टीबी का इलाज तो चल रहा, लेकिन पेट पानी का क्या?
जिले में 2373 टीबी मरीजों का चल रहा इलाज, दानदाताओं से मिलती है पोषण किट
अमरावती /दि.20– देश को क्षयरोग यानि टीबी से मुक्त करने की दृष्टि से देश में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है. जिले में इस समय 2373 मरीज क्षयरोग का इलाज करवा रहे है. इन मरीजों को सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क औषधोपचार दिया जाता है. साथ ही मेलघाट से वास्ता रखने वाले मरीजों के बचत खाता में प्रतिमाह 750 रुपए व अन्य क्षेत्रों से वास्ता रखने वाले मरीजों के बचत खाते में 500 रुपए प्रतिमाह भरण पोषण हेतु दिये जाते है. परंतु पूरे महिने के भरण पोषण हेतु यह रकम काफी अत्यल्प है. ऐसे में कुछ दानदातााओं द्वारा टीबी मरीजों को पोषण किट उपलब्ध कराई जाती है. जिसके तहत इस समय जिले के 750 मरीजों को पोषण किट मिल रही है, ऐसी जानकारी है.
बता दें कि, प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय नीतिगत योजना के तहत वर्ष 2025 तक देश के क्षयमुक्त भारत बनाने का लक्ष्य तय किया गया है. यदि टीबी के मरीजों को इलाज के कालावधि के दौरान पर्याप्त पोषण आहार मिलता है, तो उन्हें टीबी की बीमारी से मुक्ति मिलती है. ऐसे में जिला क्षयरोग अधिकारी कार्यालय में पोषण आहर हेतु दानदाताओं से आगे आकर इस अभियान को मजबूति देने का आवाहन किया है.
* जिले में है टीबी के 2,373 मरीज
क्षयरोग विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक जिले में क्षयरोग के 2,373 मरीज है, जो नियमित इलाज करवा रहे है. इन मरीजों को प्रतिमाह 500 रुपए की मदद व आवश्यक नि:शुल्क औषधोपचार की सुविधा प्रदान की जा रही है.
* 750 मरीजों को ही पोषण किट
टीबी से ठीक होने हेतु मरीजों को प्रोटीनयुक्त आहार देना आवश्यक होता है. जिसके लिए व्यापारियों, सामाजिक संस्थाओं व व्यक्तिगत दानदाताओं से इन मरीजों को पोषण किट उपलब्ध कराई जाती है. अमरावती जिले में ऐसे करीब 750 मरीजों को इसका लाभ मिलता है.
* क्या होता है पोषण आहार किट में?
पोषण आहार किट में तीन किलो गेहूं या ज्वारी, डेढ किलो दाल, 250 एमएल तेल व 1 किलो फल्ली दाने का समावेश होता है. मरीजों को यह पोषण आहार किट देने हेतु व्यापारियों, सामाजिक संस्थाओं व व्यक्तिगत दानदाताओं से सहायता प्राप्त की जा सकती है.
* आप भी दे सकते है पोषण आहार में योगदान
टीबी के मरीजों को इलाज के साथ ही पोषण आहार की भी जरुरत होती है. जिसमें व्यापारियों, सामाजिक संस्थाओं व व्यक्तिगत दानदाताओं से सहायता प्राप्त की जाती है. ऐसे में कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था स्वयंस्फूर्त रुप से टीबी मरीजों की सहायता हेतु अपना योगदान दे सकता है.
* टीबी यह पूरी तरह से ठीक होने वाली बीमारी है. जिसके लिए सरकारी अस्पताल द्वारा नियमित व नि:शुल्क औषधोपचार किया जाता है. साथ ही मरीजों को पोषण आहार किट उपलब्ध कराने हेतु जिले के दानदाताओं व सामाजिक संस्थाओं द्वारा भी पहल किये जाने की जरुरत है.
* किस तहसील में कितने लाभार्थी?
तहसील लाभार्थी
अचलपुर 425
अमरावती 456
अंजनगांव सुर्जी 85
भातकुली 49
चांदूर बाजार 131
चांदूर रेल्वे 49
चिखलदरा 127
दर्यापुर 84
धामणगांव रेल्वे 81
धारणी 348
मोर्शी 156
नांदगांव खंडे. 46
तिवसा 52
वरुड 284
* टीबी वाली खांसी को कैसे पहचाने?
खांसी यह एक बेहद सामान्य शारीरिक समस्या है. यह मानकर कई लोग इसकी ओर अनदेखी करते है और इसे गंभीरता से नहीं लेते. परंतु यहां पर यह भी ध्यान दिए जाने की जरुरत है कि, यदि खांसी की समस्या कई हफ्ते तक बनी रहती है, तो यह टीबी जैसी भयानक बीमारी का प्राथमिक लक्षण हो सकती है. ध्यान रखा जाना चाहिए कि, क्षयरोग यानि टीबी एक गंभीर किस्म वाला जीवाणूजन्य संक्रमण है. जिसकी वजह से फुफ्फूस पर काफी गंभीर परिणाम हो सकता है.
* टीबी वाली खांसी के लक्षण
दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी की समस्या बनी रहना, खांसी के जरिए खून निकलना, भूख कम होना, वजन कम होना, सांस लेते समय अथवा खांसते समय तकलीफ होना, यह टीबी वाली खांसी के लक्षण है.
* क्या है इलाज?
टीबी पर इलाज हेतु बेहद प्रभावी व गुणकारी दवाईयां उपलब्ध है. दो, तीन अथवा चार दवाईयों को एकत्रित तौर पर कम से कम 6 माह तक लेना होता है. हालांकि इन दवाईयों का सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करना होता है. यह दवाईयां सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध होती है.
* टीबी को लेकर हैं कई गलतफहमियां
– टीबी संक्रमित मरीज को सबसे अलग रखे अथवा नहीं?
क्षयरोग यानि टीबी संक्रमित रहने वाले मरीज को कोविड संक्रमित मरीज की तरह सबसे अलग रखे जाने की जरुरत नहीं होती. परंतु घर के अन्य सदस्यों को टीबी का संक्रमण न हो, इस बात के मद्देनजर टीबी संक्रमण मरीज ने अपने मूंह व नाक पर मास्क का प्रयोग करना चाहिए. साथ ही इधर-उधर नहीं थुंकना चाहिए. इसके अलावा डॉक्टर की सलाह पर नियमित औषधोपचार करना चाहिए.
– क्या टीबी की बीमारी संसर्गजन्य होती है?
टीबी यानि क्षयरोग अपने आप में संसर्गजन्य बीमारी है. लगातार होने वाली खांसी के चलते मूंह के जरिए टीबी के जीवाणू का हवा से संसर्ग होकर क्षयरोग होने की संभावना रहती है. साथ ही सार्वजनिक स्थान पर थुंकने से भी टीबी के जंतू हवा में फैलते है, जो वातावरण में 5 से 7 दिन तक बने रहते है. इस दौरान इन जंतूओं का हवा के जरिए सांस के द्बारा फुफ्फूस में जाने की संभावना अधिक रहती है. इस जरिए टीबी का संक्रमण फैलने का खतरा होता है.
– सरकारी दवाई से ही बीमारी होती है ठीक
टीबी यानि क्षयरोग की दवाई देखरेख की तहत दी जाती है. इसे डायरेक्टली ऑब्जव्हर्ड ट्रीटमेंट शॉर्ट कोर्स यानि डॉट्स थेरेपी कहा जाता है. यह औषधोपचार 6 माह से लेकर 9 माह तक लेना होता है. सभी सरकारी अस्पतालों में यह दवाईयां नि:शुल्क मिलती है.
* वर्ष 2025 तक भारत को क्षयरोग मुक्त करने हेतु अभियान चलाया जा रहा है. जिसके लिए गांव स्तर पर क्षयरोग मुक्त गांव अभियान चलाए जाने की जरुरत है. इस हेतु स्वास्थ्य विभाग द्बारा क्षयरोग मुक्त ग्रामपंचायत अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत बेहद जरुरी है कि, प्रत्येक नागरिक ने खांसी की ओर बिल्कुल भी अनदेखी न करते हुए अपनी योग्य स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए.
– डॉ. विशाल धांडे,
स्वास्थ्य अधिकारी