अमरावती

दरवृध्दि की स्थगिति से कर वसूली को मिलेगी गति

मनपा कर विभाग के सामने ६१ करोड की वसूली का लक्ष्य

अमरावती/ दि.९-संपत्ति कर में की गई ४० फीसद वृध्दि को स्थगिति दिए जाने के चलते अब बकाया संपत्ति कर की वसूली को गति मिलने का अनुमान है. जारी आर्थिक वर्ष में अब तक अपेक्षा की तुलना में केवल ७ से ८ फीसद कर वसूली हुई है. वही ३१ दिसंबर तक ४५ फीसद वसूली की अपेक्षा जताई गई है.
आर्थिक वर्ष २०२२-२३ में विगत वर्ष की बकाया राशि के साथ ही जारी आर्थिक वर्ष के संपत्ति कर और उपयोगिता शुल्क ऐसे कुल मिलाकर ६१ करोड रूपयों की वसूली मनपा के कर विभाग द्वारा की जानी है. इस वर्ष प्रत्येक रिहायशी संपत्ति पर ६०० रूपये का उपयोगिता शुल्क बढाया गया है. इससे पहले कर विभाग द्वारा दिए गये देयको में इस शुल्क का समावेश करने के साथ ही सामान्य कर सहित विविध लेखाशीर्षो पर ४० फीसद की वृध्दि करते हुए संपत्ति धारको को देयक वितरित किए गये थे. जिसे लेकर शहर में काफी होहल्ला भी मचा था और दो दिन पूर्व शहर कांग्रेस कमिटी ने इसके खिलाफ तीव्र आंदोलन करते हुए मनपा आयुक्त का घेराव किया था. जिसके बाद मनपा आयुक्त ने संपत्ति कर में की गई व़ृध्दि के फैसले को स्थगिति देने का निर्णय लिया. ऐसे में वृध्दिगत दरों के अनुसार दिए गये देयको में से अब ४० फीसद का बोझ कम हो गया.
बता दे कि कर विभाग द्वारा दो चरणों में कर वसूली की जाती है. जिसके तहत पार्ट पेमेंट के लिए ३१ दिसंबर की मुदत होती है. वहीं दूसरा चरण ३१ मार्च तक चलता है. कर का देयक देते समय इन दोनों बातों का समावेश होता है और अब कर के देयक में ४० फीसद का भार कम हो जाने के चलते नागरिको को अतिरिक्त दरों के बोझ से मुक्ती मिलेगी और वे पुरानी दरों के अनुसार दो किस्तों में कर अदा कर पायेंगे.
जारी आर्थिक वर्ष में ६१ करोड रूपयों का उद्देश्य तय किया गया है. चूकि अब तक ४० फीसद वृध्दि का मसला अडा हुआ था तो अब तक केवल ७ से ८ फीसद कर वसूली ही हो पायी है. ऐसे में शेष कर वसूली के लिए इस विभाग के पास केवल दो माह का समय शेष है और ३१ दिसंबर तक ४५ फीसद वसूली होने की उम्मीद जताई जा रही है. जिसके चलते मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर ने संपत्ति धारको से तय समय के भीतर अपना संपत्ति कर अदा करने का आवाहन किया है.

* उपयोगिता शुल्क को लेकर नाराजी
स्वच्छता को लेकर लागू किए गये उपयोगिता शुल्क के संदर्भ में नागरिको ने अपनी तीव्र नाराजगी जताई है. बता दे कि वर्ष २०१६ में तत्कालीन फडणवीस सरकार ने इस संदर्भ मेंं उपविधि मंजूर करते हुए उसे राज्य की सभी ‘ड’ वर्ग महानगरपालिकाओं के लिए लागू किया है. जारी आर्थिक वर्ष से इसे संपत्ति कर के देयक ने शामिल किया गया. लेकिन इसे लेकर संपत्ति धारको में काफी नाराजगी देखी जा रही है और लोगबाग इसे अपने लिए अतिरिक्त बोझ मान रहे है.

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