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जलेबी के समान होती है मिठास
अमरावती/प्रतिनिध दि.२७ – त्यौहारों के दौर में मिठाईयों का स्वाद काफी मायने रखता है. खासतौर पर होली त्यौहार के दौरान अनेक प्रकार की मिठाईयां बाजार में ग्राहकों के लिये उपलब्ध करायी जाती है. इनमें प्रमुखता से शक्कर की गाठियां व बताशे बड़े पैमाने पर खरीदी जाती है. लेकिन होली के त्यौहार में घीयर का स्वाद भी चखने का मन लोगों को होता है. घीयर यह ऐसी मिठाई है, जिसका स्वाद सबसे हटकर होता है. सिंधी समाज में होली के त्यौहार पर प्रत्येक घर में सिंधी घीयर बनाया जाता है. यह जलेबी के समान होता है. घीयर खिलाकर हर कोई एक-दूसरे को होली त्यौहार की शुभकामनाएं देते हैं. यहां बता दें कि देश के अलग-अलग हिस्सों में होली का त्यौहार मनाने का अपना अलग रिवाज होता है. सिंधी समाज में भी काफी हटके होली व धुलीवंदन मनाया जाता है. होली का त्यौहार आपसी मतभेदों को भुलाकर एक-दूसरे को गुलाल एवं रंग लगाकर दुश्मनी को दोस्ती में बदल देता है.
सिंधी समाज में घीयर व जलेबी खिलाकर एक-दूसरे को त्यौहार की बधाईयां देेने की प्रथा बरसों से चली आ रही है. शहर के कंवरनगर, रामपुरी कैम्प परिसर में आज भी घीयर बनायी जाती है. यहां पर घीयर बनाने की तैयारियां तकरीबन 15 दिन पहले से आरंभ हो जाती है. अनेक लोगों के घरों मेंं बाहर गांव से यह माल बुलाया जाता है. हालांकि इस बार कोरोना महामारी के चलते होली त्यौहार को लेकर लोगों में उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है. जिसके चलते बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष घीयर की डिमांड में कमी आयी है. लेकिन कीमतों में कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है. इन दिनों सिंधी घीयर 160 रुपए से 180 रुपए प्रति किलो बेचा जा रहा है. वहीं बालुशाही 160 रुपए, मावा ड्रायफूड का मीठा समोसा 250 रुपए किलो, तोशा 160 रुपए किलो, गुलाबजामून 140 रुपए किलो, खारा खस्ता 160 रुपए किलो बिक रहा है. ग्राहकों की डिमांड के अनुसार उनके पसंदीदा मिष्ठान भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं.