* शहर की पेय जलापूर्ति भाग-2
अमरावती/दि.11- शहर के विकास की बडी लफ्फाजी सभी दलों के नेता-पदाधिकारी करते हैं. अमरावती संभाग मुख्यालय है. फिर भी पेय जल जैसी सामान्य आवश्यकता के लिए अनेक क्षेत्र आज भी जूझ रहे हैं. कई भागों में पेय जल की आपूर्ति रात 10-12 बजे तो कभी दिन मेें सुबह 11-12 बजे होती है. निश्चित ही इससे रोजगार भी प्रभावित हो रहे हैं. उधर मजीप्रा बारंबार मनपा से जलापूर्ति की जिम्मेदारी काम अपने पास लेने की गुहार लगाती है. मजीप्रा के शहरवासियों और मनपा पर 300 करोड से अधिक पानीपट्टी के बिल भी बकाया है. फिर भी व्यवस्था ऐसी है कि लोगों को पेयजल के लिए अपनी दिनचर्या में से काफी वक्त निकालना पडता है.
* सुबह 11 से आते हैं नल
शहर के कई इलाकों में अरसे से एक दिन के अंतराल पर जलापूर्ति हो रही है. उसके लिए शहरवासियों ने अपने आप को अब तैयार कर रखा है. अब पानी आने का वक्त अलग-अलग ऐरिया में भिन्न-भिन्न है. कुछ भागों मेें सुबह 11 बजे नलों में पानी आता है. जबकि कई इलाके ऐसे है जहां देर रात 10 बजे 11 बजे नल आते हैं. गृहणियों को उस हिसाब से अपना टाइमटेबल संभालना पडता है. कई बार वे नल आने का समय होने से किसी कार्यक्रम में जा नहीं पाती तो, कहीं से समय से पहले लौट आना पडता है.
* रोजगार हो रहा प्रभावित
सुबह 10-11 बजे नल आने से पानी भरने की जिम्मेदारी पूरी करनी पडती है. जिससे यही काम पर जाने का समय होने से कई लोगों, युवाओं को दिक्कत हो रही है. उनका रोजगार प्रभावित हो रहा है. वे काम पर समय पर जा नहीं पा रहे. पानी जीवनावश्यक है. अत: पानी का काम भी उतना ही जरुरी है. एक बार नल बंद हो गए तो सीधे तीसरे दिन पर बात जाती है, ऐसे में घर परिवार, बच्चे, बुजुर्ग के लिए पानी का इंतजाम करना पडता है. कई लोग पानी के कारण देरी होने से अपने बॉस की डांट भी सहते देखे गए हैं.
* क्या कहते हैं अधिकारी
अमरावती और जिले के कुछ भागों में महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के पास जलापूर्ति का जिम्मा है. मजीप्रा के अधिकारियों से शहर के विभिन्न भागों में विभिन्न समय पर हो रही जलापूर्ति संबंधी प्रश्न पूछे तो उन्होंने कहा कि सवेरे 5 बजे से अलग-अलग क्षेत्र का पानी छोडे जाने की समयसारणी है. कुछ भागों में रात 10 बजे तक पानी छोडा जाता है. बता दें कि अमरावती शहर को मोर्शी के पास सिंभोरा डैम से जलापूर्ति होती है. यह भी स्मरण करा दें कि सिंभोरा से पानी तपोवन स्थित जलशुद्धीकरण केंद्र पर पहुंचता है. वहां से विभिन्न भागों में स्थित पानी की टंकियों में पहले सप्लाई किया जाता है. फिर समयसारणी अनुसार सप्लाई अलग-अलग भागों में होती है.
* पाइपलाइन की अवधि खत्म
शहरवासियों ने पिछले दिसंबर और उससे पहले भी कई बार पानी की किल्लत सही हैं. क्योंकि सिंभोरा पाइपलाइन फूट गई थी. उसकी युद्धस्तर पर मरम्मत की गई. चार दिनों बाद टप्पे-टप्पे में शहर के एरिया की जलापूर्ति सुचारु हो सकी. बताते हैं कि 1500 मिमी की सीमेंट पाइपलाइन की अवधि पूरी हो गई है. नई पाइपलाइन बिछाना आवश्यक है. जिसका स्टील पाइपलाइन का प्रस्ताव मजीप्रा राज्य सरकार को भेज चुकी है. मंत्रालय स्तर पर उच्चाधिकार समिति के पास वह प्रस्ताव लंबित होने की जानकारी है. (जारी)