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जुलाई माह में रखी गई थी आधारशिला
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विशेषज्ञों की समिती गठित, प्रा. विधले का भी समावेश
अमरावती/दि.1 – स्थानीय सायन्सकोर मैदान में जल्द ही सुसज्जित तारांगण यानी प्लेनेटोरियम साकार किया जायेगा. जिसके प्रत्यक्ष कामकाज की शुरूआत आगामी एक-दो दिन में होगी. इस काम के लिए विशेषज्ञों की एक समिती भी गठित की गई है. जिसमें तारांगण की शास्त्रीय तरीके से रचना करनेवाले प्रा. प्रवीण विधले का भी समावेश किया गया है.
बता दें कि, विगत जुलाई माह के दौरान इस तारांगण की आधारशिला रखी गई थी. किंतु इसके बाद इस प्रकल्प का काम आगे ही नहीं बढा. किंतु अब जल्द ही प्रत्यक्ष काम शुरू किये जाने की जानकारी सामने आयी है. यह काम पूरा हो जाने पर मुंबई के बाद अमरावती का तारांगण दूसरे स्थान का प्लेनेटोरियम रहेगा. जिसके चलते विद्यार्थियों सहित अमरावतीवासियों को आकाश में स्थित सभी ग्रह, तारो व नक्षत्रों को नजदिक से देखने और उनका अध्ययन करने का अवसर मिलेगा. पता चला है कि, आगामी एक वर्ष के दौरान तारांगण की इमारत का काम पूरा हो जायेगा.
ऐसा रहेगा तारांगण
तारांगण यानी प्लेनेटोरियम एक तरह से खगोलशास्त्र की पहचान करवानेवाली प्रयोगशाला है. आकाश में स्थित तारासमूह सहित उनकी राशि, नक्षत्र तथा सूर्य, चंद्र एवं अन्य ग्रहों की स्थिति को उसी दिन अथवा अलग-अलग समयों पर देखा जा सकता है. इस वास्तु को बेहद शास्त्रीय अभ्यासिका व प्रयोगशाला के तौर पर भी उपयोग में लाया जा सकता है. इस प्लेनेटोरियम के बाहर एक एस्ट्रोलॉजीकल गार्डन भी रहेगा. जहां पर खगोलशास्त्र से संबंधित खिलौने व अन्य साधन उपलब्ध कराये जायेंगे.
ऐसा होता है प्लेनेटोरियम
कंप्यूटर की सहायता से अंतरीक्ष में होनेवाली विभिन्न गतिविधियों को प्रोजेक्टर के जरिये प्लेनेटोरियम की छत पर दिखाया जाता है. जिसके जरिये बंद सभागृह की छत पर पूरा आसमान साकार होता है और सभागृह में मौजूद लोगों को महसूस होता है मानो वे अंतरीक्ष को बेहद करीब से देख रहे है. मंगलग्रह के धरातल के दृश्यों और चांद के विभिन्न हिस्सों के साथ ही कई संशोधकों द्वारा बनाये गये तैलचित्र देखकर दर्शक कौतुहल से भर जाते है. अक्सर ही कृत्रिम ग्रह, तारे देखनेवालों को दूरबीन के जरिये अंतरीक्ष में देखने की इच्छा होती है. जिसे पूर्ण करने का प्रयास तारांगण द्वारा किया जाता है. जिसके तहत प्रत्येक रविवार को शाम 7 से 8 बजे के दौरान दूरबीन से नि:शुल्क तौर पर अवकाश दर्शन कराये जाते है. साथ ही तारांगण की ओर से कई खगोलिय घटनाओं को सर्वसामान्य लोगों को दिखाने की सुविधा भी उपलब्ध करायी जाती है. जिसके तहत सूर्यग्रहण व चंद्रग्रहण तथा उल्का वर्षा जैसी विभिन्न घटनाओं के समय तारांगण में विशेष व्यवस्था की जाती है.
संस्था में शुरू होगा पदविका पाठ्यक्रम
यह तारांगण साकार हो जाने के बाद इस संस्था के जरिये खगोलशास्त्र के पदविका पाठ्यक्रम की शुरूआत की जा सकेगी. इसके साथ ही खगोलशास्त्र से संबंधित रहनेवाली उच्च शिक्षा से विद्यार्थियों का नाता जोडते हुए उनका मार्गदर्शन किया जायेगा. वहीं आगामी काल में युजीसी के जरिये बीए व बीएससी (एस्ट्रॉनॉमी) सहित अन्य संबंधित पाठ्यक्रम भी शुरू किये जा सकेंगे और खगोलशास्त्र विषयक संशोधन करनेवाले संशोधकों को इसका बेहतरीन लाभ होगा.
कौन है प्रा. प्रवीण विधले
स्थानीय सायन्सकोर मैदान पर सुसज्जित तारांगण की संकल्पना प्रस्तुत करनेवाले प्रा. प्रवीण विधले ने मुंबई स्थित नेहरू प्लेनेटोरियम में कुछ समय तक व्याख्याता व निवेदक के रूप में काम किया. विगत 30 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्यरत रहनेवाले प्रा. प्रवीण विधले को शैक्षणिक साधन उपलब्ध कराने हेतु कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुए है. ख्यातनाम खगोलशास्त्रज्ञ जयंत नारलीकर का सहभाग प्राप्त रहनेवाले प्रा. प्रवीण विधले के कई रिसर्च पेपर अंतरराष्ट्रीय खगोलशास्त्रीय परिषदों में भी प्रकाशित हुए है तथा कॉमनवेल्थ व्होकेशनल युनिर्व्हसिटी द्वारा उन्हें डॉक्टर ऑफ सायन्स की मानद पदवी बहाल की गई है.