बनाये रखने एवं झगडे-फसाद को टालने के उद्देश्य से महात्मा गांधी तंटामुक्त गांव अभियान योजना को अस्तित्व में लाया गया. इस योजना को शुरू किये हुए 15 वर्ष पूर्ण हो रहे है. किंतु अब धीरे-धीरे यह योजना और तंटामुक्त गांव घोषित किये गये क्षेत्रों के लोग योजना के उद्देशों से भटक रहे है. यहिं वजह है कि इन दिनों तंटामुक्त गांवों के तंटे बडे पैमाने पर पुलिस थानों में पहुंच रहे है.
बता दें कि, 15 अगस्त 2007 को महात्मा गांधी तंटामुक्त योजना की शुरूआत करते हुए राज्य के लगभग सभी गांवों में तंटामुक्त समिती की स्थापना की गई थी. गांवों में होनेवाले छिटपूट विवादों को गांव के स्तर पर ही हल किया जा सके तथा पुलिस पर काम का बोझ कम हो. इसके साथ ही गांव में सौहार्दपूर्ण वातावरण बना रहे, इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए यह योजना शुरू की गई थी. जिसके लिए तंटामुक्त गांवों हेतु पुरस्कार भी घोषित करने का प्रावधान किया गया. पश्चात ग्राम पंचायत निहाय तंटामुक्त समितियां गठित हुई और गांव के झगडे व विवाद गांव में ही सुलझानेवाले गांवों को तंटामुक्त गांव भी घोषित किया गया, लेकिन अब उन्हीं तंटामुक्त गांवों के तंटे पुलिस थानों में पहुंचने लगे है. सबसे खास बात यह है कि, तंटामुक्त समिती में शामिल लोगोें के ही एक-दूसरे के साथ जमकर तंटे हो रहे है. ऐसे में कहा जा सकता है कि यह योजना और इसमें शामिल गांव व नागरिक अपने मूल उद्देशों से भटक गये है.

नाम के लिए ही बची है समितियां

जिले की 14 तहसीलों में लगभग 840 ग्राम पंचायतों में एक-एक तंटामुक्त समिती अस्तित्व में है. किंतु इस समिती का कामकाज देखते हुए कहा जा सकता है कि, ये समितियां केवल नाम के लिए ही बची हुई है. कई ग्रामीण इलाकों में तो खुद नागरिकों को यह पता नहीं होता कि, उनके गांव की तंटामुक्त समिती में कौन-कौन शामिल है और आपसी विवाद को सुलझाने के लिए किसके पास मदद मांगी जाये.

किस तहसील में कितनी समितियां

चिखलदरा – 53
धारणी – 62
अमरावती – 59
दर्यापुर – 74
भातकुली – 48
अंजनगांव – 49
नांदगांव – 68
चांदूर रेल्वे – 49
अचलपुर – 72
चांदूर बाजार – 66
मोर्शी – 67
धामणगांव – 62
तिवसा – 45
वरूड – 66

मेलघाट में गांव पंचायत ही सबकुछ

यद्यपि जिले के अन्य ग्रामीण इलाकों में ग्राम पंचायत स्तर पर तंटामुक्त समिती का गठन किया गया है. किंतु आदिवासी बहुल मेलघाट में कई वर्ष पुरानी परंपरा के तहत गांव पंचायत को ही सबकुछ माना जाता है और गांव पंचायत में पंचों द्वारा सामूहिक रूप से लिया गया निर्णय सभी पर लागू होता है. इस गांव पंचायत में सरपंच, आडा पटेल, भूमका तथा गांव के वयोवृध्द व प्रतिष्ठित नागरिकों का समावेश होता है. गांव पंचायत में विवादपूर्ण मामलों की सुनवाई करने के साथ ही झगडे खत्म किये जाते है और दंड भी लगाया जाता है. साथ ही मामले का निपटारा होते ही मटन के साथ पूरे गांव को भोजन कराने की परंपरा आज भी चली आ रही है.

अब शाला परिसर में भी थूकने पर मनाही

– शालेय शिक्षा विभाग ने जारी किए प्रतिबंधात्मक व मार्गदर्शक निर्देश
कोविड वायरस संक्रमण के खतरे को देखते हुए अब राज्य सरकार ने शैक्षणिक संस्थाओं के परिसर में थूकने पर प्रतिबंध लगाया है और स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रतिबंधात्मक उपाय योजनाओं के लिए मार्गदर्शक दिशानिर्देश जारी किये है. शालेय शिक्षा व क्रीडा विभाग के अवर सचिव संतोष गायकवाड द्वारा विगत 5 अगस्त को सरकारी निर्णय जारी किया गया है.
इस निर्णय में कहा गया है कि, कोविड संक्रमित व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक स्थान पर थूकने की वजह से अन्य लोगबाग भी इस बीमारी के प्रभाव में आ सकते है. साथ ही क्षय रोग सहित अन्य बीमारियां भी हो सकती है. अत: सभी शैक्षणिक संस्थाओ व परिसर में थूकने को प्रतिबंधित किया गया है. यदि इस नियम का उल्लंघन होता है, तो संबंधितों के खिलाफ कानूनी व दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी. इसके साथ ही इस आदेश में कहा गया है कि, शिक्षकों ने सामूहिक प्रार्थना के बाद तथा शालेय अभ्यासक्रम के तहत विद्यार्थियों को स्वच्छता का महत्व समझाना चाहिए और ऑनलाईन शिक्षा देते समय भी थूकने की वजह से होनेवाली बीमारियों और स्वच्छता के महत्व को लेकर जानकारी दी जानी चाहिए. इसके अलावा इस आदेश में मुख्याध्यापकों को निर्देशित किया गया है कि, नियमों का उल्लंघन करनेवाले शिक्षकों, अभिभावकों व सर्वसामान्यों से प्रति व्यक्ति 200 रूपये का दंड वसूला जाये.

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